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INDORE. इंदौर के चंदननगर टीआई इंद्रमणि पटेल को बचाने के लिए सात दिन तक खाकी ने अभियान चलाया था। इस अभियान का असर अब दिखा दिया है। बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में फंसे टीआई पटेल पर एक्शन रिपोर्ट हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने मांगी थी। वहीं, मंगलवार, 9 दिसंबर को सुनवाई होते ही विड्रा याचिका पेश हो गई। इसे मंजूर कर लिया गया है।
हाईकोर्ट में आज सुनवाई में यह हुआ
पीड़ित राजा दुबे की ओर से साले आकाश तिवारी ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। 4 दिसंबर को डबल बेंच ने पुलिस कमिश्नर से रिपोर्ट मांगी थी। इसमें कहा गया कि टीआई पटेल ने मौलिक अधिकार धारा 21 का उल्लंघन किया है। पुलिस कमिश्नर उनके खिलाफ विभागीय और आपराधिक एक्शन का प्रस्ताव 9 दिसंबर को पेश करें।
इंदौर हाईकोर्ट में सुनवाई होते ही वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक सिंह तिवारी की ओर से पेश हुए थे। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता याचिका वापस लेना चाहता है। इस पर याचिकाकर्ता तिवारी के पूर्व अधिवक्ता नीरज सोनी ने कहा कि अभी अधिवक्ता चेंज करने का मामला लंबित है। मेरी उपस्थिति अभी भी बनती है। मैं कहना चाहूंगा कि मामला एक थाने का नहीं यह देश भर के थानों का मामला है।
याचिकाकर्ता का मामला उसके छूटने तक का था। इसके बावजूद इस मामले में मौलिक अधिकारों के हनन का अपराध हुआ है। यह खुद वह कोर्ट में मान चुके हैं तो इसमें इस अपराध का क्या पनिशमेंट है। इस पर बात होना चाहिए यह गंभीर मुद्दा है।
इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि इसके लिए अल्टरनेटिव रिमेडी मौजूद है। इसका उपयोग याचिकाकर्ता कर सकता है।
फिर हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या वह याचिका वापस लेना चाहते हैं इसके लिए कोई दबाव तो नहीं। इस पर याचिकाकर्ता तिवारी ने कहा कि हां, कोई दबाव नहीं है। मैं याचिका वापस लेना चाहता हूं।
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पुलिस अधिकारी भी साथ थे याचिकाकर्ता के
इस पूरे मामले में द सूत्र ने खुलासा किया था कि 3 दिसंबर से पुलिस का अभियान चल रहा था। यह अभियान खाकी की लाज और टीआई पटेल को बचाने के लिए था। पुलिस इस अभियान में आखिरकार सफल हो गई है। हालत यह थी कि याचिकाकर्ता से पुलिस लगातार 3 दिसंबर से संपर्क में रही। 9 दिसंबर को भी सुनवाई के दौरान पुलिस याचिकाकर्ता के साथ थी। एक सीनियर पुलिस अधिकारी 3 दिसंबर से याचिकाकर्ता के साथ लगातार जुड़े थे। आखिरकार पुलिस को इसमें कामयाबी मिल गई है।
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यह है मामला
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पाक्सो केस में आरोपी संजय दुबे फरार है। ऐसे में इसकी जानकारी जुटाने चंदननगर पुलिस ने उनके बेटे राजा दुबे को 26 नवंबर को पकड़ा लिया था। वहीं, थाने में हथकड़ी लगाकर बैठा दिया था। उनके साले आकाश तिवारी को यह जानकारी 27 नवंबर को मिली थी। आकाश ने हाईकोर्ट में हैबियस कार्पस याचिका दायर कर दी थी। इसकी भनक लगते ही पुलिस ने 27 नवंबर की रात को राजा को छोड़ दिया था।
