इंदौर चंदननगर टीआई इंद्रमणि पटेल और खाकी की लाज बचाने का सघन अभियान, याचिका वापस

इंदौर चंदननगर थाना प्रभारी इंद्रमणि पटेल के खिलाफ मामला हाईकोर्ट में पहुंच गया है। पुलिस और कोर्ट के बीच इस मामले में विभागीय और आपराधिक कार्रवाई को लेकर सुनवाई हो रही है। वहीं, अब याचिका वापस लेने की कोशिशें भी तेज हो गई है।

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Sanjay Gupta
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INDORE. इंदौर के चंदननगर टीआई इंद्रमणि पटेल का मामला सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में पहुंच गया है। वहीं, खाकी के मान का भी सवाल उठ गया है। इस लाज को बचाने के लिए चल रहे अभियान में पुलिस को आंशिक सफलता मिल गई है।

हाईकोर्ट इंदौर खंडपीठ में लगी याचिका को वापस लेने और वकील बदलने तक का आवेदन लग गया है। इसके लिए तीन दिसंबर से पुलिस लगी हुई थी। इसमें दबाव, प्रभाव सभी तरह की बातें सामने आ रही हैं।

इस मामले में 9 दिसंबर को सुनवाई होनी है। इंदौर हाईकोर्ट ने पुलिस कमिश्नर से टीआई पटेल के खिलाफ क्या विभागीय और आपराधिक कार्रवाई प्रस्तावित की जा रही है, इसकी जानकारी मांगी है।

यह है मामला

पाक्सो केस में आरोपी संजय दुबे फरार है। ऐसे में इसकी जानकारी जुटाने चंदननगर पुलिस ने उनके बेटे राजा दुबे को 26 नवंबर को पकड़ा लिया था। वहीं, थाने में हथकड़ी लगाकर बैठा दिया था। उनके साले आकाश तिवारी को यह जानकारी 27 नवंबर को मिली थी। आकाश ने हाईकोर्ट में हैबियस कार्पस याचिका दायर कर दी थी। इसकी भनक लगते ही पुलिस ने 27 नवंबर की रात को राजा को छोड़ दिया था।

इसके बाद हाईकोर्ट ने 2 दिसंबर को मामले की सुनवाई की थी। कोर्ट ने 26 और 27 नवंबर के फुटेज के साथ टीआई को 4 दिसंबर को पेश होने का आदेश दिया थी। 4 दिसंबर को हाईकोर्ट में पेश हुए टीआई पटेल ने खुद माना कि राजा को हथकड़ी लगाई थी। वह थाने से भाग नहीं जाए इसलिए हथकड़ी लगाई थी।

इस पर हाईकोर्ट ने तल्ख लहजे में कहा तो फिर बेड़ियां भी पहना देते। साथ ही, कोर्ट ने कहा कि यह संविधान में धारा 21 में दिए मौलिक अधिकार का उल्लंघन का गंभीर मसला है। पुलिस कमिश्नर 9 दिसंबर को बताएं कि पटेल के खिलाफ क्या विभागीय कार्रवाई और आपराधिक कार्रवाई प्रस्तावित कर रहे हैं।

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अब पुलिस 3 दिसंबर से ऐसे जुटी

इस मामले को लेकर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता नीरज सोनी ने बताया कि दो दिसंबर को हाईकोर्ट के आदेश हुए थे। इसके बाद से ही टीआई व अन्य पुलिस अधिकारियों के मेरे पास और पार्टी के पास फोन आ रहे थे। वहीं, मैंने मना कर दिया था। याचिकाकर्ता को 3 दिसंबर को थाने बुलाया गया था। कई बड़े पुलिस अधिकारियों ने उनसे बात की थी।

मेरे पास 4 दिसंबर को सुबह साढ़े नौ बजे याचिकाकर्ता का फोन आया था। याचिकाकर्ता ने बोला कि वह याचिका वापस लेना चाहते हैं, बहुत फोन आ रहे हैं। मैंने कहा कोर्ट आ जाओ। चार दिसंबर को सुनवाई के पहले याचिका वापस लेने के लिए शपथपत्र बनवाना था। इसके लिए याचिकाकर्ता गए थे।

वहीं, इसी बीच हाईकोर्ट में सुनवाई हो गई और हाईकोर्ट ने टीआई, पुलिस का पक्ष सुना और आदेश जारी कर दिया था। इसके चलते उस दिन याचिका वापस नहीं हो सकी थी।

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याचिकाकर्ता दूसरा कारण बता रहे

वहीं इस संबंध में द सूत्र ने याचिकाकर्ता आकाश तिवारी से बात की तो उन्होंने कहा कि दबाव, प्रभाव वाली बात नहीं है। मैंने अपने परिजनों से पूछे बिना याचिका दायर की थी। जब यह मामला मीडिया में उछल गया तो परिजनों को पता चला और उनके कहने पर मैंने याचिका वापस ली है।

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अब याचिका वापस होने से भी कुछ नहीं होगा

वहीं जानकारों का कहना है कि अब याचिका वापस होने से भी कोई लाभ टीआई, पुलिस को होता नहीं दिख रहा है। कारण है कि अब यह मामला हाईकोर्ट और सरकार के बीच मौलिक अधिकारों के उल्लंघन का है। वहीं, हाईकोर्ट मौलिक अधिकारों के लिए कस्टोडियन होती है। ऐसे में याचिका वापस होने का आवेदन 9 दिसंबर को पेश होगा भी तो इसमें हाईकोर्ट सख्त रूख अपना सकता है। साथ ही, सू मोटो भी मामले को ले सकता है।

(इस मामले में टीआई पटेल का पक्ष जानने के लिए द सूत्र ने उन्हें फोन, मैसेज, वाट्सअप किया लेकिन जवाब नहीं आया)

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सुप्रीम कोर्ट में भी फंसे हैं टीआई पटेल

टीआई पटेल इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट में फंसे हुए हैं। टीआई इसके पहले एक आरोपी अनवर हुसैन पर चार की जगह आठ केस होने का शपथपत्र पेश कर चुके हैं। इसके चलते आरोपी की हाईकोर्ट में जमानत नहीं हुई थी। उस पर दुष्कर्म तक के आरोप बता दिए हैं। 

मामला सुप्रीम कोर्ट गया तो वहां सफाई दी कि दो आरोपियों के नाम एक जैसे होने से यह चूक हो गई थी। वहीं, इसे भी सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर मामला माना और व्यक्ति की आजादी से जुड़ा माना है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने एडिशनल डीसीपी, टीआई को भी तलब किया था।

बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इसमें सीपी इंदौर, एडिशनल डीसीपी और टीआई तीनों को ही केस में पक्षकार बनाने के आदेश दे दिए थे। वहीं इसी केस में लगे एक आवेदन से और खुलासा हुआ कि 165 केस में दो तय गवाह ही बनाए जा रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने यहां तक कह दिया था कि दुर्भाग्य से उस कुर्सी पर बैठे हो जहां आपको नहीं होना चाहिए था। इस केस में भी नौ दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई प्रस्तावित है।

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