एमपी ग्रामीण बैंक घोटाला: EOW ने 85 लाख रुपए के धोखाधड़ी मामले में दर्ज की एफआईआर

एमपी ग्रामीण बैंक के कर्मचारी मोहित गुप्ता समेत अन्य आरोपियों पर डोरमेंट अकाउंट्स से 85.46 लाख रुपए का गबन करने का आरोप है। EOW ने आरोपी और अन्य सह-आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।

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Manish Kumar
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Photograph: (The Sootr)

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INDORE. मध्य प्रदेश में एक बड़े बैंकिंग घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) ने मध्यप्रदेश ग्रामीण बैंक (M.P. Gramin Bank) में हुए लगभग 86 लाख रुपए के गबन के मामले में एक बैंक कर्मचारी सहित 6 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। 

यह मामला झाबुआ जिले के एमपी ग्रामीण बैंक के सोण्डवा शाखा से जुड़ा है। बैंक के सोण्डवा शाखा के एक लिपिक ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर बैंक के 11 डोरमेंट अकाउंट्स (Dormant Accounts) से अवैध रूप से धनराशि निकाली।

यह धोखाधड़ी तब सामने आई, जब EOW मुख्यालय, भोपाल को इस संबंध में एक शिकायत मिली, जिसके बाद सत्यापन में प्रथम दृष्टया धोखाधड़ी [Fraud] और आपराधिक विश्वासघात (Criminal Breach of Trust) की पुष्टि हुई।

कैसे हुई 86 लाख की धोखाधड़ी?

ईओडब्ल्यू जांच के मुताबिक, इस पूरे घोटाले ( financial fraud) का मास्टरमाइंड बैंक कर्मचारी मोहित गुप्ता है। मोहित गुप्ता ने अपने पद और कार्मिक आईडी का दुरुपयोग करते हुए ऐसे खातों (डोरमेंट अकाउंट्स) को निशाना बनाया जो लंबे समय से निष्क्रिय थे। 

इन खातों में जमा धनराशि को उसने धोखे से अपने और अपने परिचितों के बैंक खातों में स्थानांतरित कर दिया। कुल मिलाकर, 11 अलग-अलग खाताधारकों के खातों से 85.46 लाख रुपए की राशि का अवैध हस्तांतरण (Illegal Transfer) किया गया।

इस मामले में केवल मोहित गुप्ता ही नहीं, बल्कि उसके 12 अन्य सहयोगी भी शामिल हैं, जिनमें से 5 आरोपियों के नाम सामने आए हैं। इन सभी पर मिलीभगत कर बैंक और उसके खाताधारकों के साथ धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात करने का आरोप है।

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EOW ने दर्ज की एफआईआर

आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तुरंत कार्रवाई की है। शिकायत क्रमांक 14/2024 के सत्यापन के बाद, EOW ने आरोपी मोहित गुप्ता और अन्य 5 आरोपियों सौरभ सेंगर, नरेंद्र सिंह सेंगर, देवराज सिंह, गजेंद्र सिंह सेंगर और मुकेश कुमार सबनानी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 420 (धोखाधड़ी), 409 (आपराधिक विश्वासघात), 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत मामला दर्ज किया है।

इसके अलावा, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Prevention of Corruption Act) की धारा 13 (1डी) और 13 (2) के तहत भी मामला दर्ज किया गया है। EOW के अधिकारियों ने बताया कि इस मामले की जांच शुरू कर दी गई है और जल्द ही आरोपियों को गिरफ्तार कर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

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बैंक धोखाधड़ी से जुड़ी इस खबर के खास पॉइंट्स

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गबन की राशि: 85.46 लाख रुपए

आरोपी: बैंक कर्मचारी मोहित गुप्ता सहित 6 लोग

शिकार बने खाते: 11 निष्क्रिय (डोरमेंट) खाते

लगाए गए आरोप: धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात और आपराधिक साजिश

जांच एजेंसी: आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW), इंदौर

मुख्य आरोपी: मोहित गुप्ता, मप्र ग्रामीण बैंक का लिपिक

यह घटना एक बार फिर से बैंकिंग प्रणाली [Banking System] में सुरक्षा की खामियों को उजागर करती है और यह भी दर्शाती है कि कैसे बैंक कर्मचारी अपने पद का दुरुपयोग कर बड़े घोटालों को अंजाम दे सकते हैं। इस मामले में EOW की त्वरित कार्रवाई से यह उम्मीद जगी है कि धोखाधड़ी के इस मामले में जल्द से जल्द न्याय मिलेगा और दोषियों को सजा मिलेगी।

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बैंकिंग धोखाधड़ी से कैसे बचें? (How to Avoid Banking Fraud?)

  • अपने खाते की नियमित जांच करें।
  • संदिग्ध लेन-देन की तुरंत बैंक को रिपोर्ट करें।
  • किसी भी व्यक्ति के साथ अपनी बैंक आईडी, पासवर्ड या ओटीपी साझा न करें।
  • अपने खातों को निष्क्रिय न छोड़ें, नियमित रूप से छोटे-मोटे लेन-देन करते रहें।

FAQ

डोरमेंट अकाउंट क्या होता है? (What is a Dormant Account?)
डोरमेंट या निष्क्रिय खाता उस खाते को कहते हैं जिसमें एक निश्चित समय (आमतौर पर दो साल) तक कोई लेन-देन नहीं होता। बैंक ऐसे खातों को निष्क्रिय कर देते हैं ताकि वे सुरक्षित रहें। हालांकि, इस मामले में इन्हीं खातों का दुरुपयोग कर धोखाधड़ी की गई। यह दिखाता है कि निष्क्रिय खातों की निगरानी भी बेहद जरूरी है।
EOW क्या है और कैसे काम करता है? (What is EOW and How Does it Work?)
EOW यानी आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (Economic Offenses Wing) एक विशेष जांच एजेंसी है जो वित्तीय अपराधों जैसे धोखाधड़ी, गबन, भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामलों की जांच करती है। यह सीधे सरकार को रिपोर्ट करती है और इसका मुख्य उद्देश्य वित्तीय अपराधियों पर लगाम लगाना है।

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