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Photograph: (The Sootr)
INDORE. हाईकोर्ट इंदौर द्वारा वाहनों से सात दिन में वाहनों से हूटर और सायरन हटाने, अपात्र फ्लैश लाइट, नंबर वाहन भी हटाने के आदेश दिए थे। लेकिन इसके बाद भी ट्रैफिक पुलिस वीवीआईपी वाहनों पर हाथ डालने से कतरा रही है। इस मामले में लगी पीआईएएल पर फिर गुरुवार को सुनवाई हुई।
चीफ जस्टिस बेंच ने यह दिए आदेश
पूर्व पार्षद महेश गर्ग द्वारा दायर जनहित याचिका में अधिवक्ता मनीष यादव और करण बैरागी द्वारा तर्क रखे गए। इन्होंने तर्क रखे कि सरकार ने केवल चुनिंदा लोगों की सूची कोर्ट में पेश की हे और केवल आरटीओ ने जवाब पेश किया। माननीय न्यायालय के आदेश का पालन नहीं किया गया हमारे द्वारा अवमानना का नोटिस भी भेजा गया है। इस पर चीप जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की बेंच ने एमपी डीजीपी से 4 सप्ताह में शपथपत्र पर स्पष्टीकरण के साथ जवाब मांगा। अगली सुनवाई दिसंबर प्रथम सप्ताह मे होगी।
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एमपी डीजीपी पर हाईकोर्ट सख्तः 4 पॉइंट्स में समझें पूरी खबर...हाईकोर्ट का आदेश: इंदौर हाईकोर्ट ने सभी निजी और अपात्र वाहनों से हूटर, सायरन, फ्लैशलाइट हटाने और नंबर प्लेट सही करने के लिए 7 दिन में आदेश दिया था। आदेश का पालन नहीं होने पर जनहित याचिका दायर की गई। वीवीआईपी वाहनों पर कार्रवाई में देरी: ट्रैफिक पुलिस अभी भी वीवीआईपी और कुछ निजी वाहनों पर कार्रवाई करने में हिचकिचा रही है। इस वजह से कोर्ट ने मामले में सुनवाई की। डीजीपी से स्पष्टीकरण: चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की बेंच ने डीजीपी कैलाश मकवाना से 4 सप्ताह में शपथपत्र पर स्पष्टीकरण देने को कहा। अगली सुनवाई दिसंबर के प्रथम सप्ताह में होगी। सरकार ने जारी किया था सर्कुलर: मार्च 2025 में सरकार ने सभी पुलिस अधीक्षक और आरटीओ को आदेश दिया था कि अवैध हूटर, सायरन, फ्लैशलाइट और गलत नंबर प्लेट वाले वाहन पर कार्रवाई करें। कार्रवाई न होने पर पूर्व पार्षद महेश गर्ग ने याचिका दायर की, जिसमें वाहनों की फोटो और अन्य सबूत पेश किए गए। |
यह हुए थे हाईकोर्ट से आदेश
मध्यप्रदेश सरकार ने मार्च 2025 में सर्कुलर जारी करते हुए सभी पुलिस अधीक्षक और आरटीओ को आदेशित किया था कि जो भी निजी और अपात्र वाहन अवैध रूप से हूटर, सायरन, फ्लैशलाइट लगा रहे और गलत तरह से नंबर प्लेट लगा रहे उन पर कार्रवाई की जाए। इस पर कोई कार्रवाई नहीं होने पर जनहित याचिका दायर हुई और इसमें इस तरह के वाहनों की फोटो भी पेश की गई।
अधिवक्ता मनीष यादव और करण बैरागी ने बहस के दौरान बताया कि किस तरह अपात्र और निजी वाहनों पर हूटर सायरन लगा कर ट्रैफिक बाधित किया जाता है और नो पार्किंग में वाहन लगा के दबाव बनाया जाता है। इन तर्कों से सहमत होकर कोर्ट ने तत्काल प्रभाव से अंतरिम आदेश पारित करते हुए 7 दिन में सभी निजी और अपात्र वाहनों से हूटर, सायरन, फ्लैशलाइट हटाने और नंबर प्लेट सही करने हेतु आदेशित किया था।
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