मध्य प्रदेश में धान खरीदी में भारी फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। मुख्यमंत्री मोहन यादव के निर्देश पर आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) ने 12 जिलों की 150 उपार्जन समितियों और 140 वेयरहाउसेस में छापेमारी की। इस दौरान करीब 19,910.53 क्विंटल धान की हेराफेरी पकड़ी गई, जिससे सरकार को 5 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।
12 जिलों में ट्रांसपोर्टर्स और वेयरहाउसेस की भूमिका संदिग्ध
जांच की गई समितियां और वेयरहाउसेस बालाघाट, जबलपुर, डिंडोरी, रीवा, सतना, मैहर, सागर, पन्ना, ग्वालियर, नर्मदापुरम, नरसिंहपुर और श्योपुर जिलों में स्थित हैं। EOW को शक है कि इस हेराफेरी में उपार्जन समिति के पदाधिकारियों के अलावा ट्रांसपोर्टर, वेयरहाउस संचालक और राइस मिल मालिक भी शामिल हो सकते हैं।
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सतना में धान की जगह मिला भूसा
EOW की जांच में सबसे चौंकाने वाला मामला सतना जिले के कनक वेयरहाउस में सामने आया, जहां 535 क्विंटल धान की जगह भूसा भरा हुआ मिला। यह स्टॉक सेवा सहकारी समिति पिंडरा और सेवा सहकारी समिति हिरौंदी, सतना द्वारा जमा कराया गया था।
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सरकार ने दिए सख्त कार्रवाई के आदेश
इस तरह के घोटालों से सरकार को हर साल करोड़ों की चपत लगती है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस घोटाले पर सख्त रुख अपनाते हुए EOW को प्रभावी कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे, जिसके बाद छापेमारी शुरू की गई।
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EOW की जांच जारी, जल्द होंगे बड़े खुलासे
EOW की जांच अभी जारी है और कई अन्य जिलों में भी ट्रांसपोर्टर्स, वेयरहाउसेस और राइस मिलों की भूमिका की पड़ताल की जा रही है। यह घोटाला राज्य में धान खरीदी व्यवस्था की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा करता है और आने वाले दिनों में कई बड़े नाम सामने आ सकते हैं।
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