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इंदौर के चंदननगर टीआई इंद्रमणि पटेल पहले ही एक केस में सुप्रीम कोर्ट में उलझे हुए हैं। अब हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने उनके खिलाफ सख्त आदेश दिए हैं। मामला POCSO के एक आरोपी संजय दुबे को नहीं पकड़ पाने से जुड़ा है। आरोपी पकड़ में नहीं आने पर पुलिस ने बेवजह उसके बेटे राजा दुबे को पकड़ा और गैर कानूनी तरीके से लॉकअप में रखा।
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हाईकोर्ट ने दिए पुलिस कमिश्नरको आदेश
इस मामले में राजा दुबे के लॉकअप में होने के बाद उनके साले आकाश तिवारी ने अधिवक्ता नीरज सोनी के जरिए रिट पिटीशन दायर की थी। इसमें हाईकोर्ट ने 4 दिसंबर को टीआई पटेल को पेश होने और थाने के सीसीटीवी फुटेज दिखाने का आदेश दिया था। लेकिन पटेल सीसीटीवी फुटेज लेकर नहीं पहुंचे और बहाना बना दिया कि वह पैनड्राइव में अपलोड नहीं हो रही है।
इस पर हाईकोर्ट ने पहले से पेश किए गए सीसीटीवी फुटेज को पर्याप्त आधार माना। पुलिस कमिश्नर को आदेश दिए कि यह मामला व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। इसलिए संबंधित टीआई इंद्रमणि पटेल के खिलाफ विभागीय जांच और आपराधिक कार्रवाई दोनों की जाए।
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पहले ही सीसीटीवी ले चुके थे याचिकाकर्ता
राजा दुबे को पुलिस ने महालक्ष्मी नगर इंदौर से एक सैलून से 26 नवंबर को सुबह 11 बजे उठाया और लॉकअप में बंद कर दिया। यह बात उनके साले आकाश तिवारी को पता चली तो वह छुड़ाने गए लेकिन पुलिस ने कुछ नहीं किया।
उन्होंने थाने के सीसीटीवी फुटेज जमा किए। 27 नवंबर को बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका हाईकोर्ट में अधिवक्ता नीरज सोनी के जरिए लगा दी। याचिका लगने की खबर मिलने पर पुलिस ने 27 नवंबर की रात करीब साढ़े ग्यारह बजे राजा को छोड़ दिया।
आरोप है कि उसे बिना किसी कारण के लॉकअप में करीब 35 घंटे तक थाने में बंदी बनाकर रखा गया। यह सीसीटीवी फुटेज हाईकोर्ट में पेश किए गए।
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हाईकोर्ट ने कहा सीसीटीवी सुरक्षित रखें
हाईकोर्ट ने टीआई पटेल को आदेश दिए थे कि वह सीसीटीवी फुटेज 4 दिसंबर को पेश करें। टीआई ने बहानेबाजी की और कहा कि वह पेन ड्राइव में लोड नहीं हो रहे हैं।
इस पर हाईकोर्ट जस्टिस विजय कुमार शुक्ला और जस्टिस बिनोद कुमार द्विवेदी ने कहा कि हमारे पास याचिकाकर्ता द्वारा पेश फुटेज हैं, जो पर्याप्त हैं। थाने के सीसीटीवी को सुरक्षित रखा जाए। पुलिस कमिश्नर संबंधित टीआई की विभागीय जांच और आपराधिक कार्रवाई दोनों करें।
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सुप्रीम कोर्ट में भी फंसे हैं टीआई पटेल
इंदौर पुलिस के टीआई पटेल का यह पहला कारनामा नहीं है। इसके पहले भी टीआई पटेल ने एक आरोपी के खिलाफ चार के बजाय आठ केस होने का शपथपत्र पेश किया था। इसके चलते उस आरोपी को हाईकोर्ट में जमानत नहीं मिल पाई थी।
उन्होंने उस पर दुष्कर्म जैसे गंभीर आरोप भी लगा दिए थे। जब मामला सुप्रीम कोर्ट गया, तो पटेल ने सफाई दी कि दो आरोपियों के नाम एक जैसे होने के कारण यह गलती हो गई। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इसे भी गंभीर मामला मानते हुए इसे व्यक्ति की आज़ादी से जुड़ा मुद्दा माना। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने एडिशनल डीसीपी, टीआई को भी तलब किया। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सीपी इंदौर, एडिशनल डीसीपी और टीआई को पक्षकार बनाने का आदेश दिया।
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