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MP में सुशासन आ गया है! भरोसा नहीं हो रहा तो किसी भी मंत्री या अफसर की शिकायत करके देख लीजिए, तुरंत जांच के आदेश जारी हो सकते हैं। भले ही कमिश्नर कार्यालय में आग लगाने की कोशिश करने वाले रामसिंह जैसे लोगों की व्यक्तिगत शिकायतें हल करने का समय अफसरों के पास न हो, मगर मंत्री-अफसरों जैसे बड़े मामलों में प्रशासन की स्पीड देखने लायक है।
ताजा मामला मप्र के वरिष्ठ आईपीएस और तत्कालीन परिवहन आयुक्त डीपी गुप्ता के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच का है। इसकी जिम्मेदारी भोपाल क्राइम ब्रांच के एक सब इंस्पेक्टर को सौंपी गई है। इससे पहले मंत्री संपतिया उइके पर 1000 करोड़ के कथित भ्रष्टाचार की जांच के आदेश जारी हो चुके हैं।
इतनी जल्दी क्यों सरकार!
दिलचस्प ये है कि ऊपर दोनों ही मामलों में शिकायतकर्ता एक पूर्व विधायक हैं। मंत्री-अफसरों पर भ्रष्टाचार की जांच करने में इतनी जल्दबाजी कि नियम-कायदों के साथ ही प्रोटोकॉल तक ताक पर रख दिया जा रहा है। ऐसे में जांच के आदेश देने वालों की किरकिरी न हो तो क्या हो?
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पूर्व विधायक ने की IPS की शिकायत
बालाघाट की लांजी सीट से पूर्व विधायक किशोर समरीते ने IPS डीपी गुप्ता की शिकायत क्राइम ब्रांच में की है। बता दें कि वरिष्ठ आईपीएस डीपी गुप्ता इसी साल 2 जनवरी तक ग्वालियर में परिवहन आयुक्त की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। उनके आयुक्त रहने के दौरान मध्यप्रदेश में बंद पड़ी चेकपोस्ट पर अवैध वसूली का खुलासा हुआ था। इसके बाद परिवहन आयुक्त डीपी गुप्ता को हटाकर एडीजी पीएचक्यू के पद पर पदस्थ किया था। नए परिवहन आयुक्त की जिम्मेदारी एडीजी विवेक शर्मा को सौंपी गई थी।
सब इंस्पेक्टर को सौंपी जांच
अब पता चला है कि डीपी गुप्ता के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच भोपाल क्राइम ब्रांच के एक सब इंस्पेक्टर नितिन पटेल को सौंपी गई है। सब इंस्पेक्टर नितिन पटेल ने शिकायतकर्ता पूर्व विधायक किशोर समरीते को 15 सितम्बर 2025 को बयान देने बुलाया है। बड़ा सवाल ये है कि IPS स्तर के अफसर के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच शुरू करने से पहले प्रोटोकॉल को फॉलो क्यों नहीं किया गया? क्या विभाग से इसकी परमिशन ली गई? क्या सब इंस्पेक्टर स्तर का जांच अधिकारी एक IPS को बयान देने बुला सकेगा?
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मंत्री संपतिया उइके की जांच के आदेश भी जारी हो चुके हैं
इससे पहले मध्य प्रदेश की आदिवासी मामलों की मंत्री संपतिया उइके पर भी बड़ा आरोप लग चुका है। मंत्री संपतिया उइके पर आरोप था कि उन्होंने जल जीवन मिशन में 1000 करोड़ रुपए का कमीशन लिया। बता दें कि ये शिकायत भी पूर्व विधायक किशोर समरीते ( Ex-MLA Kishore Samrite ) ने ही की थी। उन्होंने 12 अप्रैल 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी भेजकर पूरे मामले की जानकारी दी थी।
शिकायत के बाद लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने इतनी तेजी बरती कि हर प्रोटोकॉल को किनारे रख दिया। न तो सरकार और न ही चीफ सेक्रेटरी को इस शिकायत की जानकारी दी और प्रमुख अभियंता संजय अधवान ने अपने स्तर पर ही सभी मुख्य अभियंताओं को सात दिन में रिपोर्ट देने के निर्देश जारी कर दिए। जब मामला मीडिया में आया, तब सरकार हरकत में आई और मंत्री के खिलाफ जांच की कार्यवाही को खारिज करवाया गया।