मप्र में अब पूरे साल कल-कल बहेगी ये नदी, तीन स्टॉप डैम बनाने का सर्वे शुरू

मध्य प्रदेश की कलियासोत नदी पर तीन स्टॉप डैम बनाने के लिए जल-संसाधन विभाग ने सर्वे शुरू किया है। इससे नदी में 30 लाख घनमीटर पानी जमा होगा और 8 किलोमीटर तक पानी का प्रवाह साल भर बना रहेगा।

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Reena Sharma Vijayvargiya
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MP News : मध्य प्रदेश के भोपाल जिले में स्थित 36 किलोमीटर लंबी कलियासोत नदी को साल भर पानी से भरपूर बनाए रखने के लिए जल-संसाधन विभाग ने तीन स्टॉप डैम बनाने का प्रस्ताव रखा है। इसके लिए वर्तमान में विस्तृत सर्वे किया जा रहा है। यह परियोजना नदी की जल उपलब्धता बढ़ाने और भू-जल संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

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कलियासोत नदी की खासियत और परियोजना का उद्देश्य

कलियासोत नदी, जो कि कलियासोत वन क्षेत्र के जलस्रोतों से निकलती है, लगभग 36 किलोमीटर लंबी है। वर्तमान में यह नदी साल के अधिकांश महीनों में सूखी रहती है, केवल 3-4 महीने ही इसमें पानी बहता है। नदी के किनारे लगभग 8,000 एकड़ निजी जमीन है। नदी का प्रवाह भोजपुर से मिसरोद तक लगभग 17 किलोमीटर का है। इस नदी को गुजरात की साबरमती नदी की तरह विकसित करने की योजना है ताकि यह पूरे साल पानी से भरी रहे।

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तीन स्टॉप डैम कहां-कहां बनेंगे?

जल-संसाधन विभाग द्वारा किए गए प्रारंभिक सर्वे के अनुसार, तीन प्रमुख स्थानों पर स्टॉप डैम बनाए जाएंगे:-

स्टॉप डैम 1 :- सर्वधर्म पुल के पास, जो नदी के एक ढाई किलोमीटर के भीतर है।

स्टॉप डैम 2 :- जेके अस्पताल पुल और दानिश कुंज ब्रिज के बीच, लगभग दो किलोमीटर दूरी पर।

स्टॉप डैम 3 :- सलैया ब्रिज से आगे, जहां मौजूदा ब्रिज डूब जाएगा इसलिए नया पुल बनाना होगा।

इन तीनों स्टॉप डैम से लगभग 30 लाख घनमीटर पानी जमा किया जा सकेगा और इससे नदी में लगभग 8 किलोमीटर तक लगातार पानी बना रहेगा।

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नदी की वर्तमान स्थिति और पर्यावरणीय चुनौतियां

हालांकि नदी के संरक्षण की यह योजना सराहनीय है, किन्तु नदी पर कई पर्यावरणीय चुनौतियां भी हैं:-

सीवेज का मिलना :- शाहपुरा क्षेत्र के कोलार रोड से आने वाले नालों से मैनिट, पंचशील नगर, चार इमली, चूनाभट्टी जैसे इलाकों का घरेलू और औद्योगिक कचरा सीधे नदी में जा रहा है, जिससे नदी दूषित हो रही है।

औद्योगिक प्रदूषण :- मंडीदीप के पश्चिमी भाग के नाले और दक्षिण पूर्वी बस्तियों से भी सीवेज और औद्योगिक कचरा नदी में मिल रहा है।

नदी के किनारे अवैध निर्माण :- दी और इसके बफर जोन में लगभग 1100 से अधिक निर्माण हो चुके हैं, जो भविष्य में डैम बनने पर पानी की पकड़ में आ सकते हैं और इन्हें हटाना आवश्यक होगा।

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सर्वे के बाद की संभावनाएं

जल-संसाधन विभाग के पीएस विनोद देवड़ा के अनुसार, 1998 में भी कलियासोत नदी पर एक डैम बनाया गया था। वर्तमान सर्वे इसी को आधार बनाकर तीन स्टॉप डैम बनाने के लिए प्रारंभिक तथ्य एकत्रित कर रहा है। यदि ये डैम बन जाते हैं, तो नदी का जल प्रवाह स्थायी होगा और भू-जल स्तर भी बढ़ेगा। साथ ही नदी के किनारे के इलाकों में खेती और जल संचयन को लाभ मिलेगा।

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