/sootr/media/media_files/2025/02/20/b52anfZy71gLgVFB0t7s.jpg)
मध्य प्रदेश में 15 हजार से अधिक डॉक्टर 20 फरवरी 2025 यानी आज से आंदोलन शुरू करने जा रहे हैं। यह आंदोलन लंबित डीएसीपी, सातवें वेतन का लाभ, और डॉक्टर्स के कार्य में बढ़ती प्रशासनिक दखलंदाजी सहित कई अन्य समस्याओं के खिलाफ है। डॉक्टर महासंघ ने इस आंदोलन का ऐलान किया है, जिसमें शासकीय डॉक्टर मेडिकल कॉलेजों, जिला अस्पतालों और सिविल अस्पतालों में काली पट्टी बांधकर प्रदर्शन करेंगे और दोपहर को आधे घंटे का काम बंद करेंगे। इस आंदोलन के दौरान हमीदिया अस्पताल में विरोध प्रदर्शन भी होगा।
ये खबर भी पढ़िए...MP में स्वास्थ्य संकट! चिकित्सा महासंघ ने किया हड़ताल का ऐलान, जानिए कारण
मध्य प्रदेश के डॉक्टर्स का आंदोलन
इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य राज्य सरकार से डॉक्टर्स की लंबित मांगों को पूरा करवाना है, जिनमें डीएसीपी, सातवें वेतन आयोग का लाभ और प्रशासनिक हस्तक्षेप में कमी लाने की मांग शामिल है। डॉक्टर महासंघ ने इस आंदोलन की घोषणा की है और सभी डॉक्टरों को इसमें भाग लेने के लिए प्रेरित किया है। प्रदेशभर के शासकीय डॉक्टर इस आंदोलन में सक्रिय रूप से हिस्सा लेंगे, जिससे राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव पड़ने की संभावना है।
डॉक्टर्स ऐसे करेंगे प्रदर्शन
20 फरवरी से शुरू होने वाले इस आंदोलन में प्रदेशभर के शासकीय डॉक्टर काली पट्टी बांधकर काम करेंगे। इसके साथ ही, दोपहर 1 बजे से आधे घंटे के लिए काम बंद कर विरोध प्रदर्शन करेंगे। इस दौरान, भोपाल में हमीदिया अस्पताल ब्लॉक 2 के सामने 15 मिनट का विरोध प्रदर्शन भी होगा। इसके बाद, 21 फरवरी को डॉक्टर अमानक दवाओं की होली जलाकर अपनी नाराजगी जताएंगे। 22 फरवरी को कार्यस्थल के बाहर टोकन विरोध प्रदर्शन होगा, लेकिन इमरजेंसी सेवाएं चालू रहेंगी। 24 फरवरी को प्रदेशभर में सामूहिक उपवास और अन्न व जल त्याग कर एक घंटे का विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। 25 फरवरी को डॉक्टर प्रदेशव्यापी काम बंद आंदोलन करेंगे, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं में व्यापक असर हो सकता है।
ये खबर भी पढ़िए...सैलरी के लिए हमीदिया के 500 वार्ड बॉय और टेक्नीशियन की हड़ताल पर
किस लिए डॉक्टर्स कर रहे आंदोलन
डॉक्टर महासंघ के अध्यक्ष डॉ. राकेश मालवीय के अनुसार, मध्य प्रदेश सरकार और प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा कई मुद्दों पर लंबित कार्रवाई और न्यायिक आदेशों का पालन न किए जाने के कारण डॉक्टर्स को यह कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है और कैबिनेट के निर्णयों के बावजूद 17 महीने बाद भी विभागीय आदेशों का पालन नहीं किया गया है। इसके साथ ही, महिला डॉक्टर्स की सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट और नेशनल टास्क फोर्स के दिशानिर्देशों का पालन भी नहीं किया जा रहा है, जो इस आंदोलन की मुख्य वजह है।
ये खबर भी पढ़िए...नसबंदी के बाद भी प्रेग्नेंट हुई महिला, परिवार ने डॉक्टर्स पर लगाए लापरवाही के आरोप
डॉक्टर्स की समस्याएं
डॉ. राकेश मालवीय ने यह भी बताया कि डॉक्टर्स को लगातार प्रशासनिक दखलंदाजी का सामना करना पड़ रहा है, जो उनके कार्यों को प्रभावित कर रही है। सरकारी अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टर्स का मानना है कि इन दखलअंदाजियों के कारण उनका कार्य प्रभावी नहीं हो पा रहा है, जिससे आम जनता को सही स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं। इसके अलावा, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की उदासीनता और उनके द्वारा की गई लापरवाही के कारण डॉक्टर्स का आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
डॉक्टरों की ये हैं प्रमुख मांगें
1. चिकित्सक महासंघ के डॉक्टर्स के मूलभूत विषयों का समयबद्ध निराकरण।
2. नीतिगत, तकनीकी, चिकित्सकीय विषयों के निर्धारण में महासंघ के पदाधिकारी और विभागीय अधिकारियों को शामिल कर उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाए।
3. मप्र. मंत्रिपरिषद की 4 अक्टूबर की बैठक के निर्णय के क्रियान्वयन की मांग।
4. इसमें चिकित्सा शिक्षकों को सातवें वेतनमान का वास्तविक लाभ और मूल वेतन का निर्धारण किया जाए।
5.समयमान, चयन वेतनमान के आदेशों का 1 माह में क्रियान्वयन किया जाना।
6.राज्य शासन द्वारा डॉक्टर्स को मंजूर गए समयमान, चयन वेतनमान के डेढ़ पूर्व जारी आदेश का लाभ एक माह में किया जाना ।