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मध्य प्रदेश में आबकारी विभाग की कार्यशैली को लेकर लंबे समय से सवाल उठते रहे हैं। जबलपुर में स्थिति इतनी खराब हो गई कि सरकार को कड़े कदम उठाने पड़े। जिले के सहायक आबकारी आयुक्त रविंद्र मानिकपुरी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। उनके खिलाफ सरकारी आदेशों की अवहेलना और अवैध शराब ठेकेदारों से मिलीभगत कर राजस्व को नुकसान पहुंचाने जैसे गंभीर आरोप थे। शासन ने इस मामले की जांच के बाद स्पष्ट रूप से माना कि मानिकपुरी की लापरवाही माना। उनकी मनमानी के कारण शराब ठेकों की नीलामी प्रभावित हुई। जिससे सरकार को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा।
मानिकपुरी से ठेकेदारों को थी भारी नाराजगीशराब ठेकों को लेकर जबलपुर जिले में पिछले कुछ समय से हाहाकार मचा हुआ था। हर साल सरकार ठेकेदारों को शराब दुकानों के संचालन के लिए टेंडर निकालती है। जिससे सरकार को करोड़ों रुपये का राजस्व प्राप्त होता है। इस बार हालात ऐसे हो गए कि कोई भी ठेकेदार ठेका लेने को तैयार नहीं था। इसका सबसे बड़ा कारण था आबकारी विभाग की मनमानी और अवैध गतिविधियां।
शराब ठेकेदारों ने लगाए थे गंभीर आरोप
ठेकेदारों का कहना था कि आबकारी अधिकारी रविंद्र मानिकपुरी ने जिले के बाहर से ट्रकों में शराब मंगवाते हैं। उस शराब की अवैध बिक्री जिले में करवाई जाती थी। इससे ठेकेदारों का व्यापार प्रभावित हो रहा था। स्थानीय शराब ठेकेदारों को लगातार घाटा हो रहा था, क्योंकि अवैध शराब बिक्री से बाजार बिगड़ चुका था। ठेकेदारों का आरोप था कि मानिकपुरी ने अवैध शराब कारोबारियों से सांठगांठ कर रखी थी। इतना ही नहीं वे वैध ठेकेदारों पर फर्जी कार्रवाई कर उन्हें परेशान भी कर रहे थे।
एक भी ठेकेदार ने नहीं लगाई बोली
ऐसी कार्रवाई का परिणाम यह हुआ कि जब जिले में शराब ठेकों की नीलामी के लिए कई बार तारीख तय की गई, तो एक भी ठेकेदार बोली लगाने के लिए नहीं आया। इस वजह से सरकार को भारी राजस्व नुकसान उठाना पड़ा। प्रशासन इस समस्या को हल करने में असमर्थ रहा, क्योंकि मानिकपुरी ने पूरे ठेकेदार समुदाय के खिलाफ एक दबाव की स्थिति बना दी थी।
गुपचुप मीटिंग से ठेकेदारों और मीडिया को रखा दूर
जब ठेकेदारों ने खुलकर आबकारी विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठाने शुरू किए, तो विभाग ने जल्दबाजी में एक गुप्त बैठक आयोजित की। इस बैठक का आयोजन आबकारी अधिकारी रविंद्र मानिकपुरी के नेतृत्व में किया गया, लेकिन इसमें सिर्फ कुछ चुनिंदा ठेकेदारों को ही बुलाया गया। बैठक में जिन ठेकेदारों को बुलाया गया, वे भी छोटे स्तर के थे, जबकि बड़े ठेकेदारों को बैठक की सूचना तक नहीं दी गई। इससे साफ हो गया कि मानिकपुरी सिर्फ उन्हीं लोगों को शामिल करना चाहते थे, जो उनकी नीतियों का समर्थन करें।
मीडिया को भी नहीं दी एंट्री
सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि इस बैठक में मीडिया को भी प्रवेश नहीं दिया गया। जब पत्रकार वहां पहुंचे, तो उन्हें गेट पर ही रोक दिया गया और कहा गया कि यह एक गोपनीय बैठक है। मीडिया को बैठक से दूर रखने की यह कोशिश कई सवाल खड़े कर रही थी, क्योंकि ऐसा नजर आ रहा था कि रविन्द्र मानिकपुरी अपने कारनामों को छिपाना चाहते थे, ऐसा लग रहा है कि मानिकपुरी पहले से ही जानते थे कि उनके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है क्योंकि अगर सब कुछ नियमों के तहत हो रहा था, तो मीडिया को अंदर जाने से क्यों रोका गया था। बैठक खत्म होने के बाद भी अधिकारियों ने इस पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। ठेकेदारों के मुताबिक, अगर जिले में यही आबकारी अधिकारी बने रहे, तो अगले साल भी सरकार को राजस्व का भारी नुकसान होगा।
रविंद्र मानिकपुरी के तत्काल निलंबन का आदेश
शासन ने रविंद्र मानिकपुरी पर लगे आरोपों की जांच की और पाया कि वे मध्य प्रदेश सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियम-3 का उल्लंघन कर रहे थे। इसके साथ ही, वे मध्य प्रदेश सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के तहत दोषी पाए गए।
इस पर सरकार ने तत्काल कार्रवाई करते हुए रविंद्र मानिकपुरी को निलंबित करने का आदेश जारी कर दिया। आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि—
1. मानिकपुरी ने शासकीय कार्यों में लापरवाही बरती।
2. उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों की अवहेलना की।
3. आबकारी नीति के क्रियान्वयन में गंभीर अनियमितताएं कीं, जिससे सरकार के राजस्व पर विपरीत प्रभाव पड़ा।
शासन के आदेश के अनुसार, अब रविंद्र मानिकपुरी निलंबन की अवधि में आबकारी आयुक्त कार्यालय, ग्वालियर में रहेंगे। इस दौरान वे किसी भी प्रशासनिक निर्णय में शामिल नहीं हो सकेंगे और केवल जीवन निर्वाह भत्ता प्राप्त करेंगे।
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दीपक अवस्थी को मिला जबलपुर का प्रभार
सागर के सहायक आबकारी आयुक्त दीपक अवस्थी जिनका मूल पद जिला आबकारी अधिकारी है उन्हें अपने सागर के पद के साथ-साथ ही जबलपुर में रिक्त हुए सहायक आबकारी आयुक्त के पद का भी प्रभार अस्थाई रूप से सौंपा गया है।
सिर्फ मानिकपुरी पर कार्रवाई क्यों?
अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या मानिकपुरी अकेले इस गड़बड़ी के जिम्मेदार थे, या फिर पूरी आबकारी व्यवस्था में कोई गहरी समस्या है। अगर जबलपुर जिले में अवैध शराब कारोबार चल रहा था, तो अन्य अधिकारीयों की भी इसमें मिलीभगत से इनकार नहीं किया जा सकता। अब प्रशासन ने सिर्फ मानिकपुरी पर कार्रवाई कर मामले को शांत करने की कोशिश की है या अन्य दोषी अधिकारियों सहित उन अवैध शराब कारोबारियों पर भी कार्रवाई होगी। इसके अलावा, ठेकेदारों का यह भी कहना है कि अगर सरकार जल्द ही आबकारी नीति में सुधार नहीं करती, तो भविष्य में कोई भी ठेका लेने के लिए तैयार नहीं होगा।
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