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Photograph: (the sootr)
मध्यप्रदेश, जिसे 'टाइगर स्टेट' (Tiger State) के नाम से जाना जाता है, एक बार फिर अपने गौरव और संरक्षण प्रयासों के कारण सुर्खियों में है, लेकिन इस बार खबर चिंताजनक है। प्रकृति के नियमों और जंगल की क्रूर सच्चाई को दर्शाती एक दुखद घटना सामने आई है, जहां महज 24 घंटे के भीतर कान्हा टाइगर रिजर्व (Kanha Tiger Reserve) के अलग-अलग हिस्सों में तीन बाघ मृत पाए गए हैं।
इनमें एक वयस्क नर बाघ, जिसे पर्यटक 'बालाघाट मेल टाइगर' के नाम से जानते थे, और दो मादा शावक शामिल हैं। यह घटना वन अधिकारियों और वन्यजीव प्रेमियों के लिए एक गंभीर चुनौती और चिंता का विषय बन गई है।
बालाघाट मेल टाइगर की कहानी
'बालाघाट मेल टाइगर' कान्हा टाइगर रिजर्व के मुक्की रेंज में मृत पाया गया। यह बाघ 8 से 10 वर्ष की आयु का था और इसका वजन 170 से 180 किलोग्राम के बीच था, जो इसकी शक्तिशाली काया को दर्शाता है। यह रिजर्व में पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय था। अक्सर बफर क्षेत्र और कोर क्षेत्र के बीच घूमता हुआ पाया जाता था।
इसकी मौत ने पूरे रिजर्व में शोक की लहर पैदा कर दी है, साथ ही कई सवाल भी खड़े कर दिए हैं कि आखिर इतने शक्तिशाली बाघ को किसने मारा।
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पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बाघों की लड़ाई का खुलासा
इस वयस्क नर बाघ का शव राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के दिशानिर्देशों के अनुसार, पूरी प्रक्रिया का पालन करते हुए, अंतिम संस्कार से पहले पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट बाघों के संघर्ष की पुष्टि करती है। रिपोर्ट के अनुसार, बाघ की श्वासनली और गर्दन के क्षेत्र में गहरे घाव मिले हैं। ये घाव किसी अन्य वयस्क और शक्तिशाली बाघ के साथ हुई भीषण लड़ाई का संकेत देते हैं।
यह माना जा रहा है कि बालाघाट मेल टाइगर अपने क्षेत्र से भटककर या भोजन की तलाश में किसी अन्य क्षेत्रीय नर बाघ के इलाके में प्रवेश कर गया होगा, जिसके परिणामस्वरूप यह जानलेवा संघर्ष हुआ। वन्यजीव अधिकारी कान्हा टाइगर रिजर्व के इस मामले को प्राकृतिक मानते हैं, जहां क्षेत्र और प्रभुत्व स्थापित करने के लिए बाघों की लड़ाई एक आम लेकिन घातक प्रक्रिया है।
वयस्क बाघ के हमले में दो मादा शावकों की मौत
'बालाघाट मेल टाइगर' की मौत के कुछ ही घंटों बाद, कान्हा रेंज में दो अन्य मादा शावकों के शव मिले। अधिकारियों का शुरुआती दावा है कि इन शावकों की मौत भी एक वयस्क बाघ के हमले से हुई है।
शावकों पर हमला: प्रभुत्व और वर्चस्व की लड़ाई
बाघों के व्यवहार में यह अक्सर देखा जाता है कि जब कोई नया नर बाघ किसी क्षेत्र पर अपना प्रभुत्व स्थापित करता है, तो वह पिछले नर बाघ के शावकों को मार देता है। इसका मुख्य कारण यह है कि शावकों के मरने से मादा बाघ जल्दी ही फिर से प्रजनन के लिए तैयार हो जाती है, जिससे नया नर बाघ अपने जीन को आगे बढ़ा सकता है। यह प्रकृति का एक क्रूर लेकिन जैविक रूप से स्थापित नियम है।
अधिकारियों ने इन दोनों शावकों की मौत की जांच भी शुरू कर दी है, लेकिन परिस्थितिजन्य साक्ष्य यही दर्शाते हैं कि इनकी मौत भी किसी अन्य बड़े बाघ के हमले के कारण हुई है। इस तरह, कान्हा बाघों की मौत की संख्या 24 घंटे में तीन हो गई, जिसने मध्य प्रदेश बाघ संरक्षण के प्रयासों पर तात्कालिक चिंता बढ़ा दी है।
कान्हा टाइगर रिजर्व: मध्य प्रदेश बाघ संरक्षण
कान्हा टाइगर रिजर्व (KTR) न केवल भारत बल्कि विश्व स्तर पर बाघ संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र है। पिछली बाघ गणना के अनुसार, KTR में 137 बाघों की उपस्थिति दर्ज की गई थी, जो इसे मध्य प्रदेश बाघ संरक्षण के प्रयासों में सबसे आगे रखता है।
टाइगर स्टेट का गौरव...
तथ्य (Fact) | विवरण (Detail) |
एमपी टाइगर स्टेट का दर्जा | मध्य प्रदेश को भारत में सबसे अधिक बाघ (785, 2022 गणना) होने के कारण 'टाइगर स्टेट' कहा जाता है। |
KTR में बाघों की संख्या | पिछली गणना में 137 बाघ। |
KTR का विस्तार | मंडला और बालाघाट जिलों तक फैला हुआ है। बालाघाट नक्सल प्रभावित जिला है। |
NTCA दिशानिर्देश | मृत बाघों के शवों का अंतिम संस्कार राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के नियमों के तहत ही किया जाता है। |
देश में सर्वाधिक 785 बाघ एमपी में
मध्य प्रदेश में 2022 की गणना के अनुसार, देश में सर्वाधिक 785 बाघ हैं। यह संख्या राज्य के वन विभाग के अथक प्रयासों का परिणाम है। हालांकि, इतनी बड़ी संख्या भी अपने साथ नई चुनौतियां लाती है, जैसे- बाघों के बीच क्षेत्र को लेकर संघर्ष और मानव-वन्यजीव संघर्ष।
कान्हा बाघों की मौत (Kanha Tigers Death) की यह घटना, जो कि प्राकृतिक संघर्ष का परिणाम है, यह भी दिखाती है कि बाघों की बढ़ती संख्या के लिए बड़े और निर्बाध (uninterrupted) वन क्षेत्र कितने आवश्यक हैं।
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जंगल की क्रूर सच्चाई उजागर
कान्हा बाघों की मौत (Kanha Tigers Death) की यह घटना दुखद है, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट से यह साफ हो जाता है कि यह एक प्राकृतिक चयन की प्रक्रिया का हिस्सा है। एक तरफ जहां यह प्राकृतिक नियम को दर्शाता है, वहीं दूसरी तरफ यह मध्य प्रदेश बाघ संरक्षण के लिए एक चेतावनी भी है कि बढ़ती बाघ आबादी के प्रबंधन में क्षेत्र और संसाधनों का संतुलन बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है।
वन विभाग को इस मामले से सीख लेकर भविष्य में ऐसे प्राकृतिक संघर्षों के प्रभावों को कम करने के लिए गलियारों और पर्यावासों पर ध्यान केंद्रित करना होगा, ताकि 'टाइगर स्टेट' का गौरव और उसकी वन्यजीव विरासत सुरक्षित रह सके।