मध्यप्रदेश में बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमानों की गिनती में देरी हो रही है। गृहमंत्री अमित शाह ने इस पर राज्यों के मुख्य सचिव और DGP को सख्त निर्देश दिए हैं। बावजूद इसके सरकार की ओर से कोई आधिकारिक नोटिफिकेशन जारी न होने के कारण इन समुदायों की संख्या का पता नहीं चल पा रहा है। जबकि कई दूसरे राज्यों में यह काम पूरा हो चुका है।
नोटिफिकेशन जरूरी
भारत सरकार द्वारा 2017 में एक योजना शुरू की गई थी, जिसके तहत राज्य सरकारों को अवैध प्रवासियों की पहचान करने और उन्हें सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया गया था। लेकिन मध्यप्रदेश सरकार की लापरवाही से अब तक इस मामले में कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया है, इससे बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमानों की संख्या का पता नहीं चल पा रहा है। ऐसे में इन समुदायों की पहचान करना और उनका आंकड़ा इकट्ठा करना मुश्किल हो गया है।
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क्या हैं समस्याएं?
- सुरक्षा खतरे: बांग्लादेशी रोहिंग्या मुसलमानों की सही संख्या का पता न चलने से सुरक्षा व्यवस्था पर असर पड़ रहा है। अवैध प्रवासियों का सही आंकड़ा न होने के कारण राज्य की सुरक्षा योजनाओं को लागू करने में परेशानी आ रही है।
- विकास कार्यों में बाधा: राज्य सरकार के विकास कार्यों और योजनाओं को इन समुदायों के बारे में जानकारी न होने से प्रभावित हो रहा है। जो लोग असामाजिक गतिविधियों में लिप्त हैं, उनकी पहचान न होने से सरकारी योजनाओं का लाभ असली लाभार्थियों तक पहुंचने में रुकावट आ रही है।
- कानूनी समस्या: अवैध प्रवासियों की गिनती न होने से उनके लिए सामाजिक कल्याण योजनाओं के लाभ और नागरिक अधिकारों की पुष्टि नहीं हो पा रही है। इससे इन समुदायों में असमंजस की स्थिति बन रही है।
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रोहिंग्याओं का सर्वे
मध्य प्रदेश में पुलिस और खुफिया एजेंसियों द्वारा आठ जिलों में रोहिंग्या मुसलमानों का सर्वे किया जाएगा। यह कदम केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर उठाया गया है, जिसका उद्देश्य अवैध प्रवासियों की पहचान कर उन्हें बांग्लादेश और म्यांमार वापस भेजना है।
भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनजर, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को रोहिंग्या मुसलमानों का सर्वे करने का निर्देश दिया है। गृह मंत्रालय ने कहा है कि कोई भी अवैध दस्तावेज जारी नहीं किया जाना चाहिए, जिससे भविष्य में नागरिकता का दावा किया जा सके। सर्वे के बाद, अवैध प्रवासियों की पहचान कर उन्हें उनके मूल देशों, बांग्लादेश और म्यांमार, वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
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मध्यप्रदेश में सर्वे
मध्य प्रदेश में पुलिस और खुफिया एजेंसियों ने मिलकर आठ जिलों- ग्वालियर, इंदौर, भोपाल, रतलाम, मंदसौर, खरगोन, जबलपुर और श्योपुर में सर्वे शुरू किया है। इन जिलों में प्रवासियों की संख्या अधिक है और यहां प्रतिबंधित संगठन सिमी के सदस्य और आईएसआई एजेंट पकड़े जाने के मामले पहले भी सामने आ चुके हैं, जिससे इन्हें अधिक संवेदनशील माना गया है।
क्या होगा सर्वे में
- डोर-टू-डोर सर्वे: प्रवासी बस्तियों में जाकर प्रत्येक व्यक्ति के दस्तावेज़ की जांच की जाएगी।
- दस्तावेज सत्यापन: बंगाल, झारखंड, बिहार और कश्मीर से आए लोगों के दस्तावेज़ की जांच होगी और उनके मूल पते का सत्यापन किया जाएगा।
- फिंगरप्रिंट संग्रहण: सभी संदिग्ध व्यक्तियों के फिंगरप्रिंट लिए जाएंगे।
- नागरिकता की जांच: बाहर से आकर यहां नागरिकता लेने वालों की भी जांच की जाएगी।
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कौन हैं रोहिंग्या मुसलमानों
दक्षिण-पूर्व एशियाई देश म्यांमार की अधिकांश आबादी बौद्ध धर्म को मानने वाली है, लेकिन इसी देश में रोहिंग्या मुसलमानों की एक बड़ी जनसंख्या भी मौजूद है, जिसकी संख्या लगभग 10 लाख के आसपास आंकी जाती है। ये रोहिंग्या समुदाय मुख्य रूप से म्यांमार के पश्चिमी क्षेत्र रखाइन (Rakhine) में पीढ़ियों से रह रहा है। MP