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Photograph: (THESOOTR)
JABALPUR. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की मुख्य पीठ जबलपुर से एक ऐसा आदेश आया है। यह आदेश पूरे प्रदेश भर में लोकपाल नियुक्ति पर अधिवक्ताओं को राहत देने वाला है।
मध्य प्रदेश इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेशन कमेटी के द्वारा 9 अक्टूबर 2025 को लोकपाल नियुक्ति का एक विज्ञापन जारी किया गया था। इस नियुक्ति में जो पात्रता दी गई थी उसे अधिवक्ताओं को बाहर रखा गया था। किसी विज्ञापन को हाईकोर्ट में जस्टिस एमएस भट्टी की सिंगल बेंच में चुनौती दी गई।
नियम विरुद्ध बताया अधिवक्ताओं को अपात्र
टीकमगढ़ निवासी अधिवक्ता कृष्णकांत खरे ने मध्य प्रदेश इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन (Madhya Pradesh Electricity Regulatory Commission) के विरुद्ध याचिका दायर की। याचिका 9 अक्टूबर 2025 को जारी उस विज्ञापन के खिलाफ दायर की गई थी। इसमें मध्य प्रदेश विद्युत वितरण कंपनी में लोकपाल नियुक्ति के लिए अधिवक्ताओं को पात्रता सूची से बाहर रखा गया था।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने तर्क दिया। इसमें कहा कि 2021 में राजपत्र में प्रकाशित नियम 4(3) के अनुसार ‘लीगल अफेयर्स’ में अधिवक्ता भी योग्य श्रेणी में आते हैं, लेकिन विज्ञापन में दो वर्ष का जिला न्यायाधीश अनुभव अनिवार्य कर दिया गया, जो नियमों के विपरीत है।
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हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को दी अंतरिम राहत
अधिवक्ता उपाध्याय ने बताया कि याचिकाकर्ता के पास जिला न्यायाधीश नियुक्त होने की समस्त वैधानिक योग्यताएं हैं, इसलिए अधिवक्ताओं को बाहर रखना उनके अधिकारों का हनन है। तर्कों से सहमत होते हुए जस्टिस एमएस भट्टी की सिंगल बेंच ने न केवल नोटिस जारी किया, बल्कि अंतरिम राहत प्रदान करते हुए अधिवक्ता कृष्णकांत खरे को लोकपाल नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल करने के निर्देश भी दिए।
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लोकपाल नियुक्तियों पर पड़ सकता है असर
हाईकोर्ट के आदेश के बाद यह मामला राज्यभर में लोकपाल नियुक्ति में ‘लीगल अफेयर्स’ की परिभाषा और अधिवक्ताओं की पात्रता को लेकर बहस का विषय बन गया है। इस मामले की सुनवाई के बाद आने वाले अंतिम आदेश का असर पूरे प्रदेश में लोकपाल नियुक्तियों पर पड़ेगा।
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