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मध्य प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र का आज छठवां दिन है, और विपक्ष सोमवार को सामने आई कैग (CAG) रिपोर्ट में गड़बड़ियों के मुद्दे पर सदन में हंगामा कर सकता है। सोमवार को विधानसभा में पेश की गई कैग रिपोर्ट 2022 में कई योजनाओं में गड़बड़ी और भ्रष्टाचार की बात सामने आई है, जिनमें मुख्यमंत्री कन्यादान योजना, संबल योजना, नल जल योजना शामिल हैं। अलग अलग योजनाओं में अफसरों ने करोड़ों रुपए का घोटाला किया है।
मनरेगा में 85.67 लाख का घोटाला
मध्य प्रदेश में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (Manrega) के तहत एक बड़ा घोटाला सामने आया है। कैग रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश में 85.67 लाख रुपए का मनरेगा भुगतान ऐसे लोगों के बैंक खातों में किया गया, जो न तो जॉब कार्डधारकों के थे और न ही उनके परिवार के किसी सदस्य के थे।
मजदूरों के नाम पर पैसा निकाला
यह घोटाला मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों में हुआ है, जिसमें मजदूरी के नाम पर भुगतान किया गया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि 1 अप्रैल, 2019 से मार्च 31, 2022 तक की अवधि में मनरेगा के तहत बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है। इसमें मजदूरी के नाम पर भुगतान किया गया है, लेकिन वास्तव में कोई मजदूरों ने काम ही नहीं किया।
नल जल योजना में करप्शन का खुलासा
कैग 2022 की रिपोर्ट में मध्य प्रदेश के 14 नगरीय निकायों में Nal Jal Yojana में भी बड़ी लापरवाही का खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, इन निकायों में 34.07 प्रतिशत घरों में अभी भी नल कनेक्शन नहीं हैं। इसके अलावा, पानी की गुणवत्ता की नियमित जांच नहीं की गई और उपभोक्ताओं के परिसर में पानी के मीटर भी नहीं लगाए गए हैं। ग्वालियर ग्रामीण से कांग्रेस विधायक साहब सिंह गुर्जर ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए कहा है कि कैग की रिपोर्ट सही है और नल जल योजना में भ्रष्टाचार हुआ है। बीजेपी के शासन में भ्रष्टाचार चरम पर है।
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जमीन आवंटन 65.5 करोड़ रुपये का नुकसान
सरकारी जमीन आवंटन में भी गड़बड़ी की बात सामने आई है, जहां भोपाल में अजीम प्रेमजी फाउंडेशन को नियम विरुद्ध जमीन आवंटित की गई, जिससे राजस्व को 65.5 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ ¹। यह मामला सरकारी जमीन के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है।
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विवाह सहायता योजना में भी गड़बड़ी
मध्य प्रदेश में विवाह सहायता योजना में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। कैग रिपोर्ट के अनुसार, 86 मामलों में बिना पंजीकृत श्रमिकों के 41 बैंक खातों में 38.92 लाख रुपये की राशि जमा की गई। वहीं अंत्येष्टि सहायता राशि में भी गड़बड़ी हुई है, जहां 142 मामलों में 52 खातों में 1.68 करोड़ रुपये की राशि जमा की गई, लेकिन ये खाते पंजीकृत श्रमिकों के नहीं थे।
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