मध्यप्रदेश हाईकोर्ट का आदेशः RERA के ये अधिकारी अब नहीं पास कर सकेंगे आदेश

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने रेरा के एन्फोर्समेंट ऑफिसरों के आदेश पारित करने पर रोक लगाई। क्रेडाई ने फैसले का स्वागत करते हुए इसे अपनी वैधानिक मांगों की पुष्टि बताया है।

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Manish Kumar
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BHOPAL.मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने रेरा (Real Estate Regulatory Authority) के एन्फोर्समेंट ऑफिसरों के आदेश पारित करने पर रोक लगा दी है। यह आदेश खासकर उन अधिकारियों के लिए है जो रेरा के सदस्य या अडजुडिकेटिंग अथॉरिटी नहीं हैं। कोर्ट ने यह फैसला रेरा अधिनियम की मूल भावना को ध्यान में रखते हुए दिया है।

इस फैसले के बाद, अब केवल रेरा के आधिकारिक सदस्य ही आदेश पारित कर सकेंगे। इससे रेरा के अधिनियम में निष्पक्षता और अपील योग्य न्याय को मजबूती मिलेगी। वहीं, क्रेडाई के भोपाल चैप्टर ने इस फैसले का स्वागत किया है।

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क्रेडाई ने कहा- हमारी मांगों की हुई पुष्टि

क्रेडाई (CREDAI) भोपाल ने इस फैसले का जोरदार समर्थन किया है। क्रेडाई का कहना है कि यह फैसला लंबे समय से उनके द्वारा की जा रही मांग की पुष्टि करता है।

क्रेडाई के सदस्यों ने बताया कि RERA के एन्फोर्समेंट ऑफिसरों के आदेशों से डेवलपर्स और उपभोक्ताओं दोनों को नुकसान हो रहा था, क्योंकि इन आदेशों के खिलाफ अपील का कोई विकल्प नहीं था। कई बार यह देखा गया था कि रेरा के आदेशों का पालन करने में डेवलपर्स को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था, लेकिन अब इस निर्णय के बाद उन्हें राहत मिल सकती है। इस फैसले के बाद अब रेरा से जुड़े सभी बिंदुओं पर स्पष्ट एसओपी और एफएक्यू (FAQ) जारी किए जाने की आवश्यकता है, ताकि किसी भी प्रकार के विवाद और विलंब से बचा जा सके।

ये हैं क्रेडाई की प्रमुख मांगें

क्रेडाई ने इस फैसले के साथ अपनी कुछ प्रमुख मांगें भी दोहराई हैं। इनमें शामिल हैं:

परियोजना पंजीयन की अवधि - प्रमोटर द्वारा घोषित समयसीमा तक परियोजना का पंजीकरण मान्य हो।
सीए सर्टिफिकेट का संशोधन - सीए सर्टिफिकेट के फॉर्मेट को संशोधित कर सही फार्मूला लागू किया जाए।
रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया - आवेदन की तारीख से 30 दिनों के भीतर रजिस्ट्रेशन सुनिश्चित किया जाए।
पूर्ण हो चुकी परियोजनाओं को छूट - पूर्ण हो चुकी परियोजनाओं को अन्य राज्यों की तरह पंजीयन से छूट मिले।
तिमाही प्रगति रिपोर्ट पर स्पष्टता - डेवलपमेंट कम्प्लीशन के बाद तिमाही प्रगति रिपोर्ट प्रक्रिया पर स्पष्टता लाई जाए।

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अब आगे सुधार की उम्मीद

क्रेडाई ने सरकार से यह भी कहा है कि रेरा अधिनियम की हर व्याख्या उद्योग, उपभोक्ता और शासन तीनों के हित में सकारात्मक और प्रगतिशील होनी चाहिए। यह समय की मांग है कि रेरा से जुड़े सभी बिंदुओं पर स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए जाएं, ताकि किसी भी प्रकार के विवाद से बचा जा सके।

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