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Photograph: (the sootr)
राजस्थान के उदयपुर में मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय में एक और विवाद ने तूल पकड़ लिया है। यह मामला बीए फोर्थ सेमेस्टर प्राइवेट इतिहास पेपर से जुड़ा है, जिसमें छात्रों द्वारा कई गड़बड़ियां सामने लाई गईं।
इस पेपर में न सिर्फ सिलेबस से बाहर के सवाल पूछे गए, बल्कि पेपर में टाइपिंग की भी बड़ी गलती की गई। सबसे चौंकाने वाली गलती यह थी कि मराठा शब्द की जगह पराठा लिखा गया। यह गलती सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद छात्रों और एबीवीपी कार्यकर्ताओं का गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।
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आउट ऑफ सिलेबस सवाल
इतिहास के पेपर में भारत का इतिहास 1885 से लेकर 1964 तक विषय से जुड़े कुछ ऐसे सवाल पूछे गए, जो कोर्स में शामिल नहीं थे। छात्रों का कहना था कि विश्वविद्यालय ने सिलेबस और कोर्स की पूरी अनदेखी की है। एबीवीपी के महानगर मंत्री पुप्पेन्द्र सिंह राठौड़ ने बताया कि परीक्षा में 1857 की क्रांति और इंडियन काउंसिल एक्ट जैसे सवाल पूछे गए थे, जो कोर्स में नहीं थे।
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एबीवीपी के राठौड़ ने यह भी बताया कि जब कार्यकर्ता इस लापरवाही के खिलाफ रजिस्ट्रार से मिलने पहुंचे, तो रजिस्ट्रार के पास कोई ठोस जवाब नहीं था। यह पहली बार नहीं था, जब विश्वविद्यालय में इस तरह की गड़बड़ी हुई हो।
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परीक्षा नियंत्रक का इस्तीफा
जब प्रदर्शनकारियों ने परीक्षा नियंत्रक पीएस राजपूत को बुलाया और उनसे सवाल किए, तो उन्होंने इस गलती की जानकारी होने से इनकार किया और जांच करवाने की बात कही। हालांकि जब छात्रों ने और विरोध किया, तो परीक्षा नियंत्रक ने मौके पर ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इस घटना के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन की गंभीर लापरवाही उजागर होती है। न तो सिलेबस का ध्यान रखा गया और ना ही जिम्मेदारों के पास कोई जवाब था।
मोहनलाल सुखाड़िया विश्विद्यालय के BA फोर्थ सेमेस्टर में इतिहास का पेपर देखिए.
— Gaurav Dwivedi (@gauravkrdwivedi) October 4, 2025
सवाल पूछा गया है - पराठा प्रशासन के बारे में लिखिए.
विषय था- 1885 से 1964 के काल के इतिहास से जुड़ा और सवाल पूछा गया 1857 की क्रांति का.
कई सवाल आउट ऑफ सिलेबस भी बताए जा रहे हैं.
विवाद बढ़ने के बाद… pic.twitter.com/VhwH9pev7j
जांच के लिए दो दिन का समय मांगा
विरोध बढ़ने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों से दो दिन का समय मांगा है। प्रशासन का कहना है कि पूरी परीक्षा प्रक्रिया की जांच की जाएगी और रिपोर्ट आने के बाद आगे का निर्णय लिया जाएगा। हालांकि छात्रों ने चेतावनी दी है कि अगर दो दिन के अंदर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाती है, तो आंदोलन को तेज किया जाएगा। इस परीक्षा में संभाग भर से छात्र शामिल हुए थे, इसलिए यह मामला अब व्यापक स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है।