पीएमश्री कॉलेजों का भला तो हुआ नहीं अंचल में भी पढ़ाई ठप

मध्य प्रदेश। उच्च शिक्षा विभाग की रीडिप्लॉयमेंट पॉलिसी ने पीएमश्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस में विषय विशेषज्ञों की कमी को तो पूरा नहीं किया बल्कि अंचल के कॉलेजों में भी पढ़ाई प्रभावित हो रही है।

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Sanjay Sharma
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The Sootr

pm shri Photograph: (The Sootr)

BHOPAL. उच्च शिक्षा विभाग की रीडिप्लॉयमेंट पॉलिसी भी सफेद हाथी ही साबित होकर रह गई है। ये ठीक वैसा ही है जैसे प्रदेश के बरोजगारों को अब सरकार ने आकांक्षी युवा का लबादा पहना दिया। हालांकि इससे उन्हें न तो रोजगार मिला न वे आत्मनिर्भर हुए हैं। इसी तरह सरकार एक अरसे से विभागों में कर्मचारियों की कमी अटैचमेंट की वैकल्पिक व्यवस्था से पूरा कर रही थी उसे ही उच्च शिक्षा विभाग ने रीडिप्लॉयमेंट की नई चमकदार परिभाषा से अलंकृत कर दिया है।

उच्च शिक्षा विभाग पीएमश्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस में विषय विशेषज्ञों की कमी को पूरा करने ये पॉलिसी लेकर आया था। लेकिन अधूरे क्रियान्वयन ने पीएमसी कॉलेजों का भला तो किया नहीं उल्टा अंचल के सैंकड़ों कॉलेजों में प्राध्यापकों की कमी जरूर हो गई है। अब  6 हजार से ज्यादा प्राध्यापकों की कमी के कारण इन कॉलेजों में पहले से बेहाल पढ़ाई अब भगवानभरोसे है।  

पुरानी व्यवस्था को दिया चमकदार नाम

दरअसल प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में 6289 प्राध्यापकों के पद खाली हैं। साल 2017 में हुई सहायक प्राध्यापक परीक्षा की भर्ती से जितने पद भरे भी गए थे उससे ज्यादा सेवानिवृत्ति के कारण खाली हो चुके हैं। इस बीच साल 2024 में मध्यप्रदेश सरकार ने प्रदेश के सभी 55 जिला मुख्यालय और 13 स्वशासी कॉलेजों को पीएमश्री कॉलेज एक्सीलेंस के रूप में अपग्रेड कर दिया। इस अपग्रेडेशन का उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत उच्च शिक्षा को बेहतर बनाना था। इन कॉलेजों में प्राध्यापकों की कमी को देखते हुए उच्च शिक्षा विभाग ने दूसरे सरकारी कॉलेजों से शिक्षकों की पोस्टिंग की नीति तैयार की। इस अटैचमेंट को रिडिप्लॉयमेंट का नया नाम दिया गया। हांलाकि इस नीति के बावजूद ज्यादातर पीएमश्री कॉलेजों में प्राध्यापकों के पद नहीं भरे जा सके और कई विषयों में पद खाली पड़े हैं। वहीं पहले से ही प्राध्यापकों की कमी के बीच संचालित अंचल के कॉलेजों में भी पढ़ाई चरमरा गई। 

पीएमश्री बेहतर बनाने में छोड़े 503 कॉलेज

मध्यप्रदेश में 571 सरकारी कॉलेज हैं। उच्च शिक्षा विभाग ने इनमें से पीएमश्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस के रूप में चिन्हित 68 कॉलेजों की ही चिंता की है। बाकी 503 सरकारी कॉलेजों में खाली पदों की स्थिति पर ध्यान ही नहीं दिया। इस आधी अधूरी तैयारी की वजह से रीडिप्लॉयमेंट पॉलिसी कारगर नहीं हो पाई। प्राध्यापकों की कमी को दूर करने के विकल्प के रूप में होने वाली गेस्ट फैकल्टी की नियुक्ति भी इस पॉलिसी से गड़बड़ा गई हैं। वहीं सालों से कॉलेजों में छात्रों को पढ़ाने की जिम्मेदारी उठा रहे गेस्ट फैकल्टी टीचर बेकाम हो गए हैं। पीएमश्री कॉलेजों में रीडिप्लॉयमेंट से पढ़ाई बेहतर नहीं हो पाई लेकिन इसका लाभ कई प्राध्यापकों को पसंदीदा कॉलेजों का चयन करने में मिला है। जिन प्राध्यापकों को ट्रांसफर के कारण अपने शहर छोड़ने पड़े थे वे अपने प्रभाव का उपयोग कर वापस आ गए हैं। हांलाकि उन्हें वेतन अब भी मूल पदस्थापना वाले कॉलेजों से हो रही है। 

