MP में क्राइम जस्टिस सिस्टम होगा ऑनलाइन, पुलिस, वकील, डॉक्टर, जेल विभाग तुरंत देंगे रिपोर्ट

मध्य प्रदेश में आपराधिक न्याय प्रणाली को डिजिटल बनाने की पहल शुरू हो गई है। देवास जिला पायलट जिले के रूप में चयनित किया गया है, जहां विवेचक टेबलेट के माध्यम से डिजिटल विवेचना करेंगे।

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Rohit Sahu
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मध्य प्रदेश में अब आपराधिक न्याय प्रणाली को पूरी तरह डिजिटल बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस पहल के तहत देवास जिले को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चुना गया है। इस परियोजना के अंतर्गत आपराधिक न्याय व्यवस्था के सभी महत्वपूर्ण स्तंभों को ऑनलाइन जोड़ा जाएगा। इससे पुलिस, स्वास्थ्य विभाग, अभियोजन, न्यायालय और जेल प्रशासन को आवश्यक दस्तावेज तुरंत उपलब्ध हो सकेंगे।

ई-विवेचना: विवेचकों को मिलेंगे टेबलेट

पायलट प्रोजेक्ट के तहत देवास जिले के विवेचकों को 300 टेबलेट दिए जाएंगे। इन टेबलेट की मदद से घटनास्थल के फोटो, नक्शा मौका, बयान, जब्ती पत्रक और अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज डिजिटल रूप से संग्रहित किए जाएंगे। इस नई व्यवस्था से न्याय प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और तेज होगी।

ई-समन और वारंट व्यवस्था 

न्यायालय से जारी होने वाले समन और वारंट अब ऑनलाइन भेजे जाएंगे। यह जानकारी संबंधित थाना प्रभारी की सीसीटीएनएस (CCTNS) आईडी में उपलब्ध होगी। इस प्रक्रिया से समन और वारंट की त्वरित तामील सुनिश्चित की जाएगी।

डिजिटल प्लेटफॉर्म से जुड़े सभी विभाग

न्याय प्रणाली के तहत विभिन्न विभागों के बीच सूचना के आदान-प्रदान को सुचारू बनाने के लिए पुलिस, स्वास्थ्य, अभियोजन, न्यायालय और जेल विभाग को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से जोड़ा जा रहा है। इस प्रणाली से सभी एमएलसी (MLC), पोस्टमार्टम रिपोर्ट, एफएसएल जांच और अभियोजन से संबंधित दस्तावेज ऑनलाइन उपलब्ध होंगे।

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जेल प्रशासन की निगरानी होगी आसान

आईसीजेएस (ICJS) पोर्टल के माध्यम से अब जेल प्रशासन से संबंधित सभी सूचनाएं ऑनलाइन उपलब्ध होंगी। किसी भी कैदी से मिलने वालों का रिकॉर्ड, उसकी सजा का विवरण और संभावित रिहाई की तारीख अब एक क्लिक में देखी जा सकेगी।

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डिजिटल न्याय व्यवस्था के फायदे

  • तेजी से न्याय प्रक्रिया: समन, वारंट और विवेचना से जुड़े कार्य ऑनलाइन होने से न्यायिक प्रक्रिया में तेजी आएगी।

  • पारदर्शिता में वृद्धि: सभी डॉक्यूमेंट ऑनलाइन उपलब्ध होंगे, जिससे किसी भी प्रकार की धांधली की संभावना कम होगी।

  • सूचनाओं का त्वरित आदान-प्रदान: पुलिस, अभियोजन, स्वास्थ्य विभाग और न्यायालय के बीच सूचनाओं का तत्काल आदान-प्रदान संभव होगा।

  • कागजी कार्यवाही में कमी: पूरी प्रक्रिया पेपरलेस होने से कागजों की बचत होगी और रिकॉर्ड प्रबंधन आसान होगा।

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