एमपी के 34 विभागों की बड़ी लापरवाही, अधूरे प्रोजेक्ट्स का 5 महीने से नहीं दे पा रहे रिपोर्ट

मध्य प्रदेश के 34 विभाग 5 महीने से रिपोर्ट नहीं दे पाए हैं। बैंकों में जमा राशि और अधूरी परियोजनाओं की जानकारी नहीं दी जा रही है। इससे वित्तीय रिपोर्टिंग प्रभावित हो रही है।

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Amresh Kushwaha
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मध्य प्रदेश के 34 विभाग अब तक यह नहीं बता पाए हैं कि 31 मार्च 2025 तक उनके विभागों के बजट नियंत्रण अधिकारियों (BCOs) ने बैंकों में कितनी राशि जमा की थी। इसके अलावा, निर्माण विभागों से यह जानकारी भी नहीं आई है कि इस अवधि में कौन-कौन से बड़े कार्य और परियोजनाएं अधूरी रही हैं। इस स्थिति का असर राज्य सरकार की वित्तीय रिपोर्टिंग पर पड़ रहा है।

वित्तीय रिपोर्टिंग की गंभीर स्थिति

एमपी वित्त विभाग के अधिकारियों के अनुसार, विभागों की यह लापरवाही सरकार की वित्तीय रिपोर्टिंग पर सीधे असर डाल रही है। इससे राज्य के वित्तीय लेनदेन का ब्यौरा तैयार करने में समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। महालेखाकार कार्यालय ने बार-बार विभागों से जानकारी मांगी है, लेकिन अब तक कोई ठोस जवाब नहीं मिला।

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विभागों के समक्ष बड़ी चुनौती

मध्य प्रदेश के 58 बजट नियंत्रण अधिकारियों (BCOs) के जरिए वित्तीय जानकारी न देने के कारण संबंधित विभागों में वित्तीय पारदर्शिता की कमी है। जिन विभागों से जानकारी नहीं मिली, इनमें ये प्रमुख विभाग शामिल हैं -

  • मध्यप्रदेश राजस्व विभाग
  • लोक परिसंपत्ति प्रबंधन
    एमएसएमई
    जनजातीय कार्य विभाग
    नवीन और नवकरणीय ऊर्जा
    अनुसूचित जाति कल्याण
    कुटीर एवं ग्रामोद्योग
    महिला एवं बाल विकास विभाग एमपी
    वाणिज्यिक कर
    संसदीय कार्य
    विमानन
    लोक सेवा प्रबंधन
    तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोजगार
    वित्त विभाग
    उच्च शिक्षा
    सामान्य प्रशासन
    वन विभाग
    खनिज साधन
    किसान कल्याण एवं कृषि विकास
    श्रम विभाग
    लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा
    नगरीय विकास एवं आवास
    लोक निर्माण विभाग
    गृह विभाग
    स्कूल शिक्षा
    विधि एवं विधायी कार्य
    जनसंपर्क विभाग
    खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण
    संस्कृति विभाग
    मछुआ कल्याण एवं मत्स्य विभाग

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महालेखाकार कार्यालय के पत्र के बाद भी जवाब नहीं

महालेखाकार कार्यालय ने 2025 तक विभागों से वित्तीय जानकारी की आवश्यकता को गंभीरता से लिया है। अब तक, इस साल अप्रैल, मई, और जुलाई में विभागों से जानकारी भेजने के लिए पत्र भेजे गए हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस जवाब नहीं मिला है। वहीं 1 अगस्त को मुख्य सचिव को भी पत्र भेजकर जानकारी प्राप्त करने का प्रयास किया गया है।

मध्य प्रदेश सरकार से मांगी गई वित्तीय जानकारी

वित्त विभाग ने 31 मार्च 2025 तक की स्थिति में ये वित्तीय जानकारी मांगी थी-

  • निर्धारित बजट के अलावा अन्य खर्च

  • अनपेड बिलों से संबंधित देनदारियां

  • आउटसाइड फंड ऑपरेशन की स्थिति

  • बैंकों में जमा राशि

  • पंचायत राज संस्थाओं को दी जाने वाली बकाया ग्रांट

  • PPP मोड और जनभागीदारी के तहत हुए निवेश की जानकारी

  • नई योजनाओं पर लिए गए नीतिगत निर्णयों का संभावित कैश फ्लो

  • संस्थाओं को दी गई ग्रांट की पूरी जानकारी

  • सिंचाई परियोजनाओं के वित्तीय परिणाम

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अब तक नहीं दी गई अहम जानकारी

इनके अलावा कई अन्य जानकारियां भी समय पर नहीं दी गई हैं, जैसे-

  • बिजली योजनाओं के वित्तीय परिणाम

  • अपूर्ण बड़े कार्यों की सूची

  • नए ऋण और अग्रिम (एडवांस) की जानकारी

  • ऋण की अदायगी और बकाया स्थिति

  • ऋण और अग्रिम का समेकित विवरण (समरी)

  • निगमों, सरकारी कंपनियों और सहकारी संस्थाओं को दी गई सहायता, ऋण व लाभांश की रिपोर्ट

एमपी वित्तीय रिपोर्टिंग | MP News

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