इसके बाद हाईकोर्ट ने 2 दिसंबर को मामले की सुनवाई की थी। कोर्ट ने 26 और 27 नवंबर के फुटेज के साथ टीआई को 4 दिसंबर को पेश होने का आदेश दिया थी। 4 दिसंबर को हाईकोर्ट में पेश हुए टीआई पटेल ने खुद माना कि राजा को हथकड़ी लगाई थी। वह थाने से भाग नहीं जाए इसलिए हथकड़ी लगाई थी।
इस पर हाईकोर्ट ने तल्ख लहजे में कहा तो फिर बेड़ियां भी पहना देते। साथ ही, कोर्ट ने कहा कि यह संविधान में धारा 21 में दिए मौलिक अधिकार का उल्लंघन का गंभीर मसला है। पुलिस कमिश्नर 9 दिसंबर को बताएं कि पटेल के खिलाफ क्या विभागीय कार्रवाई और आपराधिक कार्रवाई प्रस्तावित कर रहे हैं।
पुलिस 3 दिसंबर से ऐसे जुटी थी बचाव में
इस मामले को लेकर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता नीरज सोनी ने बताया कि दो दिसंबर को हाईकोर्ट के आदेश हुए थे। इसके बाद से ही टीआई व अन्य पुलिस अधिकारियों के मेरे पास और पार्टी के पास फोन आ रहे थे। वहीं, मैंने मना कर दिया था। याचिकाकर्ता को 3 दिसंबर को थाने बुलाया गया था। कई बड़े पुलिस अधिकारियों ने उनसे बात की थी।
मेरे पास 4 दिसंबर को सुबह साढ़े नौ बजे याचिकाकर्ता का फोन आया था। याचिकाकर्ता ने बोला कि वह याचिका वापस लेना चाहते हैं, बहुत फोन आ रहे हैं। मैंने कहा कोर्ट आ जाओ। चार दिसंबर को सुनवाई के पहले याचिका वापस लेने के लिए शपथपत्र बनवाना था। इसके लिए याचिकाकर्ता गए थे।
वहीं, इसी बीच हाईकोर्ट में सुनवाई हो गई और हाईकोर्ट ने टीआई, पुलिस का पक्ष सुना और आदेश जारी कर दिया था। इसके चलते उस दिन याचिका वापस नहीं हो सकी थी।
हालांकि याचिकाकर्ता आकाश तिवारी ने द सूत्र को बताया था कि दबाव, प्रभाव वाली बात नहीं है। मैंने अपने परिजनों से पूछे बिना याचिका दायर की थी। जब यह मामला मीडिया में उछल गया तो परिजनों को पता चला और उनके कहने पर मैंने याचिका वापस ली।
सुप्रीम कोर्ट में आज टीआई पटेल का केस
टीआई पटेल इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट में फंसे हुए हैं। टीआई इसके पहले एक आरोपी अनवर हुसैन पर चार की जगह आठ केस होने का शपथपत्र पेश कर चुके हैं। इसके चलते आरोपी की हाईकोर्ट में जमानत नहीं हुई थी। उस पर दुष्कर्म तक के आरोप बता दिए हैं।
मामला सुप्रीम कोर्ट गया तो वहां सफाई दी कि दो आरोपियों के नाम एक जैसे होने से यह चूक हो गई थी। वहीं, इसे भी सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर मामला माना और व्यक्ति की आजादी से जुड़ा माना है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने एडिशनल डीसीपी, टीआई को भी तलब किया था।
बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इसमें सीपी इंदौर, एडिशनल डीसीपी और टीआई तीनों को ही केस में पक्षकार बनाने के आदेश दे दिए थे। वहीं इसी केस में लगे एक आवेदन से और खुलासा हुआ कि 165 केस में दो तय गवाह ही बनाए जा रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने यहां तक कह दिया था कि दुर्भाग्य से उस कुर्सी पर बैठे हो जहां आपको नहीं होना चाहिए था। इस केस में भी नौ दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई प्रस्तावित है।
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