MP के कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर ... ग्रेच्युटी कटौती में हाईकोर्ट के आदेशों की अनदेखी!

मध्यप्रदेश में ग्रेच्युटी का विवाद में कर्मचारियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कर्मचारियों-अधिकारियों की ग्रेच्युटी में कटौती, हाईकोर्ट के फैसलों के बावजूद भी देरी और अनदेखी का मामला बढ़ा। 

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Jitendra Shrivastava
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Photograph: (THESOOTR)

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ग्रेच्युटी (Gratuity) कर्मचारियों-अधिकारियों का संवैधानिक अधिकार है, जिसे नौकरी छोड़ने या रिटायरमेंट के बाद दिया जाता है। लेकिन मध्यप्रदेश में खासतौर पर लोक निर्माण विभाग (PWD) में कई कर्मचारियों को ग्रेच्युटी नहीं मिल पा रही है या उसमें भारी कटौती हो रही है।
पीडब्ल्यूडी के कर्मचारी वीरेंद्र कुमार श्रीवास्तव जैसे कई कर्मचारी तीन साल से भी अधिक समय से अपनी ग्रेच्युटी के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जबकि मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने इस संबंध में कई अहम फैसले दिए हैं।

ग्रेच्युटी कर्मचारियों का अधिकार है: हाईकोर्ट

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की एकलपीठ ने पंचायत विभाग में शिक्षाकर्मी के रूप में नियुक्त शिक्षकों को भी ग्रेच्युटी का लाभ देने का आदेश दिया है। पूर्व चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की डिवीजन बेंच ने पहले भी स्पष्ट किया था कि ग्रेच्युटी कर्मचारी का अधिकार है और इसके लिए किसी आवेदन की जरूरत नहीं।

हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि कर्मचारी के कार्यमुक्त होने के 30 दिन के भीतर ग्रेच्युटी का भुगतान नियोक्ता का दायित्व है।

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पीडब्ल्यूडी कर्मचारियों को ग्रेच्युटी न मिलने का मामला

पीडब्ल्यूडी के सहायक ग्रेड 2 के कर्मचारी वीरेंद्र कुमार श्रीवास्तव 30 जून 2022 को रिटायर हुए। उनकी ब्याज सहित 1,81,714 रुपए की ग्रेच्युटी में कटौती कर दी गई, और वे तीन साल से ग्रेच्युटी पाने के लिए परेशान हैं। ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें कर्मचारी अधिकारियों को ग्रेच्युटी नहीं दी गई या अनियमितता हुई।

ग्रेच्युटी पेमेंट एक्ट, 1972: कर्मचारी सुरक्षा का कानून...

  • 1972 में पारित ‘ग्रेच्युटी पेमेंट एक्ट’ का मकसद कर्मचारियों के हितों की सुरक्षा करना है।
  • इस अधिनियम के तहत, कर्मचारी को नौकरी छोड़ने, रिटायर होने या असमय निधन जैसी परिस्थितियों में ग्रेच्युटी देने का प्रावधान है।
  • ग्रेच्युटी वह राशि होती है जो कर्मचारी की सेवा के लिए नियोक्ता द्वारा दी जाती है, जो उनके आर्थिक सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

कर्मचारी और अधिकारी इसलिए हैं परेशान...

  • नियमों के बावजूद ग्रेच्युटी भुगतान में देरी
  • कटौती या गलत गणना से राशि में कमी
  • विभागीय अनदेखी और लंबी प्रक्रियाएं
  • कानूनी आदेशों के पालन में कमी

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मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के निर्देशों की अवहेलना

हालांकि हाईकोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि ग्रेच्युटी कर्मचारियों का संवैधानिक अधिकार है, लेकिन स्थानीय विभाग और प्रशासन इस आदेश का पालन नहीं कर रहे। इससे कर्मचारियों की समस्याएं बढ़ रही हैं।

कैसे करें ग्रेच्युटी की शिकायत?...

  • संबंधित विभाग के ऑफिस में लिखित शिकायत करें।
  • अगर समस्या न सुलझे, तो मजिस्ट्रेट कोर्ट या श्रम न्यायालय का रुख करें।
  • हाईकोर्ट के निर्देशों का हवाला देते हुए याचिका दायर करें।
  • मजदूर संघ या कर्मचारी संगठन से मदद लें।

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