मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में  11 अगस्त को 70-80-90% सैलरी केस की सुनवाई, क्या आएगा फैसला ?

मध्यप्रदेश में 2019 के बाद सरकारी नौकरी में भर्ती हुए कर्मचारियों ने कोर्ट में याचिका दायर की है। इस याचिका में 70-80-90% सैलरी और तीन साल के प्रोबेशन पीरियड के नियम के खिलाफ अंतिम सुनवाई 11 अगस्त को होगी।

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Ram Krishna Gautam
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मध्यप्रदेश में 2019 के बाद सरकारी नौकरी में आए हजारों कर्मचारियों के भाग्य का फैसला अब न्यायपालिका के हवाले है। 70-80-90% सैलरी और तीन साल के प्रोबेशन पीरियड नियम के खिलाफ मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में याचिका लगी है। इस पर 11 अगस्त यानी सोमवार को अंतिम सुनवाई प्रस्तावित है।

इससे पहले याचिका पर कोर्ट ने 11 विभागों से जवाब मांगा था, जो विभागों ने तैयार कर लिया है और सोमवार की सुनवाई में पेश करेंगे। लिहाजा माना जा रहा है कि मामले का कोई न कोई कानूनी हल जरूर निकलेगा।

कर्मचारियों को कोर्ट से उम्मीद 

कर्मचारियों को अब सिर्फ कोर्ट से ही उम्मीद रह गई है। हाल ही में विधानसभा के मानसून सत्र में कांग्रेस विधायक आतिफ अकील के सवाल के जवाब में सीएम मोहन यादव ने कहा कि 70-80-90% सैलरी और तीन साल का प्रोबेशन पीरियड सरकार का नीतिगत फैसला है। उन्होंने यह भी बताया कि भविष्य में इससे जुड़ी कोई कार्यवाही विचाराधीन नहीं है।

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11 अगस्त को सुनवाई

मुख्यमंत्री के इस जवाब के बाद ये तय हो चुका है कि कर्मचारियों को सरकार की तरफ से कोई राहत नहीं मिलेगी। यानी विधायिका से बड़ी निराशा हाथ लगी है, लिहाजा अब सिर्फ न्यायपालिका से ही आस रह गई है। जिसका पटाक्षेप 11 अगस्त की सुनवाई के बाद हो सकता है। आपको बताते चलें कि कर्मचारियों का मुख्य विरोध इस बात पर है कि ये नियम सिर्फ उन कर्मचारियों पर लागू है जो 2019 के बाद कर्मचारी चयन मंडल, ESB की परीक्षाओं के ज़रिए सरकारी नौकरी में आए हैं।

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MPPSC से चयनित कर्मचारियों को पहले महीने से 100% सैलरी मिलती है और उनका प्रोबेशन पीरियड दो साल होता है। अब यह देखना होगा कि अदालत कर्मचारियों के हित में फैसला सुनाती है या सरकार नए दांवपेंच अपनाती है, या फिर सुनवाई की तारीख आगे बढ़ाई जाती है।


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