कफ सिरप से बच्चों की मौत के मामले में बड़ा एक्शन, 32 कंपनियों की जांच, 7 में खामियां, 5 पर लगी रोक

कफ सिरप पीने से बच्चों की मौत के मामले में अब कार्रवाई तेज हो गई है। इसके बाद 32 कंपनियों की जांच की गई, जिनमें से 7 कंपनियों में खामियां पाई गई हैं।

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Amresh Kushwaha
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मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में बच्चों की मौत का मामला लंबी समय से चर्चा में है। इस घटना में बच्चों की मौत कथित तौर पर कोल्ड्रिफ सिरप (Coldrif Syrup) पीने से हुई थी। ऐसे में मध्यप्रदेश सरकार ने दवा कंपनियों की जांच के निर्देश दिए थे।

इसके बाद सिरप बनाने वाली 32 दवा कंपनियों के केंद्रों की जांच शुरू कर दी गई थी। वहीं, अब तक 7 कंपनियों की जांच पूरी हो चुकी है। साथ ही, इनमें कई खामियां पाई गई हैं।

कड़ी जांच में 7 कंपनियों में खामियां

खाद्य और औषधि प्रशासन विभाग (MPFDA) ने केंद्रीय औषधि विभाग के साथ जांच शुरू की है। ड्रग कंट्रोलर दिनेश श्रीवास्तव के अनुसार, शुरुआती जांच में सात कंपनियों की जांच पूरी हो चुकी है। इन कंपनियों में कई गंभीर अनियमितताएं पाई गई हैं। जांच के दौरान यह पाया गया कि कई कंपनियां दवा निर्माण के मानकों का पालन नहीं कर रही थीं।

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5 कंपनियों पर लगी रोक

इसके बाद पांच कंपनियों के प्रोडक्शन पर रोक लगा दी गई है। साथ ही, इन कंपनियों को नोटिस भी जारी किया गया। इंदौर की एक कंपनी मेसर्स एडकॉन लैब का लाइसेंस रद्द कर दिया गया है।

मध्यप्रदेश दवा कंपनियों की जांच वाली खबर पर एक नजर...

  • छिंदवाड़ा में बच्चों की मौत: मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में बच्चों की मौत कथित रूप से कोल्डरिप सिरप पीने से हुई थी, जिसके बाद जांच शुरू हुई।

  • 32 कंपनियों की जांच: सिरप बनाने वाली 32 कंपनियों की जांच शुरू की गई, जिसमें से 7 कंपनियों की जांच पूरी हो चुकी है और कई खामियां पाई गईं।

  • कड़ी कार्रवाई: 5 कंपनियों पर प्रोडक्शन रोक लगा दी गई और इनमें से इंदौर की एक कंपनी का लाइसेंस रद्द किया गया।

  • नोटिस मिलने वाली कंपनियां: कई कंपनियों को नोटिस जारी किए गए, जिनमें मेसर्स एडकॉन लैब का लाइसेंस रद्द किया गया।

  • जांच में देरी: मध्यप्रदेश फूड एंड ड्रग अथॉरिटी के पास सीमित संसाधन होने के कारण जांच में देरी हो रही है, हालांकि सैंपल कलेक्शन जारी है।

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जांच में देरी क्यों हो रही है?

मध्यप्रदेश में दवाओं की जांच करने वाली एजेंसी, मध्यप्रदेश फूड एंड ड्रग अथॉरिटी, के पास पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। इस वजह से 32 कंपनियों में से अब तक सिर्फ सात कंपनियों की ही जांच पूरी हो पाई है। हालांकि, सैंपल लेना लगातार जारी है।

अधिकारियों के मुताबिक, सैंपल कलेक्शन का काम चल रहा है, लेकिन रिपोर्ट आने का समय अभी साफ नहीं है। एमपी एफडीए के ड्रग कंट्रोलर दिनेश श्रीवास्तव का कहना है कि जांच प्रक्रिया जारी है, लेकिन संसाधनों की कमी की वजह से रिपोर्ट्स में थोड़ा समय लग रहा है।

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रद्द हो चुका दवा कंपनी का लाइसेंस

जांच के बाद, तमिलनाडु और मध्य प्रदेश के औषधि नियंत्रण अधिकारियों ने पुष्टि की कि कफ सिरप में DEG की मिलावट हुई थी। इसके चलते कई राज्यों ने इस सिरप के वितरण पर प्रतिबंध लगा दिया है। साथ ही, अपने औषधि नियंत्रण अधिकारियों को सतर्क किया है। इसके अलावा, तमिलनाडु के अधिकारियों ने श्रेसन फार्मास्युटिकल्स के लाइसेंस को रद्द कर दिया है और कंपनी को बंद कर दिया है।

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नशीली कफ सिरप का बढ़ता कारोबार

रीवा रेंज के आईजी गौरव राजपूत ने नशीली कफ सिरप (codeine cough syrup) के बढ़ते कारोबार पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि यह सिरप अब केवल शहरी इलाकों तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि यह गांवों, गलियों और मोहल्लों में भी पहुंच चुका है। उन्होंने पुलिसकर्मियों से अपील की कि वे इस खतरे को गंभीरता से लें और अपनी जिम्मेदारी निभाएं।

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नशीली सिरप पर पुलिस की कार्रवाई

आईजी ने यह भी बताया कि एमपी पुलिस ने हाल ही में नशीली कफ सिरप के खिलाफ कई बड़ी कार्रवाई की है। 7 अक्टूबर 2025 को शहडोल के देवलोंद थाना क्षेत्र में 180 शीशी नशीली सिरप जब्त की गई थी, और तीन लोग गिरफ्तार हुए थे।

इसके बाद 21 अक्टूबर 2025 को रीवा के सोहागी थाना क्षेत्र में 1320 शीशी नशीली सिरप बरामद की गई, जिसकी कीमत करीब 6 लाख रुपए थी। उसी दिन मऊगंज में 4500 शीशी नशीली सिरप जब्त की गई, जो उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) से मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) लाई जा रही थी।

इसके बाद 26 अक्टूबर 2024 को रीवा में 600 पेटी नशीली सिरप जब्त की गई, जिसकी कीमत 1.22 करोड़ रुपए बताई गई।

क्या है कफ सिरप कांड?

छिंदवाड़ा समेत मध्य प्रदेश के कई जिलों में बीते कुछ महीनों से बच्चों की मौत हो रही थी। इसमें गंभीर बीमारियों और मौत के पीछे एक संदिग्ध कफ सिरप को जिम्मेदार माना जा रहा है। वहीं, इसी मामले में जांच एजेंसियां सिरप के सैंपल की फॉरेंसिक जांच में जुटी हैं।

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