कांग्रेस के एक सवाल से सामने आया एमपी शिक्षा विभाग का एक नया कारनामा, मंत्री ने दिया जवाब

मध्यप्रदेश के शिक्षा विभाग का अजीब कारनामा सामने आया है। विभाग ने शिक्षकों के ट्रांसफर के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे और उनके ट्रांसफर किए थे। वहीं अब इसको लेकर कांग्रेस ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

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Amresh Kushwaha
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मध्यप्रदेश में स्कूल शिक्षा विभाग ने ट्रांसफर प्रक्रिया को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा किया है। विभाग ने शिक्षकों के तबादलों के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे थे। इनमें 4503 शिक्षकों ने आवेदन किया, लेकिन विभाग ने 11 हजार 584 शिक्षकों के तबादले कर दिए। यह मामला कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह के जरिए विधानसभा में उठाए गए सवाल के बाद सामने आया है।

शिक्षा विभाग के ट्रांसफर पर विवाद

कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह ने कहा कि इस पोर्टल पर लाखों रुपए खर्च किए गए, लेकिन इसके कारण शिक्षकों की समस्याएं हल नहीं हो पाई। उनका कहना था कि इस पोर्टल के चलते ट्रांसफर प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं आई। इसके अलावा, उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि ट्रांसफर के नियमों के अनुसार, केवल 10% शिक्षकों के तबादले किए जा सकते थे, लेकिन 4 से 5% शिक्षकों का ही तबादला हुआ। इसका मुख्य कारण यह था कि अधिकतर शिक्षक ऑनलाइन आवेदन नहीं कर पाए थे।

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11 हजार 584 तबादले क्यों हुए?

मध्यप्रदेश शिक्षा विभाग के आंकड़े बताते हैं कि 4503 शिक्षकों ने ट्रांसफर के लिए आवेदन किया था, लेकिन विभाग ने कुल 11 हजार 584 शिक्षकों के तबादले किए। इसमें से 7976 शिक्षकों के स्वैच्छिक ट्रांसफर थे, जबकि 3608 शिक्षकों के प्रशासकीय स्तर पर तबादले किए गए थे। इस पर कांग्रेस ने सवाल उठाया कि जब 4503 शिक्षकों ने आवेदन किया था, तो 7976 शिक्षकों का स्वैच्छिक ट्रांसफर कैसे हुआ?

एमपी शिक्षा विभाग हुए ट्रांसफर मामले पर कांग्रेस ने उठाए सवाल...

  • पोर्टल पर लाखों रुपए खर्च होने के बावजूद ट्रांसफर प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं आई और शिक्षक समस्याओं का समाधान नहीं हुआ।
  • 11 हजार 584 शिक्षकों के तबादले – जबकि 4503 शिक्षकों ने ट्रांसफर के लिए आवेदन किया था, 7976 शिक्षकों के स्वैच्छिक और 3608 के प्रशासकीय ट्रांसफर हुए, जिस पर सवाल उठाए गए।

  • शिक्षा विभाग ने 5.70 करोड़ रुपए खर्च कर नया पोर्टल 3.0 विकसित किया, कांग्रेस ने पूछा कि इतना खर्च क्यों किया गया जब सस्ते में पोर्टल बनाए जा सकते थे।

  • पोर्टल कई बार क्रैश हुआ, और इसमें कई समस्याएं आईं, जिसके बारे में विधायक जयवर्धन सिंह ने आरोप लगाए।

  • शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने कहा कि भाजपा सरकार नियमों के तहत काम कर रही है, और कांग्रेस के समय में तबादले अधिक मनमानी तरीके से होते थे।

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पोर्टल पर खर्च को लेकर कांग्रेस का सवाल

मध्यप्रदेश शिक्षा विभाग ने ट्रांसफर प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए एक नया पोर्टल 3.0 विकसित कराया है। इस पोर्टल की लागत करीब 5 करोड़ 70 लाख रुपए थी। वहीं इसे केंद्र सरकार की संस्था निक्सी के जरिए तैयार किया गया। पोर्टल का उद्देश्य ट्रांसफर से संबंधित सभी जानकारी एक जगह पर उपलब्ध कराना था। हालांकि, कांग्रेस ने सवाल उठाया कि इतना बड़ा खर्च क्यों किया गया, जबकि ऐसे पोर्टल्स अब आसानी से और सस्ते में बनाए जा सकते हैं।

पोर्टल कई बार हुआ क्रैश

विभाग के शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने विधानसभा में यह स्पष्ट किया कि पोर्टल बनाने के लिए निक्सी को काम दिया गया था और इसकी पांच साल की अवधि तय की गई है। पोर्टल पर स्वैच्छिक और प्रशासकीय स्थानांतरण से संबंधित डेटा रखा जाता है, लेकिन विधायक जयवर्धन सिंह ने आरोप लगाया कि इस पोर्टल पर कई समस्याएं आईं और कई बार क्रैश भी हुआ।

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भाजपा सरकार नियमों के अनुसार करती है काम

स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने कांग्रेस के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि उनकी भाजपा सरकार नियमों के अनुसार काम करती है। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस के समय में स्थानांतरण में अधिक मनमानी होती थी, जहां कलम के जरिए शिक्षकों का तबादला किया जाता था। लेकिन अब सरकार ने एक व्यवस्था बनाई है और वह नियमों के दायरे में काम कर रही है।

जानें कैसे काम करता है पोर्टल 3.0

पोर्टल 3.0 को विभिन्न स्तरों जैसे राज्य, संभाग, जिला, विकासखंड, और स्कूल के स्तर पर लॉगिन एक्सेस प्रदान किया गया है। इसके अलावा, पोर्टल पर कर्मचारियों और अधिकारियों की व्यक्तिगत जानकारी भी रखी जाती है। यह पोर्टल प्रशासकीय और स्वैच्छिक दोनों प्रकार के ट्रांसफर की जानकारी उपलब्ध कराता है, हालांकि कांग्रेस ने इसका उपयोग करने में उत्पन्न समस्याओं को लेकर चिंता जताई।

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