एमपी नर्सेज रजिस्ट्रेशन काउंसिल को INC का नोटिस, मान्यता रद्द करने की चेतावनी

भारतीय नर्सिंग परिषद ने मध्य प्रदेश नर्सेज रजिस्ट्रेशन काउंसिल द्वारा प्रकाशित नर्सिंग शिक्षा नियम 2024 का विरोध किया है। नर्सिंग संस्थानों के मानकों से संबंधित है और जो भारतीय नर्सिंग परिषद के अधिनियम 1947 से असंगत हैं।

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Sandeep Kumar
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MP NEWS: इंडियन नर्सिंग काउंसिल (INC) ने मध्य प्रदेश नर्सेज रजिस्ट्रेशन काउंसिल को पत्र लिखा है। 2024 में अधिसूचित नए नर्सिंग शिक्षण स्वास्थ्य मान्यता नियमों पर गहरी आपत्ति जताई है। INC ने आरोप लगाया है कि ये नियम इंडियन नर्सिंग काउंसिल अधिनियम, 1947 के तहत निर्धारित मानकों से गंभीर रूप से भिन्न हैं।  इससे नर्सिंग शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।  INC ने स्पष्ट किया कि यदि मध्य प्रदेश परिषद द्वारा इन नियमों को निरस्त नहीं किया गया तो वह परिषद की मान्यता वापस लेने पर विचार कर सकती है। साथ ही, यह भी चेताया कि ऐसे संस्थानों की योग्यता केवल राज्य-स्तरीय पंजीकरण तक सीमित हो सकती है। परिषद ने 15 दिनों के अंदर जवाब मांगा है।

नए नियमों से गहराया विवाद

21 फरवरी 2024 को मध्य प्रदेश नर्सेज रजिस्ट्रेशन काउंसिल द्वारा अधिसूचित नर्सिंग शिक्षा नियमों पर INC ने सख्त नाराजगी जताई है। परिषद ने स्पष्ट किया है कि ये नियम केंद्रीय INC के मानकों से न केवल भिन्न हैं, बल्कि उन्हें कमजोर करते हैं, जिससे नर्सिंग शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होगी।

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केंद्रीय नियमों से टकराव

मध्य प्रदेश नियमों में "नर्स-मिडवाइफ" और "सहायक नर्स-मिडवाइफ" की परिभाषाएं INC द्वारा निर्धारित नहीं की गई हैं। किराए के अस्पतालों की दो वर्ष की शर्त, छात्रों के समग्र नैदानिक अनुभव को सीमित करने वाली शिफ्ट पॉलिसी, समेत कई बिंदुओं पर गंभीर आपत्ति उठाई गई है।

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समान मानकों का उल्लंघन

इंडियन नर्सिंग काउंसिल का कहना है कि पूरे देश में नर्सों के लिए एक समान प्रशिक्षण मानक आवश्यक हैं। मध्य प्रदेश नियमों में यदि भिन्नता बनी रहती है, तो वहां की नर्सें दूसरे राज्यों में पंजीकरण नहीं करा पाएंगी। जिसका सीधा असर उनके करियर पर पड़ेगा।

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मान्यता रद्द करने की चेतावनी

परिषद ने मध्य प्रदेश काउंसिल को नोटिस जारी कर 15 दिनों में संतोषजनक जवाब मांगा है। साथ ही, धारा 14(3) के तहत यह स्पष्ट किया है कि वह राज्य परिषद की मान्यता रद्द करने पर विचार कर सकती है। जिससे उनके द्वारा दी गई डिग्री मान्यता प्राप्त नहीं मानी जाएगी।

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शिक्षकों और अस्पतालों की गुणवत्ता पर सवाल

नए नियमों के तहत शैक्षणिक स्टाफ की आवश्यकता कम कर दी गई है।  जो छात्र-शिक्षक अनुपात को बिगाड़ेगा। साथ ही, प्रशिक्षुओं को समुचित नैदानिक अनुभव देने वाले अस्पतालों तक उचित पहुंच न मिलने से उनकी स्किल्स पर असर पड़ेगा।

पारस्परिक पंजीकरण प्रणाली पर संकट

INC ने चेताया है कि यदि नर्सिंग मानकों में एकरूपता नहीं रखी गई, तो राज्यों के बीच पारस्परिक पंजीकरण की प्रणाली प्रभावित होगी। इसका मतलब है कि मध्य प्रदेश से पढ़ी नर्सें अन्य राज्यों में नौकरी के लिए पंजीकरण नहीं करा सकेंगी।

मध्य प्रदेश के नियमों में कमी

इंडियन नर्सिंग काउंसिल ने इन नियमों में कई कमी  पाई हैं जो उसके द्वारा निर्धारित नियमों से भिन्न हैं। इन विसंगतियों में शामिल हैं:

  • सहायक नर्स-मिडवाइफ की नियुक्ति इंडियन नर्सिंग काउंसिल द्वारा अधिनियम 1947 की धारा 16 के तहत निर्धारित नहीं की गई है।
  • नर्स-मिडवाइफ की नियुक्ति और पात्रता, जो इंडियन नर्सिंग काउंसिल द्वारा निर्धारित नहीं की गई है।
  • किराए का समझौता केवल दो साल का होगा, जो संस्थानों के लिए अनुशासनात्मक मुद्दे पैदा कर सकता है।
  • शिफ्ट व्यवस्था को लेकर भी विवाद है, क्योंकि नर्सिंग छात्रों को सभी शिफ्टों में नैदानिक अनुभव से अवगत कराया जाना आवश्यक है, जो इन नियमों में उल्लिखित नहीं है।

 

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