मध्यप्रदेश सरकार ने कृषि, कानून व्यवस्था, ट्रैफिक और माइनिंग जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में ड्रोन तकनीक के उपयोग को बढ़ाने की योजना बनाई है। इसके माध्यम से राज्य में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
ड्रोन पॉलिसी का उद्देश्य
नई ड्रोन पॉलिसी का उद्देश्य युवाओं को ड्रोन चलाने और बनाने की ट्रेनिंग देना है। इसके साथ ही, ड्रोन तकनीक के स्थानीय उपयोग को बढ़ावा देना और रोजगार के अवसर सृजित करना है।
ड्रोन ट्रेनिंग और इंसेंटिव्स
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स्टाइपेंड: छात्रों को ड्रोन ट्रेनिंग के दौरान हर महीने ₹8 हजार-₹10 हजार का स्टाइपेंड मिलेगा।
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मैन्युफैक्चरिंग इंसेंटिव: मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स को 40% तक इंसेंटिव दिया जाएगा।
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स्टार्टअप्स को प्रोजेक्ट्स: स्टार्टअप्स को छोटे और मध्यम स्तर के ड्रोन प्रोजेक्ट्स दिए जाएंगे।
ड्रोन आधारित लैब्स की स्थापना
सरकार ड्रोन आधारित लैब्स की स्थापना के लिए फंडिंग करेगी, ताकि युवाओं को बेहतर ट्रेनिंग मिल सके और एक प्रशिक्षित कार्यबल (trained workforce) तैयार हो सके। इस नीति से मप्र में नई नौकरियों और स्टार्टअप्स को बढ़ावा मिलेगा, जिससे युवाओं को बेहतर रोजगार के अवसर मिलेंगे।
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केंद्र सरकार का समर्थन
केंद्र सरकार भी ड्रोन तकनीक आधारित इको-सिस्टम के विकास पर ध्यान दे रही है। मध्य प्रदेश की मोहन सरकार इसका स्थानीय उपयोग बढ़ाने के लिए लगातार काम कर रही है। सोमवार को एमपी स्टेट इलेक्ट्रॉनिक डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन ने मप्र सहित कई राज्यों के ड्रोन एक्सपर्ट्स को बुलाकर ड्रोन पॉलिसी ड्राफ्ट पर सुझाव भी लिए।
वहीं, सोमवार को एमपी स्टेट इलेक्ट्रॉनिक डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन ने मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों से ड्रोन विशेषज्ञों को बुलाया और ड्रोन नीति के मसौदे पर सुझाव लिए।
ड्रोन तकनीक
इस नीति के तहत सरकार का उद्देश्य है कि युवा ड्रोन चलाने और बनाने के लिए ट्रेंड हों। इसके साथ ही, विभिन्न क्षेत्रों में ड्रोन का उपयोग बढ़े और प्रदेश में एक ट्रेंड वर्कफोर्स तैयार हो।
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