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मध्य प्रदेश में नक्सलवाद के खिलाफ एक बड़ी जीत मिली है। गुरुवार, 11 दिसंबर को बालाघाट में माओवादी कमांडर दीपक उइके और छत्तीसगढ़ निवासी रोहित ने पुलिस के सामने समर्पण कर दिया है।
इसके बाद सीएम मोहन यादव (CM Mohan Yadav) ने यह घोषणा की है कि प्रदेश पूरी तरह नक्सल मुक्त हो गया है। बता दें कि पिछले 42 दिनों में करोड़ों के इनामी 42 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है।
सीएम बोले- अब विकास की बारी
इन दोनों नक्सलियों के सरेंडर के दौरान सीएम मोहन यादव वीसी के जरिए मौजूद थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि आज के इस सरेंडर से पहले मध्यप्रदेश में माओवादियों की संख्या दो थी। इन दोनों ने बालाघट के सीआरपीएफ शिविर में आत्मसमर्पण किया है।
हाल ही में आत्मसमर्पण केंद्रों से मिली जानकारी के अनुसार अब मध्यप्रदेश में सूचीबद्ध नक्सलियों में से या तो उन्हें ढेर कर दिया गया है या उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया है। इसमें 7 करोड़ 75 लाख के इनामी नक्सलियों ने सरेंडर किया है।
इसके साथ ही सीएम मोहन यादव ने कहा कि जो सरेंडर हुआ है, उसकी गारंटी हम लेंगे। वहीं, जो सरेंडर नहीं हुए हैं, उन्हें मार दिया गया है। 1988-89 से शुरू होने वाला यह लाल सलाम का माओवादी आतंक अभियान अब मध्यप्रदेश से खत्म हो गया है।
वहीं, इस दौरान उन्होंने कहा कि अब इन क्षेत्रों का विकास तेजी से होगा, जो पहले माओवादी गतिविधियों से प्रभावित थे।
LIVE: वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बालाघाट में पुनर्वास से पुनर्जीवन के अंतर्गत आयोजित नक्सलियों के आत्मसमर्पण कार्यक्रम में संबोधन https://t.co/TFCVydSO0s
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) December 11, 2025
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38 सुरक्षाकर्मियों और 39 निर्दोषों ने गंवाई जान
सीएम ने बताया कि इन 36 सालों में माओवादी हिंसा में 38 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए थे। इसके अलावा, 39 आम नागरिकों ने भी अपनी जान गंवाई। उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि जब माओवादी नेता मारा गया, कांग्रेस ने बस अफसोस जताया था। सीएम ने यह भी कहा कि माओवादियों ने कांग्रेस के कई नेताओं की हत्या की है।
एमपी नक्सलवाद की खबर पर एक नजर...
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भय और आतंक में जी रहे थे लोग
यह संघर्ष 1988 में शुरू हुआ था जब माओवादी बालाघाट, मंडला और डिंडोरी में फैलने लगे थे। इन इलाकों में डर, हिंसा और बंदूकें आम हो गई थीं। इस संघर्ष में लोग कई सालों तक भय और आतंक में जी रहे थे।
इन दोनों पर 43 लाख रुपए का था इनाम
गुरुवार को समर्पण करने वाले दीपक और रोहित पर कुल 43 लाख रुपए का इनाम था। दीपक मलाजखंड दलम का कमांडर था। वहीं, रोहित दर्रेकसा दलम का एएसएम था। इन दोनों ने बालाघाट के कोरका सीआरपीएफ (CRPF) कैंप में पुलिस के सामने समर्पण किया है।
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नक्सलियों के खिलाफ साल 1990 से हो रही थी कार्रवाई
1990 से लेकर 2023 तक, नक्सलियों के खिलाफ लगातार कार्रवाई होती रही थी। 1990 में बालाघाट के सीतापाला थाना में पहला केस दर्ज हुआ था। इसके बाद कई बड़ी घटनाओं ने इस संघर्ष को और बढ़ा दिया था।
सबसे बड़ी मुठभेड़ 1991 में हुई थी, जब 15 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। 2023 में हॉक फोर्स और अन्य सुरक्षा एजेंसियों ने अभियान तेज किया था। साथ ही, मध्य प्रदेश को माओवादियों से मुक्त करने का लक्ष्य तय किया, जिसे अब पूरा किया गया है।
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