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पीएमश्री में अब तक नहीं स्थायी पोस्टिंग

जुलाई 2024 में पीएमश्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस की शुरूआत के बाद उच्च शिक्षा विभाग ने इनमें खाली पदों को भर रीडिप्लॉयमेंट आदेश जारी किए थे। इसके जररिए 616 प्राध्यापक, सहायक और सह प्राध्यापकों को अपने मूल कॉलेजों से दो माह के लिए पीएमश्री कॉलेजों में तैनात किया गया था। उच्च शिक्षा विभाग को इस दौरान पीएमश्री कॉलेजों में प्राध्यापकों की स्थायी पोस्टिंग करना था। इसमें भी अधिकारियों ने हीला हवाला किया। सीएम डॉ.मोहन यादव का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट होने के बाद भी पीएमश्री कॉलेजों में विभाग विषय विशेषज्ञों की पोस्टिंग नहीं कर सका। नतीजा रिडिप्लॉयमेंट की अवधि बढ़ानी पड़ी और अब सात माह बाद भी यही व्यवस्था बनी हुई है। ऐसे कॉलेज जहां इकलौता पद भी खाली है वहां नई पोस्टिंग न होने तक रिडिप्लॉयमेंट पर भेजे गए प्राध्यापकों को कार्यमुक्त करने के आदेश उच्च शिक्षा आयुक्त ने दिए थे। कॉलेज प्राचार्यों को 19 दिसम्बर 2024 को पत्र भेजा गया था लेकिन सात माह बाद भी रिडिप्लॉयमेंट जारी है।

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मनमानी पोस्टिंग का सहारा रीडिप्लॉयमेंट 

पीएमश्री एक्सीलेंस कॉलेज में उच्च स्तरीय पढ़ाई के लिए की गई रीडिप्लॉयमेंट व्यवस्था से भले छात्रों को लाभ नहीं हुआ लेकिन प्राध्यापकों ने इसे भी अवसर में बदल डाला। ऐसे प्राध्यापक जिन्हें ट्रांसफर के जरिए अपने गृह जिले या नगर से बाहर भेजा गया था वे इस पॉलिसी से वापस अपने पसंदीदा कॉलेज में पोस्टिंग पा गए हैं। इनमें कई प्राध्यापक ऐसे हैं जो कॉलेज में अपने विषय के इकलौते शिक्षक थे। कायदे से इकलौते पद को खाली नहीं किया जाना था लेकिन उनकी पहुंच के आगे उच्च शिक्षा विभाग के नियम बेदम रह गए। अब इन कॉलेजों में विषय विशेषज्ञ न होने से इतिहास, जीव विज्ञान, भूगर्भशास्त्र, राजनीति विज्ञान, वाणिज्य, जूलॉजी, बॉटनी की कक्षाओं में  पढ़ाई ठप है। वहीं पीएमश्री कॉलेजों में भी कई विषयों की पढ़ाई भी प्राध्याापकों की कमी से अटकी हुई है।

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कई सरकारी कॉलेजों में ठप हुई पढ़ाई

धार जिले के सरदारपुर सरकारी कॉलेज से दो साल पहले सहायक प्राध्यापक डॉ.ईश्वर सिंह डाबर का ट्रांसफर भिंड जिल के मौ कॉलेज में हुआ था। ट्रांसफर के डेढ़ साल बाद यानी 2024 में वे पीएमश्री कॉलेज झाबुआ आ गए। अब सरकारी कॉलेज मौ में इतिहास की क्लास ही नहीं लग पा रहीं। झाबुआ पीएमश्री कॉलेज में प्राणीशास्त्र की सहायक प्राध्यापक डॉ.रंजना रावत रीडिप्लॉयमेंट के जरिए इंदौर के जीडीसी पीएमश्री कॉलेज पहुंच गईं हैं। उनके जाने से झाबुआ पीएमश्री कॉलेज में प्राणीशास्त्र की पढ़ाई ठप है। अलिराजपुर जिले के भावरा सरकारी कॉलेज से कॉमर्स और राजनीति विज्ञान के सहायक प्राध्यापकों को पीएमश्री कॉलेज में रीडिप्लॉयमेंट मिला है इससे भावरा में इन दोनों विषयों को पढ़ाने की व्यवस्था नहीं है। डिंडोरी मॉडल कॉलेज के भूगर्भशास्त्र के इकलौते प्राध्यापक विनोद भूरिया को झाबुआ पीएमश्री बुला लिया गया और डिंडोरी कॉलेज में उनके विषय में पढ़ाई ठप हो गई है। 

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भोपाल संभाग में कॉलेजों की स्थिति

जिला     कॉलेज संख्या    रिक्त पद
भोपाल      14                112    
विदिशा     11                140
सीहोर      14                135
रायसेन     12                144
राजगढ़     12                170

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