मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में राज्य सरकार ने एक हाईटेक सिटी बनाने का प्रोजेक्ट शुरू किया है। यह प्रोजेक्ट गुजरात की 'गिफ्ट सिटी' और दिल्ली की एयरो सिटी की तर्ज पर तैयार किया जा रहा है। यहां व्यवसायिक और आवासीय दोनों प्रकार के विकास होंगे।
इस सिटी में बहुमंजिला इमारतों के साथ सस्ते मकानों की भी सुविधा होगी। राज्य सरकार ने इसके लिए बीएचईएल (BHEL) की खाली पड़ी 2200 एकड़ भूमि का चयन किया है। इसके तहत 1600 एकड़ जमीन को बीएचईएल से वापस लिया जाएगा और शेष जमीन पर बीएचईएल के सहयोग से विकास कार्य किया जाएगा।
प्रोजेक्ट का उद्देश्य
इस हाईटेक सिटी का मुख्य उद्देश्य मध्यप्रदेश में रोजगार के अवसर पैदा करना और प्रदेश की विकास दर को बढ़ाना है। यह टाउनशिप न केवल आधुनिक सुविधाओं से लैस होगी, बल्कि इसमें रहने वाले लोगों को किफायती दरों पर घर भी मिलेंगे। इसके अलावा, यह प्रोजेक्ट एक नया कारोबारी हब बनेगा, जहां बड़े ब्रांड्स के शोरूम होंगे, अस्पताल, स्कूल, शॉपिंग मॉल और मनोरंजन सुविधाएं भी उपलब्ध होंगी।
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सस्ते मकानों की योजना
यह प्रोजेक्ट मध्यप्रदेश में रहने वाले लोगों के लिए एक बड़ी राहत हो सकता है, क्योंकि इसमें रियायती दरों पर घर उपलब्ध होंगे। सरकार ने इंटीग्रेटेड टाउनशिप पॉलिसी (Integrated Township Policy) के तहत यह पहल की है, जिससे निर्माण लागत को कम किया जा सकेगा और मकान की कीमतें सस्ती हो सकेंगी। इस योजना में विभिन्न श्रेणियों के आवासीय विकल्प उपलब्ध होंगे, जैसे EWS (Economically Weaker Section), LIG (Lower Income Group) और MIG (Middle Income Group)।
बीएचईएल की खाली जमीन पर विकास
बीएचईएल की खाली पड़ी जमीन पर यह प्रोजेक्ट आधारित है, जहां पहले से काफी जमीन पर अतिक्रमण हो चुका है। सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक, बीएचईएल की जमीन में से लगभग 764 एकड़ पर अवैध कब्जा है, जबकि 700 एकड़ जमीन पर निजी खेती हो रही है। इसके बावजूद, सरकार ने इस जमीन को संरक्षित करने का निर्णय लिया है और इसे टाउनशिप विकास में शामिल किया जाएगा।
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3 पॉइंट्स में जानिए, क्यों चुनी बीएचईएल की जमीन
1. 61 वर्षों में 3000 एकड़ जमीन का इस्तेमाल
बीएचईएल की स्थापना 1964 में हुई थी, और 61 साल में उन्होंने 6000 एकड़ में से केवल 3000 एकड़ का ही इस्तेमाल किया है। इस कारण, सरकार ने निर्णय लिया कि 1600 एकड़ जमीन को बीएचईएल से वापस लिया जाए और बाकी हिस्से का विकास बीएचईएल के सहयोग से किया जाएगा।
2. अवैध कब्जे और खाली जमीन
सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, बीएचईएल की 6000 एकड़ जमीन में से बड़ी मात्रा पर अवैध कब्जा हो चुका है। इस जमीन का एक बड़ा हिस्सा अब रियल एस्टेट के दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण बन चुका है। एम्स जैसे महत्वपूर्ण संस्थान के पास स्थित जमीन की कीमतें बढ़ी हैं, जिससे इस भूमि का विकास और भी जरूरी हो गया।
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3. रियल एस्टेट के लिए महत्वपूर्ण स्थान
भोपाल के केंद्र में स्थित बीएचईएल की जमीन अब रियल एस्टेट के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण हो गई है। यहां विकास से न केवल शहर का आकार बढ़ेगा, बल्कि इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में लोग बसेंगे और व्यापारिक गतिविधियां भी बढ़ेंगी।
सरकार का विकास मॉडल
राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से इस प्रोजेक्ट के लिए सैद्धांतिक सहमति प्राप्त कर ली है। इस टाउनशिप को इंटीग्रेटेड टाउनशिप पॉलिसी (Integrated Township Policy) के तहत लागू किया जाएगा। इस पॉलिसी के तहत, सरकार ने विकास के लिए जमीन मालिकों और डेवलपर्स के बीच साझेदारी का विकल्प भी दिया है। इससे लागत कम होगी और मकानों की कीमतें भी सस्ती होंगी।
रोजगार सृजन और निवेश
इस प्रोजेक्ट का एक मुख्य उद्देश्य रोजगार सृजन करना है। इसके तहत बेंगलुरु, पुणे, अहमदाबाद और हैदराबाद जैसे शहरों के सफल मॉडलों पर सर्वे किए जाएंगे, ताकि इस प्रोजेक्ट की सटीक योजना बनाई जा सके। राज्य और केंद्र सरकार इस प्रोजेक्ट में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए विभिन्न योजनाओं को लागू करेंगी।
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50% राजस्व का बंटवारा
इस टाउनशिप के लिए बीएचईएल और राज्य सरकार के बीच राजस्व का 50-50 फीसदी बंटवारा होगा। बीएचईएल को भी इस प्रोजेक्ट में शामिल किया जाएगा, और इससे मिलने वाले राजस्व का हिस्सा भी तय किया जाएगा।
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