Jabalpur : रानी दुर्गावती विवि कर रहा छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ , LLB के होल्ड रिजल्ट और सेमेस्टर सिस्टम पर हाईकोर्ट ने की यह टिप्पणी

जबलपुर के रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में एलएलबी के होल्ड रिजल्ट को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान सेमेस्टर सिस्टम और विवि की कलई खुल कर सामने आई।

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Neel Tiwari
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MP Jabalpur RD University LLB hold result High Court Hearing

JABALPUR.  मध्य प्रदेश के जबलपुर के रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में एलएलबी के छात्रों के होल्ड किए गए रिजल्ट पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। युगल पीठ में हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने भी इस सिस्टम को सांप-सीढ़ी का खेल माना।

यह तो सांप सीढ़ी के खेल की तरह

चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की युगल पीठ में सेमेस्टर सिस्टम के तहत रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के छात्रों के होल्ड किया रिजल्ट के मामले की सुनवाई के दौरान सेमेस्टर सिस्टम और विश्वविद्यालय की कलई खुल कर सामने आई। मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा ने यह भी टिप्पणी की  "यह तो सांप सीढ़ी के खेल की तरह है कि 99 में अगर आपको सांप डसेगा तो वापस एक पर आ जाओगे"।

क्या है पूरा मामला

जबलपुर की रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के द्वारा बड़ी संख्या में छात्र- छात्राओं का तीसरे और पांचवे सेमेस्टर का परिणाम होल्ड पर रखा गया है। इसके खिलाफ महाकौशल लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन सोसायटी के अध्यक्ष अंकुश चौधरी द्वारा हाईकोर्ट में रिट पिटीशन लगाई गई है। शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा की युगल पीठ के सामने हुई।

जारी नहीं हुआ 500 से ज्यादा छात्रों का रिजल्ट

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता ने यह पक्ष रखा की लगभग 500 से ज्यादा छात्रों के परीक्षा परिणाम यूनिवर्सिटी द्वारा जारी नहीं किए जा रहे हैं। इस पर रानी दुर्गावती विवि की ओर से बताया गया की सभी एलिजिबल विद्यार्थियों के रिजल्ट घोषित कर दिए गए हैं। इसके बाद इस एलिजिबल कैटेगरी को समझने के लिए कोर्ट में सेमेस्टर सिस्टम की जानकारी दी गई, इस जानकारी के दौरान कोर्ट के सामने विश्वविद्यालय के द्वारा की गई अनियमित्तता भी खुलकर सामने आ गई।

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क्या है सेमेस्टर सिस्टम की सांप सीढ़ी

विश्वविद्यालय की ओर से बताया गया कि सेमेस्टर सिस्टम के नियम अनुसार किसी भी विद्यार्थी को एक सेमेस्टर में 6 विषयों में से कम से कम 4 विषय उत्तीर्ण करने जरूरी है। यदि विद्यार्थी दो विषयों में फेल भी हो जाता है तो उसे सिर्फ उन विषयों में एटीकेटी या कहें सप्लीमेंट्री देने का मौका मिलता है। विद्यार्थी इसमें एक साथ ऑर्ड सेमेस्टर या इवन सेमेस्टर का एग्जाम ही दे सकता है। इसके साथ ही विद्यार्थी को चौथे सेमेस्टर के पेपर देने से पहले प्रथम सेमेस्टर पास करना आवश्यक है। इस पर कोर्ट ने यह टिप्पणी करते हुए कहा कि इस तरह तो विद्यार्थी पुरानी एटीकेटी क्लियर करने में ही उलझा हुआ रह जाएगा और 5 साल के अंदर डिग्री खत्म करने की गाइड का भी उल्लंघन होगा।

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इस तरह समझिए सेमेस्टर सिस्टम

सेमेस्टर सिस्टम के अनुसार 6 विषयों में से यदि विद्यार्थी चार विषयों में उत्तीर्ण हो जाता है तो उसे दो विषयों में एटीकेटी की सुविधा मिलती है। अगर किसी विद्यार्थी को प्रथम सेमेस्टर में एटीकेटी आती है और उसके बाद वह दूसरा सेमेस्टर उत्तीर्ण कर लेता है तो तीसरे सेमेस्टर के साथ वह पहले सेमेस्टर के बचे हुए विषयों की परीक्षा भी दे सकता है। पर यदि तीसरा सेमेस्टर पास कर लेने के बाद भी विद्यार्थी प्रथम सेमेस्टर की एटीकेटी क्लियर नहीं कर पता तो उसे प्रथम सेमेस्टर के सभी विषयों की परीक्षा फिर से देनी पड़ती है। 

इस तरह पहले सेमेस्टर बिना पास किए विद्यार्थी चौथे सेमेस्टर का एग्जाम नहीं दे सकता और दूसरा सेमेस्टर बिना उत्तीर्ण किया विद्यार्थी पांचवें सेमेस्टर का एग्जाम नहीं दे सकता। लेकिन उदाहरण के तौर पर अगर विद्यार्थी को प्रथम सेमेस्टर में एटीकेटी आई है जिसे वह उत्तीर्ण नहीं कर पाया है लेकिन उसने तीसरा सेमेस्टर पास कर लिया है तो उसे दोबारा से तीसरे सेमेस्टर की परीक्षा देने की आवश्यकता नहीं होती है। प्रथम सेमेस्टर के सभी विषय दोबारा उत्तीर्ण करने के बाद वह सीधे चौथे सेमेस्टर की परीक्षाएं दे सकता है।

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अपने ही जवाब में फंसता नजर आ रहा विवि 

आरडीवीवी के वकील ने यह दावा किया कि यूनिवर्सिटी के द्वारा सभी एलिजिबल छात्रों के परिणाम घोषित कर दिए गए। एलिजिबल कैंडिडेट से यूनिवर्सिटी का आशय था कि तीसरे सेमेस्टर के वह छात्र-छात्राएं जिन्होंने पहला सेमेस्टर भी पास कर लिया है। वह अगले सेमेस्टर के लिए एलिजिबल है और उनका रिजल्ट घोषित किया गया है जिस पर कोर्ट ने पूछा कि जिन छात्रों ने तीसरा सेमेस्टर पास कर लिया है और पहले सेमेस्टर अब तक पास नहीं हुए हैं क्या उन्हें पहले सेमेस्टर की एटीकेटी पास करने के बाद भी दोबारा से तीसरा सेमेस्टर देना होगा। जिस पर वकील ने बताया कि ऐसे छात्रों को दोबारा तीसरा सेमेस्टर नहीं देना होगा। 

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याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि लगभग 500 छात्रों का परिणाम यूनिवर्सिटी के द्वारा रोका गया है और यूनिवर्सिटी के अधिवक्ता कोर्ट में गलत तथ्य बता रहे हैं। युगल पीठ ने यह माना कि जब तीसरा सेमेस्टर छात्र छात्राओं ने पास कर लिया है तो उनका रिजल्ट होल्ड नहीं किया जाना चाहिए और विश्वविद्यालय को किसी भी छात्र-छात्रा का रिजल्ट ना रोकने के बयान का एफिडेविट देने के लिए आदेशित किया है। अब इस मामले में अपने ही बयान पर विवि फंसता हुआ नजर आ रहा है क्योंकि असलियत में सैकड़ो छात्रों का रिजल्ट होल्ड किया गया है। मामले की अगली सुनवाई 16 जुलाई को होगी।

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