BHOPAL. मध्यप्रदेश की राजनीति में इन दिनों जो सबसे अहम सवाल तैर रहा है, वह यही है कि आखिर निगम-मंडलों में नियुक्तियां कब होंगी? नेताओं को ताजपोशी के लिए कितना और इंतजार करना होगा? सत्ता की परछाइयों में दम साधे बैठे बीजेपी नेता और कार्यकर्ता अब अपने हिस्से की सत्ता चाहते हैं।
इस बीच प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है। एक अखबार से बातचीत में उन्होंने कहा कि निगम-मंडलों में नियुक्ति की प्रक्रिया अंतिम मोड़ पर है। जल्द ही इसका औपचारिक ऐलान किया जाएगा।
निगम-मंडलों में नियुक्ति राजनीतिक रणनीति का बड़ा हिस्सा होती है। ये पद संगठन के उन नायकों के लिए इनाम होते हैं, जिन्होंने पार्टी को जमीन पर खड़ा रखा। हालांकि इस बार सूबे में यह मामला इतना सीधा नहीं है।
आयतित नेताओं को रिझाना बड़ी चुनौती
विधानसभा और लोकसभा चुनावों से पहले बीजेपी में कांग्रेस और अन्य दलों से आए नेताओं की लंबी कतार जुड़ी है। पार्टी ने इन आयतित नेताओं को मंच और मौका दिया है। अब बारी निगम-मंडलों की है। सवाल यह है कि क्या पार्टी अपने पुराने वफादारों को भूल जाएगी? या फिर संतुलन साधने की कवायद होगी?
मध्यप्रदेश में निगम-मंडलों की स्थिति देखने पर यह साफ होता है कि मौजूदा सरकार के पास नियुक्तियों की बड़ी खिड़की खुली है। प्रदेश में 64 वैधानिक निकाय और उपक्रम हैं, जिनमें से निगम/मंडल, स्टेट बोर्ड, आयोग और नगरीय संस्थाएं शामिल हैं। ऐसे में यह एक ऐसा पावर गेम है, जहां सैकड़ों नेताओं को बल्लेबाजी कराई जा सकती है।
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तीन नियुक्तियों से शुरू हुई कवायद
मोहन सरकार ने अब तक केवल तीन प्रमुख नियुक्तियां की हैं, जिनमें राजनीतिक समीकरण स्पष्ट झलकते हैं। सीताराम आदिवासी को सहरिया विकास प्राधिकरण का उपाध्यक्ष बनाया गया है। हालांकि यह कदम विजयपुर उपचुनाव से पहले आदिवासी वोट बैंक को साधने की रणनीति के तहत किया गया था। मोहन नागर को जन अभियान परिषद का उपाध्यक्ष बनाया गया है। वहीं, श्रीकांत पाटिल क्रिप्स (CRIPS) के एमडी बनाए गए हैं।
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पुरानी नियुक्तियों को रद्द किया
13 फरवरी 2025 को मोहन सरकार ने बड़ा और सख्त फैसला लेते हुए शिवराज सरकार के समय की गई 46 नियुक्तियों को एक ही आदेश से निरस्त कर दिया था। इनमें वे अध्यक्ष और उपाध्यक्ष शामिल थे, जिन्हें राज्य मंत्री या कैबिनेट दर्जा दिया गया था।
मोहन सरकार ने यह संदेश दिया कि अब नई सत्ता संरचना बनेगी और पुरानी वफादारियों की जगह नई कार्यशैली को महत्व मिलेगा। यह कदम बीजेपी में नई लाइन अप की शुरुआत के तौर पर देखा गया था।
गौरतलब है कि शिवराज सिंह चौहान ने अपने कार्यकाल में निगम-मंडलों के पदों पर 60 राजनीतिक नियुक्तियां की थीं। अब जब प्रक्रिया पूरी हो चुकी है तो सभी निगाहें मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की अगली रणनीति पर टिकी हैं। क्या पुराने नेताओं को सम्मान मिलेगा या पार्टी फिर से संगठन से ज्यादा समीकरण देखेगी?