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BHOPAL. वैसे तो मध्य प्रदेश में सभी सरकारी महकमे कर्मचारियों की कमी से जूझ रहे हैं, लेकिन नगरीय निकायों की हालत बेहद खराब है। बीते दो दशकों में नगरीय निकायों की संख्या तो बढ़ गई है, लेकिन इनमें काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या लगातार घटी है। फिलहाल प्रदेश के नगरीय निकायों में 62 फीसदी कम कर्मचारी काम कर रहे हैं। यही वजह है कि नगरीय क्षेत्रों में रहने वाले लोग मुश्किलें उठा रहे हैं। नगरीय निकायों से जुड़े कामों के लिए नागरिकों को महीनों तक चक्कर काटने पड़ते हैं। कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया यानी कैग ने भी नगरीय निकायों की इस स्थिति का खुलासा किया है।
55 नगरीय निकायों की स्थिति का परीक्षण
मध्य प्रदेश में 16 नगर निगम, 99 नगर पालिका परिषद और 298 नगर परिषद हैं। कैग ने इनमें से 55 नगरीय निकायों की स्थिति का परीक्षण किया है। इनमें आगर मालवा, आष्टा, अकोदिया, अंजड़, बालाघाट, बरघाट, बैतूल, भिंड, बिछिया, बिजुरी, बुढार, बुदनी, ब्यौहारी, छिंदवाड़ा, दमोह, धार, गंजबासौदा, ग्वालियर, इछावर, इंदौर, जबलपुर, जावरा, झाबुआ, करेली, खंडवा, खिरकिया, कुक्षी, लोहार्दा, महाराजपुर, मैहर, मालनपुर, मंडलेश्वर, मंदसौर, मुरैना, मुलताई, नलखेड़ा, नरसिंहगढ़, नीमच, निवाड़ी, ओंकारेश्वर, ओरछा, पिछोर, पिपलानारायनवार, पोलायकलां, राजपुर, रामपुर नैकिन, रतलाम, सागर, सांची, सिवनी मालवा, शहडोल, शिवपुरी, तेंदूखेड़ा, उचेहरा, विदिशा, भोपाल, ओब्दुल्लागंज, सतना और मैहर में काम के मुकाबले वहां कार्यरत कर्मचारियों का ब्यौरा तैयार किया गया।
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नियुक्ति नहीं होने से पद रिक्त, काम पर पड़ा असर
कैग के परीक्षण में सामने आया है कि इन निकायों में स्वीकृत कर्मचारियों की संख्या के विरुद्ध आधे से भी कम कर्मचारी ही काम कर रहे हैं। निकायों में वर्षों से नियुक्तियां नहीं होने से पद लगातार रिक्त हो रहे हैं। कर्मचारियों की संख्या घटने से उसका असर निकाय की कार्य क्षमता पर भी पड़ रहा है। इस वजह से केंद्र और राज्य की महत्वपूर्ण योजनाएं भी प्रभावित हो रही हैं।
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निकायों में खाली पड़े हैं 11 हजार पद
आठ नगर निगमों में कर्मचारियों के स्वीकृत पदों की संख्या 17947 हैं, लेकिन उनके विरुद्ध केवल 6971 ही काम कर रहे हैं। करीब 11 हजार पद इन निकायों में खाली पड़े हैं जो कि स्वीकृत पदों का 61 फीसदी से ज्यादा है। वहीं नगर पालिका परिषदों में 5712 पदों पर केवल 2145 कर्मचारी ही पदस्थ हैं और 62 फीसदी से ज्यादा यानी 3567 पद खाली हें। वहीं नगर परिषदों में स्वीकृत 2114 पदों पर केवल 667 कर्मचारी ही कार्यरत हैं। इनमें रिक्तियों की संख्या 1447 है। जो सर्वाधिक 68 फीसदी से भी अधिक है।
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कर्मचारियों की कमी, वसूली में पिछड़े निकाय
प्रदेश के सर्वसाधन संपन्न और पर्याप्त बजट के बावजूद भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर जैसे नगर निगम भी बेहतर काम नहीं कर पा रहे हैं। कर्मचारियों की कमी का संकट यहां भी बना हुआ है। इस वजह से निकाय विभिन्न मदों में टैक्स की वसूली में भी पिछड़ रहे हैं। इसका सीधा असर केंद्र से मिलने वाले अनुदान से संचालित विकास कार्यों पर पड़ रहा है।
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5 मुख्य बिंदुओं से समझें पूरा मामला
✅ मध्य प्रदेश के नगरीय निकायों में कर्मचारियों की संख्या स्वीकृत पदों के मुकाबले 60-70 प्रतिशत कम है।
✅ कैग की रिपोर्ट के अनुसार, 55 नगरीय निकायों की स्थिति गंभीर है, और 11,000 से ज्यादा पद रिक्त हैं।
✅ भोपाल, इंदौर और जबलपुर जैसे शहरों में भी कर्मचारियों की कमी के कारण विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं।
✅ कर्मचारियों की कमी से नगर निगमों में टैक्स वसूली में भी पिछड़ने की समस्या आ रही है।
✅ सरकार को तुरंत इन रिक्त पदों को भरने और कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है।