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Photograph: (The Sootr)
JABALPUR. गरीबों के हिस्से का गेहूं, चावल और नमक तक हड़प लेने वाले जबलपुर राशन घोटाले की जांच पर ही अब सवाल उठ रहे है। आरोप लग रहे हैं कि आखिर क्या भोपाल स्तर के बड़े अधिकारी को बचाने के लिए ही यह पूरी जांच जल्दबाजी में की गई? इसी शक को आधार बनाकर अब मध्यप्रदेश आपूर्ति अधिकारी संघ भोपाल खुलकर मैदान में आ गया है। संघ का आरोप है कि जिला अधिकारियों को बलि का बकरा बनाया जा रहा है, जबकि स्टेट एडमिन लॉगिन से छेड़छाड़ करने का अधिकार केवल भोपाल स्थित संचालक खाद्य के पास होता है।
भोपाल के अधिकारी को बचाने की कोशिश
संघ ने जबलपुर एसपी को खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री के नाम ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि जबलपुर में दर्ज एफआईआर क्रमांक 0004/2025 पूरी तरह एकतरफा कार्रवाई है। इसमें जिला आपूर्ति नियंत्रक नुजहत बानो बकाई, कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी भावना तिवारी और सुचिता दुबे समेत महिला अधिकारियों को आरोपी बना दिया गया, जबकि तकनीकी रूप से यह संभव ही नहीं कि वे स्टेट एडमिन लॉगिन से छेड़छाड़ कर पातीं। स्टेट एडमिन की लोगइन सह आयुक्त खाद्य भोपाल के पास होती है और इस मामले में उनकी कोई भी जिम्मेदारी तय नहीं की गई है, जो इस कार्रवाई पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है।
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स्टॉक पहले ही रिस्टोर हो चुका था
संघ का तर्क है कि करीब एक साल पहले ही 11 राशन दुकानों से घटाए गए स्टॉक को भोपाल स्तर पर फिर से रिस्टोर कर दिया गया था। खुद अपर संचालक खाद्य भोपाल ने अक्टूबर 2024 में आदेश जारी कर स्टॉक बहाल किया था। अधिकारी संघ का कहना है कि जब स्टॉक को रिस्टोर कर दिया गया था, तब गरीबों तक राशन न पहुंचने का सवाल ही पैदा नहीं होता। ऐसे में जबलपुर के अफसरों पर एफआईआर कर देना साफ तौर पर भोपाल के अधिकारियों को बचाने की कोशिश है।
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बिना सुनवाई कार्रवाई के आरोप
ज्ञापन में कहा गया है कि बिना किसी तकनीकी जांच और बिना स्थानीय आईपी एड्रेस की पड़ताल किए ही महिला अधिकारियों पर संगीन धाराओं में मामला दर्ज करा दिया गया। संघ ने इसे अफसरशाही की राजनीति और जिम्मेदारी से बचने का खेल करार दिया है। उनका कहना है कि अधिकारियों को सुने बिना एफआईआर दर्ज कराना न्याय नहीं, बल्कि द्वेषपूर्ण कदम है।
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5 पॉइंट्स में समझें पूरी खबर...जबलपुर राशन घोटाला: जबलपुर में राशन घोटाले में गरीबों का गेहूं, चावल, नमक और शक्कर हड़पने का मामला सामने आया। आरोप है कि अधिकारियों की मिलीभगत से राशन बाजार में बेच दिया गया। इसमें 2.20 करोड़ रुपए की चोरी हुई। एफआईआर पर सवाल: जबलपुर के खाद्य आपूर्ति अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई, जिसमें महिला अधिकारियों को आरोपी बनाया गया। संघ का आरोप है कि बिना तकनीकी जांच और स्थानीय आईपी एड्रेस की पड़ताल किए कार्रवाई की गई, जो अनुचित है। भोपाल अधिकारियों की भूमिका: संघ ने कहा कि स्टेट एडमिन लॉगिन से छेड़छाड़ करने का अधिकार केवल भोपाल स्थित संचालक खाद्य के पास है। इसका मतलब है कि जबलपुर के अधिकारियों पर कार्रवाई भोपाल के अधिकारियों को बचाने की कोशिश हो सकती है। स्टॉक रिस्टोर किया गया था: एक साल पहले 11 राशन दुकानों से घटाए गए स्टॉक को भोपाल में रिस्टोर कर दिया गया था। इस आदेश को अपर संचालक खाद्य भोपाल ने अक्टूबर 2024 में जारी किया था, जिससे गरीबों तक राशन न पहुंचने का सवाल ही नहीं था। हड़ताल की चेतावनी: खाद्य आपूर्ति अधिकारी संघ ने चेतावनी दी है कि अगर एफआईआर को वापस नहीं लिया गया और गिरफ्तारी पर रोक नहीं लगी, तो वे सामूहिक हड़ताल पर जा सकते हैं, जिससे पीडीएस व्यवस्था पर असर पड़ेगा। |
हड़ताल पर जाने की चेतावनी
संघ ने चेतावनी दी है कि यदि शासन ने एफआईआर वापस लेने और गिरफ्तारी पर रोक लगाने के आदेश नहीं दिए तो खाद्य विभाग के सभी अधिकारी जिला आपूर्ति नियंत्रक, जिला आपूर्ति अधिकारी, सहायक व कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी 8 सितंबर से ही सामूहिक हड़ताल / कलमबंद हड़ताल पर चले जाएंगे। इससे पूरे प्रदेश में पीडीएस व्यवस्था चरमराने का खतरा है।
क्राइम ब्रांच में दर्ज हुई थी FIR
यह पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब जांच में सामने आया कि जबलपुर नगर निगम क्षेत्र की 11 राशन दुकानों में पोर्टल से छेड़छाड़ कर 391.780 मीट्रिक टन गेहूं, 338.789 मीट्रिक टन चावल, 3.027 मीट्रिक टन नमक और 0.97 मीट्रिक टन शक्कर गायब कर दिया गया। कुल कीमत 2.20 करोड़ रुपए आंकी गई। आरोप है कि दुकानदारों ने अधिकारियों की मिलीभगत से गरीबों तक पहुंचने वाला राशन बाजार में बेच दिया। इसी आधार पर क्राइम ब्रांच ने एफआईआर दर्ज की थी।
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