38 साल की सेवा के बाद भी ‘अवैध नियुक्ति’ का ठप्पा, हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है। मामला 38 साल से सेवा दे रहे कर्मचारी राकेश कुमार चौरसिया की नियुक्ति को अवैध करार देने का है।चौरसिया की सेवा नियमितीकरण को अस्वीकार करते हुए राज्य ने कहा कि उनकी नियुक्ति स्वीकृत पद के विरुद्ध थी।

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Neel Tiwari
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Photograph: (THESOOTR)

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JABALPUR. हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब: मध्य प्रदेश के सरकारी विभागों में से कई तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के सामने बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। क्या दशकों तक सेवा देने के बाद भी उनकी नियुक्ति को अवैध ठहराया जा सकता है?

ऐसा ही मामला जबलपुर के उद्यान विभाग में कार्यरत राकेश कुमार चौरसिया का है। जिनकी सेवा 38 साल से अधिक पुरानी है। राज्य शासन ने हाल ही में उनके नियमितीकरण को अस्वीकार कर दिया। यह कहकर कि उनकी प्रारंभिक नियुक्ति “स्वीकृत पद के विरुद्ध नहीं” की गई थी। इसलिए यह नियुक्ति अवैध मानी जाएगी।

38 साल बाद हुई अवैध नियुक्ति

इस मामले में याचिकाकर्ता राकेश कुमार चौरसिया की ओर से अधिवक्ता पंकज दुबे और अक्षय खण्डेलवाल ने पैरवी की। उन्होंने इस फैसले को चुनौती देते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। गुरुवार 13 नवंबर को जस्टिस मनिन्दर सिंह भट्टी की बेंच ने इस प्रकरण की पहली सुनवाई की।

कोर्ट ने राज्य शासन और विभाग से सवाल किया कि जब 25 मार्च 2025 के अपने ही आदेश में कोर्ट ने मुख्य सचिव को ऐसे कर्मचारियों के नियमितीकरण के संबंध में कार्यवाही करने के निर्देश दिए थे, तो अब तक उस पर अमल क्यों नहीं हुआ। कोर्ट ने शासन सहित उद्यानिकी एवं वानिकी विभाग से इस विषय में विस्तृत जवाब तलब किया है। इस मामले की अगली सुनवाई 21 नवंबर के लिए तय की है।

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लंबी सेवा, फिर भी स्थाई लाभ से वंचित

राकेश चौरसिया जैसे हजारों तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में 25 से 30 वर्षों से अधिक समय से निरंतर कार्यरत है। अब तक उन्हें नियमित या स्थाई कर्मचारी का दर्जा नहीं मिला। मध्य प्रदेश सरकार ने समय-समय पर नियमितीकरण की योजनाएं बनाई हैं। परंतु उन कर्मचारियों को लाभ से वंचित रखा गया जिनकी नियुक्ति किसी “रिक्त स्वीकृत पद” पर नहीं हुई थी।

अदालत ने पहले भी टिप्पणी की थी कि राज्य एक आदर्श नियोक्ता है। यदि कोई कर्मचारी लंबे समय से बिना रुकावट सेवा दे रहा है, तो उसे स्थाई कर्मचारी के समान अधिकार मिलना चाहिए।

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सरकार और हॉर्टिकल्चर के कमिश्नर देंगे जवाब

हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद अब राज्य शासन को यह बताना होगा कि क्या मुख्य सचिव के स्तर पर नियमितीकरण को लेकर कोई कार्यवाही की गई है या नहीं। इसके साथ ही कोर्ट ने हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट के कमिश्नर और डिप्टी डायरेक्टर जबलपुर को भी नोटिस जारी किया है।

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