दिवाली का मजा किरकिरा न कर दे आउटसोर्स बिजलीकर्मियों का आंदोलन

मध्य प्रदेश में बिजली कंपनियां आउटसोर्स कर्मचारियों के सहारे ही चल रही हैं।  बिजली कंपनियों में दो दशक यानी 1992 से सीधी भर्ती नहीं हुई है। ठेकेदारों के शोषण से नाराज आउटसोर्सकर्मियों ने आंदोलन की चेतावनी दे दी है।

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Sanjay Sharma
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BHOPAL. प्रदेश भर में आउटसोर्स कंपनियों के शोषण से पिस रहे कर्मचारी अब आंदोलन की राह पर आ गए हैं। बिजली कंपनियों के लिए काम करने वाले ठेका श्रमिकों ने दिवाली पर तीन दिन काम न करने और आंदोलन की चेतावनी दी है। ये कर्मचारी आउटसोर्स कंपनियों द्वारा वेतन कटौती, छुट्टी नहीं देने, 12 से 14 घंटे काम कराने का कई महीनों से विरोध कर रहे हैं।

इसके साथ ही सरकारी विभागों में खाली पदों पर भर्ती की मांग भी की जा रही है। मांगों की अनदेखी से नाराज आउटसोर्स कर्मचारियों ने 18 से 20 अक्टूबर के बीच काम नहीं करने का ऐलान किया है। यदि बिजली कंपनी के आउटसोर्स कर्मचारी छुट्टी पर जाते हैं तो धनतेरस से दिवाली के बीच त्यौहार का मजा किरकिरा हो सकता है। 

धनतेरस से दिवाली के बीच नहीं करेंगे काम

मध्य प्रदेश में बिजली कंपनियां आउटसोर्स कर्मचारियों के सहारे ही चल रही हैं।  बिजली कंपनियों में दो दशक यानी 1992 से सीधी भर्ती नहीं होने से लाइनमैन, इलेक्ट्रीशियन और इंजीनियरों के हजारों पद खाली पड़े हैं। इन बिजली कंपनियों में 45 हजार से ज्यादा आउटसोर्स कर्मचारी हैं जो अलग-अलग कंपनियों के जरिए रखे गए हैं।

आउटसोर्स कंपनियों के शोषण को लेकर प्रदेश भर में ठेका श्रमिक आवाज उठाते रहे हैं। इसको लेकर जिला से लेकर राजधानी भोपाल तक कई आंदोलन भी हो चुके हैं। आउटसोर्सकर्मियों ने 18 से 20 अक्टूबर के बीच आंदोलन पर रहने की घोषणा की है। यानी धनतेरस से दिवाली तक वे बिजली कंपनी के लिए काम नहीं करेंगे। इस बीच पॉवर कट या किसी तरह का फॉल्ट आने की स्थिति में प्रदेशभर में त्यौहार की खुशी परेशानी  में बदल सकती है।

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जोखिम भरे काम के लिए नहीं सुरक्षा और सुविधा  

आउटसोर्सकर्मियों से बिजली कंपनियां नियमित कर्मचारियों के बराबर काम ले रही हैं। उन्हें जोखिम भरे काम करने पड़ते हैं लेकिन आउटसोर्स कंपनी न तो सुरक्षा के साधन मुहैया कराती हैं और न ही उन्हें स्थायी कर्मचारी की तरह दुर्घटना बीमा और उपचार की सुविधाएं दी जाती हैं। ठेका श्रमिकों से 12 से 14 घंटे और कई बार उससे भी ज्यादा समय तक काम कराया जाता है।

बिजली कंपनी में कर्मचारियों की कमी के कारण इन्हीं कर्मचारियों को दोहरी जिम्मेदारी थमा दी जाती है। आउटसोर्स कंपनियां उनके नाम पर सरकार से ज्यादा रुपया लेती हैं लेकिन उन्हें निर्धारित वेतन से कम राशि दी जाती है। उन्हें साप्ताहिक अवकाश भी नहीं मिलता। महिलाओं के प्रसव के दौरान छुट्टी पर रहने पर वेतन काट लिया जाता है। 

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भर्ती में आउटसोर्सकर्मियों को मिले प्राथमिकता

आउटसोर्स कर्मचारी संगठन के मनोज भार्गव और दिनेश सिसोदिया का कहना है सरकार लगातार मांग की अनदेखी कर रही है। बिजली कंपनियों को भी ठेकेदार फर्म के हित की चिंता है। कर्मियों के शोषण की शिकायत पर बिजली कंपनी के अधिकारी चुप्पी साध लेते हैं और ठेकेदार श्रमिकों को प्रताड़ित कर बाहर का रास्ता दिखा देते हैं।

बिजली कंपनी  में 49 हजार से ज्यादा पद खाली हैं। पहले बिजली कंपनी में काम करने वाले दैनिक वेतनभोगियों को मस्टर रोल के आधार पर स्थायी करने की व्यवस्था थी। तमिलनाडु जैसे राज्य में बिजली कंपनी ने सीधी भर्ती की है लेकिन मध्य प्रदेश में श्रमिकों को ठेकेदारों के भरोसे छोड़ दिया गया है। इसलिए बिजली कंपनी के 45 हजार कर्मी 18 से 20 अक्टूबर तक अवकाश पर रहेंगे।  

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