एमपी में उच्च शिक्षा विभाग के आदेश ने फीका कर दिया सैकड़ों परिवारों का त्योहार

एमपी के सरकारी और पीएमश्री कॉलेजों के अतिथि विद्वानों की दिवाली फीकी हो गई। उच्च शिक्षा विभाग के आदेश ने 68 पीएम कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस के अतिथि विद्वानों को बेरोजगार कर दिया।

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Sanjay Sharma
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BHOPAL. मध्यप्रदेश के सरकारी और पीएमश्री कॉलेजों में पढ़ा रहे अतिथि विद्वानों और उनके परिवारों की दिवाली उच्च शिक्षा विभाग ने फीकी कर दी है। त्योहार से ठीक पहले उच्च शिक्षा विभाग के एक आदेश ने 68 प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस के अतिथि विद्वानों को बेरोजगार कर दिया है। ऐसा 535 प्रोफेसरों के स्थानांतरण की वजह से हुआ है। इनमें से कोई दो दशक से तो कोई डेढ़ दशक से कॉलेजों में अपनी सेवा दे रहा था। 

रिडिप्लॉयमेंट ने किया बेरोजगार 

उच्च शिक्षा विभाग ने हाल ही में पीएमश्री कॉलेजों में रिडिप्लॉयमेंट पर भेजे गए असिस्टेंट प्रोफेसरों के ट्रांसफर आदेश जारी किए हैं। शिक्षण सत्र के बीच में इस ट्रांसफर आदेश के कारण जहां कॉलेज में अध्ययन पर असर पड़ा है। वहीं जिन 68 कॉलेज में इनकी पोस्टिंग हुई है अब वहां पढ़ा रहे अतिथि विद्वानों को फॉलेन आउट का आदेश थमा दिया गया है।

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सालों से पढ़ा रहे उन्हें ही सड़क पर लाए

सालों से जो गेस्ट फैकल्टी इन कॉलेजों में पढ़ा रहे थे अब वे सड़क पर आ गए हैं। इनमें से ज्यादातर अतिथि विद्वान सरकारी नौकरी के लिए आवेदन करने की आयु सीमा भी पार कर चुके हैं। दिवाली के त्योहार से ठीक पहले फॉलेन आउट आदेश से इनमें गहरी निराशा है। वहीं उनके परिवारों में भी उदासी छा गई है। 

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उच्च शिक्षा विभाग का संवेदनहीन निर्णय

उच्च शिक्षा विभाग द्वारा आदेश जारी करने पर अतिथि विद्वान संघर्ष मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सुरजीत सिंह भदौरिया ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कॉलेजों में गेस्ट फैकल्टी का शोषण हो रहा है। त्यौहार से पहले जो रवैया अपनाया गया है वह उच्च शिक्षा विभाग की संवेदनाशून्य स्थिति को उजागर करने वाला है। कॉलेजों में जब प्रोफेसर नहीं होते या कमी होती है तब उनकी याद आती है। 

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अपना वादा भूल गई सरकार 

अतिथि विद्वान शंकरलाल खरवाडिया का कहना है सरकारी कॉलेजों में अभी भी अध्यापकों की कमी है। प्रोफेसरों के ट्रांसफर के जरिए साढ़े 500 गेस्ट फैकल्टी को एक झटके में बाहर करना उचित नहीं है। सरकार ने 2023 में सीएम हाउस में पंचायत का आयोजन कर फॉलेन आउट की व्यवस्था खत्म करने का वादा किया था, अब उसके बिल्कुल उलटा काम किया जा रहा है।

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