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Photograph: (the sootr)
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में इन दिनों एक महत्वपूर्ण और विवादास्पद घटनाक्रम सामने आया है, जहां एक जज ने दूसरे जज के फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई है। यह मामला ग्वालियर बेंच के जस्टिस राजेश कुमार गुप्ता द्वारा दिए गए आदेश के खिलाफ उठाया गया है। जस्टिस गुप्ता ने 12 सितंबर को शिवपुरी के अपर सत्र न्यायाधीश (एएसजे) विवेक शर्मा के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की थी।
इस विवाद में जस्टिस अतुल श्रीधरन की बेंच ने स्वतः संज्ञान लिया और जस्टिस गुप्ता के आदेश पर सवाल उठाए। जस्टिस श्रीधरन ने कहा कि यह आदेश बिना अधिकार क्षेत्र के पारित किया गया था और जस्टिस गुप्ता की टिप्पणियां अभद्र और अनुचित थीं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही कई बार कहा है कि निचली अदालतों के जजों के खिलाफ ऐसी टिप्पणियां नहीं की जानी चाहिए।
विवाद की शुरुआत
जस्टिस गुप्ता ने अपने आदेश में एएसजे विवेक शर्मा के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की थी। यह आदेश एक धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार से जुड़े मामले पर आधारित था, जिसमें आरोपी के खिलाफ आरोप तय किए गए थे। बाद में इसी आरोपी ने जमानत याचिका दायर की थी, जिस पर जस्टिस गुप्ता सुनवाई कर रहे थे।
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जस्टिस श्रीधरन की आपत्ति
जस्टिस श्रीधरन की बेंच ने जस्टिस गुप्ता के आदेश पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि यह आदेश हाईकोर्ट के अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन करता है। उन्होंने मध्यप्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि वह 10 दिनों के अंदर जस्टिस गुप्ता के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी (Special Leave Petition) दायर करे। जस्टिस श्रीधरन का कहना था कि इस मामले में जस्टिस गुप्ता ने जो टिप्पणियां कीं, वह न केवल अनुचित थीं, बल्कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों का उल्लंघन भी करती थीं।
हाईकोर्ट के दो जजों के बीच विवाद को ऐसे समझें
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जस्टिस गुप्ता की नियुक्ति पर विवाद
यह भी ध्यान देने योग्य है कि जस्टिस गुप्ता की नियुक्ति खुद विवादों में रही है। वह जुलाई 2025 में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में पदोन्नत हुए थे, लेकिन उनकी नियुक्ति पर कई सवाल उठाए गए थे। उनके खिलाफ मानसिक उत्पीड़न की शिकायत लंबित थी, फिर भी सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश पर उन्हें हाईकोर्ट का जज बनाया गया था।
इसके बाद एक महिला जज, अदिति कुमार शर्मा ने उनकी पदोन्नति के खिलाफ याचिका दायर की थी। लेकिन केंद्र सरकार ने उनकी नियुक्ति को मंजूरी दी, और 28 जुलाई को राष्ट्रपति ने भी इस पर हस्ताक्षर कर दिए।
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इस मामले के मुख्य बिंदु:
1. जस्टिस गुप्ता का विवादास्पद आदेश
जस्टिस गुप्ता का आदेश कोर्ट के अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन करता है, जिससे जस्टिस श्रीधरन की बेंच ने इसे निरस्त करने का आदेश दिया।
2. जस्टिस गुप्ता की नियुक्ति पर विवाद
उनकी नियुक्ति पर लगातार विवाद उठते रहे हैं, और कुछ समय पहले ही उनके खिलाफ मानसिक उत्पीड़न की शिकायत भी लंबित थी।
3. राज्य सरकार को निर्देश
जस्टिस श्रीधरन ने राज्य सरकार को जस्टिस गुप्ता के आदेश के खिलाफ 10 दिनों के अंदर सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर करने का निर्देश दिया है।