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admission Photograph: (The Sootr)
BHOPAL. मध्यप्रदेश में शैक्षणिक संस्थाओं में फीस वसूली में मनमानी लगातार जारी है। हर शैक्षणिक सत्र में निर्देशिका और फीस का निर्धारण तो होता है लेकिन निजी संस्थाएं इन सरकारी आदेशों का खुला उल्लंघन करने से बाज नहीं आतीं। इसका खामियाजा इन संस्थाओं में प्रवेश लेने वाले छात्रों को उठाना पड़ रहा है।
इनदिनों राज्य शिक्षा केंद्र के डीएलएड यानी डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एज्युकेशन पाठ्यक्रम में प्रवेश जारी हैं। स्कूल शिक्षा विभाग इसके लिए शुल्क निर्धारित कर चुका है लेकिन कॉलेज मनमानी फीस वसूल रहे हैं। शिकायतें भी सामने रही हैं, लेकिन प्रभावशाली प्रबंधन के सामने राज्य शिक्षा केंद्र से लेकर जिला प्रशासन भी लाचार नजर आ रहा है।
प्रदेश में 743 कॉलेजों में डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एज्युकेशन पाठ्यक्रम संचालित हैं। इनमें 49 हजार से ज्यादा छात्रों के प्रवेश के लिए सीट हैं। राज्य शिक्षा केंद्र ने इस साल 1 मई से बीएड और डीएलएड कोर्स में एडमिशन प्रक्रिया शुरू की थी। पंजीयन के बाद अब तक दो चरण पूरे हो चुके हैं जबकि तीसरे चरण का बुधवार को अंतिम दिन है।
अब भी 44 सरकारी और 699 निजी कॉलेजों में डीएलएड पाठ्यक्रमों में सीट खाली पड़ी हैं। इसके बावजूद निजी कॉलेजों में एडमिशन के लिए छात्र भटक रहे हैं। इसकी वजह इन निजी कॉलेजों की फीस वसूली बन रही है। कॉलेज प्रबंधन राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा निर्धारित फीस से डेढ़ से दो गुना तक फीस वसूल रहे हैं। जिस कारण हजारों छात्र इस पाठ्यक्रम में प्रवेश से दूर हो रहे हैं।
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शुल्क निर्धारण के बाद भी मनमानी
स्कूल शिक्षा विभाग ने डीएलएड पाठ्यक्रमों में प्रवेश के बदले मनमानी फीस की वसूली रोकने के लिए फीस स्ट्रक्चर निर्धारित किया है। इस संबंध में विभाग से जारी आदेश में डीएलएड कॉलेजों को शहरों के आधार पर तीन श्रेणियों में रखा है। इसी के आधार पर इन कॉलेजों की फीस भी तय की गई है।
चार बड़े शहर भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर के निजी डीएलएड कॉलेजों के लिए प्रति छात्र 35 हजार रुपए, नगर निगम मुख्यालय वाले शहरों के कॉलेजों की फीस 32,500 रखी गई है। वहीं अन्य शहरों में स्थित डीएलएड कॉलेज प्रति छात्र 30 हजार रुपए वार्षिक शुल्क ले सकते हैं।
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शुल्क वसूली पर प्रशासन लाचार
स्कूल शिक्षा विभाग फीस स्ट्रक्चर को विस्तार से निर्धारित कर चुका है इसके बावजूद कॉलेज इससे दोगुना फीस वसूलने में पीछे नहीं हैं। डीएलएड कॉलेज ज्यादा फीस न वसूलें इसके लिए जिला स्तर पर कलेक्टर, जिला शिक्षा अधिकारी और ब्लॉक स्तर पर एसडीएम जैसे अधिकारी हैं।
शुल्क निर्धारण में स्पोर्ट्स, साहित्य, प्रयोगशाला, लाइब्रेरी और इंटरनेट, शैक्षणिक भ्रमण जैसे शुल्क शामिल होने के बावजूद इन मदों में अलग से राशि ली जा रही है। तमाम शिकायतों के बाद भी किसी अधिकारी को छात्रों की परेशानी से सरोकार नहीं है।
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कॉलेज नहीं मान रहे विभागीय आदेश
डीएलएड कॉलेज में जारी फीस वसूली का ताजा मामला सतना के अमरपाटन से सामने आया है। एक छात्रा को रजिस्ट्रेशन के बाद राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा अमरपाटन में मां शारदा देवी कॉलेज में सीट आवंटित हुई है। छात्रा बीते एक सप्ताह से कॉलेज जा रही है लेकिन 30 की जगह 55 हजार रुपए जमा कराए बिना उसे प्रवेश नहीं दिया जा रहा।
कॉलेज प्रबंधन 55 हजार रुपए जमा करने का दबाव बना रहा है। कॉलेज के प्राचार्य एके त्रिपाठी का कहना है कि स्कूल शिक्षा विभाग ने जो फीस निर्धारित की है उस पर एडमिशन नहीं दे सकते। जो फीस प्रबंधन से तय की गई है वहीं जमा कराना जरूरी है।
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वसूली का साधन बना डीएलएड कोर्स
अवैध फीस वसूली का यह केवल इकलौता मामला नहीं है। ऐसे सैकड़ों छात्र अपनी परेशानी लेकर प्रशासनिक अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं लेकिन कोई उनकी मदद में आगे नहीं आ रहा है। ग्वालियर चंबल अंचल के भिंड और मुरैना और बुंदेलखंड के सागर और छतरपुर जिलों में स्थित डीएलएड कॉलेजों में तो 70 से 80 हजार रुपए सालाना फीस जमा कराई जा रही है।
स्कूल शिक्षा विभाग से निर्धारित फीस वसूल रहे इन कॉलेजों को प्रशासन का जरा भी भय नहीं है। अधिकांश कॉलेजों में तो एडमिशन सेल के कर्मचारी मोबाइल फोन पर ही दोगुनी फीस वसूलने की बात कहने से भी नहीं कतराते।
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