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BHOPAL. मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े कदम उठाने की बात हर साल होती है। वहीं, असल तस्वीर कुछ और ही नजर आती है। पिछले पांच सालों में लोकायुक्त पुलिस ने 1271 मामले दर्ज किए हैं। इनमें से 1035 मामले रंगे हाथ रिश्वत लेते हुए पकड़े गए थे।
इसका मतलब है कि निचले स्तर पर भ्रष्टाचार बहुत बढ़ चुका है। वहीं, सवाल यह उठता है कि बड़े अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हो रही? इसके साथ ही, कार्रवाई के दायरे को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
बड़े अफसरों को सजा नहीं, छोटे पर कार्रवाई
पिछले पांच सालों में लोकायुक्त पुलिस के मामलों में कोर्ट ने 68% मामलों में सजा दी थी। वहीं, इनमें से कोई भी बड़ा अधिकारी सजा पाने वालों में शामिल नहीं था। इसका मतलब यह है कि छोटे अफसरों को ही सजा मिल रही है। बड़े अधिकारी भ्रष्टाचार के मामलों में पूरी तरह से बच रहे हैं।
बड़े अधिकारियों पर नहीं हो रही कार्रवाई
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पिछले पांच सालों में लोकायुक्त पुलिस ने कोई आईएएस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की है। राज्य प्रशासनिक सेवा के 19 अधिकारियों को रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा गया था।
इसके बावजूद, इनमें से किसी को भी सजा नहीं दिलाई जा सकी है। अब सवाल यह उठता है कि क्या बड़े अफसरों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही है? या फिर सिस्टम में कुछ खामियां हैं जो इन मामलों को लटकने के लिए मजबूर कर रही हैं?
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मामले दर्ज हुए, लेकिन कार्रवाई की गति धीमी है
लोकायुक्त पुलिस सिर्फ ट्रैप मामलों तक सीमित नहीं रही है। उन्होंने 154 पद के दुरुपयोग और 82 अनुपातहीन संपत्ति के मामले भी दर्ज किए हैं। वहीं, इन मामलों में कार्रवाई बहुत धीमी रही है। आंकड़ों के मुताबिक, 178 मामले अभी भी अभियोजन स्वीकृति का इंतजार कर रहे हैं। वहीं, 1000 मामलों में चालान पेश किया जा चुका है। फिर भी, किसी बड़े अधिकारी के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
बड़े अफसरों के मामले अटके रहते
मीडिया रिपोर्ट में जारी आंकड़ों के अनुसार, राज्य प्रशासनिक सेवा (SAS) के 19 अफसरों को रंगे हाथ पकड़ा गया था। वहीं, इनमें से सिर्फ 4 मामलों में चालान पेश किया गया और 9 मामलों की जांच अभी चल रही है। 4 मामलों में अभियोजन मंजूरी लंबित है। वहीं, एक मामले में अभियोजन स्वीकृति के बावजूद चालान नहीं किया गया है। इसके साथ ही, एक मामले को तो खात्मा ही लगा दिया गया है।
ईओडब्ल्यू के मामले में भी बच रहे बड़े अफसर
आर्थिक अपराधों के 472 मामलों में से 383 मामले अभी भी जांच में अटके हैं। लोकायुक्त पुलिस डीजी योगेश देशमुख का कहना है कि वह लगातार कार्रवाई कर रहे हैं। उनका दावा है कि सजा का प्रतिशत बढ़ा है। वहीं आंकड़े इसके विपरीत कुछ और ही बताते हैं।
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सरकार से मंजूरी मिलने में हुआ बदलाव
भ्रष्टाचार के गंभीर मामलों में लंबित अभियोजन स्वीकृतियों पर अब लोकायुक्त पुलिस ने नई रणनीति अपनाई है। लोकायुक्त ने 35 मामलों में याचिकाएं दायर की हैं। इनमें राज्य सरकार की मंजूरी न मिलने पर, लोकायुक्त ने खुद को पक्ष बनाकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।
यह बदलाव कोर्ट की एक टिप्पणी के बाद हुआ है। कोर्ट ने कहा कि जब सरकार मंजूरी नहीं देती, तो लोकायुक्त को खुद ही इन मामलों में पक्ष बनाना चाहिए।
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