मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) कैलाश मकवाना को अवमानना मामले में पांच हजार रुपए के जमानती वारंट से तलब किया है। यह मामला पुष्पेंद्र सिंह भदौरिया की नियुक्ति से जुड़ा हुआ है, जिन्हें ग्वालियर बेंच ने 24 जून 2014 को एसआई (जिला पुलिस बल) के पद पर नियुक्ति देने का आदेश दिया था। कोर्ट के आदेश का पालन न होने के कारण यह मामला कई वर्षों से लंबित है।
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पुष्पेंद्र सिंह की नियुक्ति का मामला
ग्वालियर बेंच ने 2014 में पुष्पेंद्र सिंह भदौरिया को सब-इंस्पेक्टर के पद पर नियुक्त करने का निर्देश दिया था। हालांकि, इस आदेश पर अमल नहीं हुआ, जिसके चलते भदौरिया ने कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की। मामला 2015 से ही लंबित है और अब तक इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
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इसलिए जारी हुआ वारंट
मामले की सुनवाई के दौरान पूर्व में हाई कोर्ट ने डीजीपी को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया था। हालांकि, 6 फरवरी 2025 को हुई सुनवाई में डीजीपी कैलाश मकवाना अदालत में उपस्थित नहीं हुए। उनकी अनुपस्थिति को गंभीरता से लेते हुए कोर्ट ने पांच हजार रुपए का जमानती वारंट जारी कर उन्हें तलब किया है।
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डीजीपी बने नए पक्षकार
इस मामले में पूर्व डीजीपी सुरेंद्र सिंह पक्षकार थे, जो अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं। उनकी सेवानिवृत्ति के बाद कैलाश मकवाना को मामले में पक्षकार बनाया गया। हाई कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई फरवरी के अंतिम सप्ताह में निर्धारित की है, जहां डीजीपी की उपस्थिति अनिवार्य है।
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डीजीपी पर HC का एक्शन