मध्य प्रदेश सरकार ने नर्सिंग शिक्षा में सुधार के लिए कदम उठाया है। राज्य सरकार ने सभी जिला दंडाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे 2025-26 सत्र के लिए आवेदन करने वाली नर्सिंग संस्थाओं का फिजिकल सत्यापन करें। इस सत्यापन में सीबीआई और उच्च न्यायालय द्वारा जांच में कमी वाली संस्थाओं को प्राथमिकता दी जाएगी।
30 जून तक सत्यापन प्रक्रिया को पूरा करना होगा
सरकार ने यह कदम नर्सिंग शिक्षा की गुणवत्ता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए उठाया है। 30 जून 2025 तक सभी संस्थाओं का फिजिकल सत्यापन अनिवार्य रूप से पूरा करना होगा। सत्यापन की प्रक्रिया को गंभीरता से लिया गया है, क्योंकि इससे पहले कई नर्सिंग कॉलेजों ने फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत किए थे। इसके अलावा, कई कॉलेज दूरदराज क्षेत्रों में स्थित पाए गए, जिससे उन्हें ढूंढना और निरीक्षण करना कठिन हो गया था।
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फिजिकल सत्यापन के लिए गठित की टीमें
इस बार सत्यापन प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और न्यायसंगत बनाने के लिए प्रत्येक जिले में एक संयुक्त निरीक्षण समिति गठित की जाएगी। इस समिति में स्वास्थ्य विभाग से चिकित्सक, वरिष्ठ नर्सिंग अधिकारी और राजस्व विभाग से एसडीएम या तहसीलदार शामिल होंगे। यह समिति निर्धारित प्रारूप के अनुसार संस्थाओं का निरीक्षण करेगी और रिपोर्ट तैयार करेगी।
ऑनलाइन आवेदन और कैसे होगी रिपोर्टिंग
सभी संस्थाओं ने पहले ही ऑनलाइन आवेदन जमा कर दिए हैं। निरीक्षण रिपोर्ट को ई-मेल [mpnursingnoc@gmail.com](mailto:mpnursingnoc@gmail.com)) पर भेजना होगा और प्रिंटेड रिपोर्ट की हार्डकॉपी को भोपाल स्थित मध्यप्रदेश नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसिल में जमा करना होगा। इस प्रक्रिया से नर्सिंग कॉलेजों की पहचान और गुणवत्ता सुनिश्चित की जाएगी।
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CBI जांच से बची संस्थाओं की भी होगी जांच
मध्य प्रदेश सरकार ने यह भी फैसला लिया है कि सीबीआई द्वारा जांच से बची हुई संस्थाओं का भी सत्यापन किया जाएगा। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी भी प्रकार की गड़बड़ी या लापरवाही न हो। उच्च न्यायालय के सख्त निर्देशों के मद्देनजर यह कदम उठाया गया है।
दोषियों को दिया जा रहा संरक्षण : एनएसयूआई
इस मामले में एनएसयूआई के प्रदेश उपाध्यक्ष रवि परमार ने सरकार और संबंधित विभागों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि सरकार और विभागीय अधिकारी इस घोटाले के दोषियों को संरक्षण दे रहे हैं। परमार का आरोप है कि उच्च न्यायालय के निर्देशों के बावजूद दोषियों पर कार्रवाई नहीं हो रही है। कई दोषी लोग आज भी अपने रसूख और राजनीतिक संबंधों के चलते जांच के दायरे से बाहर हैं।
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गांधी मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों पर कार्रवाई में कमी
रवि परमार ने गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल की मीनू नायर और राखी पटेल के नाम लिए, जिन्हें दोषी होते हुए भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी गईं। इसके अलावा, अन्य अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई नहीं होने का मुद्दा उठाया गया। परमार ने कहा कि वे सभी साक्ष्य के साथ उच्च न्यायालय का रुख करेंगे और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग करेंगे।
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नर्सिंग शिक्षा के क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता
मध्य प्रदेश में नर्सिंग शिक्षा में सुधार की यह प्रक्रिया महत्वपूर्ण है। यह कदम यह सुनिश्चित करेगा कि राज्य में नर्सिंग कॉलेजों की गुणवत्ता उच्च स्तर पर हो। साथ ही, यह छात्रों को बेहतर शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करने में मदद करेगा, जो भविष्य में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को मजबूत बनाने में सहायक होंगे।
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