BHOPAL. मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव एक्शन मोड में आ गए हैं। मंत्रालय से दागी अफसरों को बाहर किया जाने लगा है। काम में कोताही बरतने वाले अफसरों को भी लूप लाइन में पटक दिया गया है। अब मंत्रालय में काम करने वाले तेजतर्रार और ईमानदार अफसरों को मुख्य धारा में लाया जा रहा है। खास यह है कि अफसरशाही पर नकेल कसने के लिए अधिकारियों के आने-जाने की टाइमिंग भी देखी जा रही है। सीएम के निर्देश पर शुक्रवार यानी 28 जून को मंत्रालय में एक टीम ने गोपनीय रूप से यह देखा कि कौन, कितने बजे दफ्तर पहुंचा। सूत्रों के अनुसार, इसमें दो अधिकारी समय से दफ्तर नहीं पहुंचे थे। उन्हें मुख्यमंत्री कार्यालय यानी सीएमओ से सख्त हिदायत दी गई है। नॉन परफॉर्मिंग आईएएस...
फीडबैक के आधार पर काम
दरअसल, लोकसभा चुनाव के समापन के बाद सीएम डॉ.मोहन यादव अब फुल फॉर्म में आ गए हैं। वे रोजाना विभिन्न विभागों के आला अफसरों की मैराथन बैठकें ले रहे हैं। ग्राउंड से आ रहे फीडबैक के आधार पर काम शुरू हो गया है। शुक्रवार को ही उन्होंने चैक पोस्ट पर हो रही वसूली को लेकर सख्त रुख अपनाते हुए एमपी में भी गुजरात मॉडल लागू करने के निर्देश दिए हैं।
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तीन एसीएस मंत्रालय से बाहर
इससे एक दिन पहले यानी 27 जून को देर रात 14 अफसरों के तबादले किए गए हैं। इनमें नॉन परफॉर्मिंग एसीएस विनोद कुमार और जेएन कंसोटिया को लूप लाइन में डाल दिया गया है। विनोद कुमार को मंत्रालय से हटाकर आदिम जाति अनुसंधान एवं विकास संस्थान भेजा गया है। वहीं, कंसोटिया को प्रशासन अकादमी का महानिदेशक बनाया गया है। एससीएस स्मिता भारद्वाज से भारी भरकम खाद्य विभाग का जिम्मा छीनकर खेल एवं युवक कल्याण विभाग भेजा गया है। यह पहली बार है, जब एसीएस स्तर के अधिकारी को इतना कमजोर विभाग दिया गया है। इन्हीं में स्वतंत्र कुमार भी हैं, जिन्हें गैस राहत में भेजा है। इससे साफ तौर पर संदेश यही है कि मंत्रालय में नॉन परफॉर्मिंग अधिकारी नहीं चल पाएंगे।
इन अधिकारियों की ताजपोशी
आईएएस एम.सेलवेंद्रन को कृषि विभाग में सचिव पदस्थ किया है। इस तरह उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। ऐसे ही रघुराज एमआर को तकनीकी शिक्षा विभाग में सचिव बनाकर ताजपोशी की गई है। धनराजू एस को कमिश्नर वाणिज्यिककर एवं श्रम आयुक्त बनाया गया है। वे लंबे समय शिक्षा विभाग में थे। हरजिंदर सिंह को राज्य शिक्षा केंद्र के संचालक का जिम्मा दिया गया है।
समय पर नहीं पहुंचे तो नपना तय
सीएम के निर्देश के बाद अब मंत्रालय से लेकर सभी जिलों के दफ्तरों में अधिकारी-कर्मचारियों को समय पर ही पहुंचना होगा, वरना उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में फाइव डे वीक है। ऐसे में हफ्ते में सिर्फ 5 दिन ही काम हो पाता है, उसमें भी अफसर लापरवाही करते हैं। लिहाजा, इसे लेकर आदेश भी जारी किया गया है। सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक अधिकारियों को दफ्तर में समय देना ही होगा।