खतरे में झीलें-पहाड़ : उत्तराखंड की राह पर उदयपुर और माउंट आबू, अवैध निर्माणों से बढ़ा बाढ़-भूकंप का खतरा

अवैध निर्माणों से राजस्थान के उदयपुर और माउंटआबू में जलवायु परिवर्तन, बाढ़ और भूकंप का खतरा बढ़ा है। संभले नहीं तो होगा नुकसान। उत्तराखंड का उदाहरण सामने है।

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Gyan Chand Patni
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राजस्थान के उदयपुर और माउंटआबू जैसे प्राकृतिक रूप से समृद्ध स्थल, अब अवैध निर्माणों और प्लॉटिंग के कारण संकट में हैं।

 विशेषज्ञों का मानना है कि ये क्षेत्र उत्तराखंड जैसी आपदाओं की ओर बढ़ रहे हैं, जहां जलवायु परिवर्तन और असंतुलित निर्माण के कारण प्राकृतिक तंत्र पूरी तरह से प्रभावित हो रहा है। अवैध निर्माण के कारण उदयपुर और माउंट आबू में आपदा का खतरा है।

इस समस्या पर प्रमुख दैनिक समाचार पत्र राजस्थान पत्रिका ने विशेष ​रिपोर्ट प्रकाशित की है। 

उदयपुर के झीलों और पहाड़ों का खतरा 

राजस्थान पत्रिका की  विशेष ​रिपोर्ट में बताया गया है कि उदयपुर की झीलों और पहाड़ों की सुरक्षा खतरे में है। रिसॉर्ट और होटलों के कारण इन क्षेत्रों के कैचमेंट एरिया में जल निकासी के रास्ते बंद हो गए हैं।

इन अवैध निर्माणों ने न केवल प्राकृतिक जल निकासी तंत्र को प्रभावित किया, बल्कि मानसून के दौरान पानी के रुकने और अचानक बहने से बाढ़ का खतरा भी बढ़ा दिया है। उदयपुर की झीलें संकट में हैं।  

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झीलों की सांसें अटकी

मदार, कदमाल और रूपसागर जैसी जलस्रोतों के कैचमेंट क्षेत्र में फॉर्म हाउस और रिसॉर्ट्स खड़े किए गए हैं। इससे झीलों तक पानी पहुंचाने वाले प्राकृतिक रास्ते बंद हो गए हैं और मानसून में पानी रुकता है, जो बाद में अचानक बहता है, जिससे आपदा का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।

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माउंटआबू में अवैध निर्माणों का तांडव

माउंटआबू के नालों पर कंक्रीट की दीवारें खड़ी की जा रही हैं और गुरुशिखर जैसे संवेदनशील इलाकों में भी अवैध निर्माणों से संतुलन बिगड़ गया है। 2009 में उच्च न्यायालय और एनजीटी ने माउंटआबू को इको सेंसिटिव जोन घोषित करते हुए नए निर्माणों पर पूर्ण रोक लगा दी थी। बावजूद इसके, माउंटआबू में लगातार अवैध निर्माण हो रहे हैं, जिससे प्राकृतिक आपदाओं के खतरे का सामना करना पड़ सकता है।

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उदयपुर की पिछोला झील।

माउंटआबू में निर्माण 

पिछले तीन सालों में माउंटआबू में अवैध निर्माणों की बाढ़ आ गई है। इस अवैध निर्माणों ने न केवल प्राकृतिक तंत्र को तोड़ा है, बल्कि भूकंप के झटकों को भी बढ़ा दिया है। पिछले दो सालों में माउंटआबू में लगभग 12 बार भूकंप के झटके महसूस हो चुके हैं।

पर्यावरणीय बदलाव और भूकंप

माउंटआबू में बढ़ रहे निर्माणों और पर्यावरणीय बदलावों के कारण भूकंपीय घटनाओं की संख्या में वृद्धि हो रही है। हालांकि, अभी तक तीव्र भूकंप नहीं आया है, लेकिन इस इलाके में भूकंपीय गतिविधियां लगातार बढ़ रही हैं। माउंटआबू इको सेंसिटिव जोन में है। उदयपुर में भूकंप के झटके आ चुके हैं।

क्या माउंटआबू और उदयपुर आपदा से बच पाएंगे

पिछले कुछ वर्षों में उत्तराखंड और अन्य पहाड़ी क्षेत्रों में भूकंप, बाढ़ और जलवायु परिवर्तन की घटनाएं बढ़ी हैं। माउंटआबू और उदयपुर भी इसी रास्ते पर बढ़ रहे हैं, और यदि इन अवैध निर्माणों पर जल्द ही रोक नहीं लगी तो आने वाले समय में इन क्षेत्रों को भी भारी प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ सकता है।

FAQ

1. क्या माउंटआबू में अवैध निर्माणों से प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बढ़ा है?
जी हां, माउंटआबू में अवैध निर्माणों के कारण जल निकासी की प्रणाली प्रभावित हो रही है और भूकंपीय घटनाएं भी बढ़ रही हैं, जिससे प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बढ़ गया है।
2. उदयपुर में झीलों और पहाड़ों के संरक्षण के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
उदयपुर में झीलों और पहाड़ों के संरक्षण के लिए स्थानीय प्रशासन को अवैध निर्माणों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि जलवायु संकट से बचा जा सके।
3. क्या माउंटआबू और उदयपुर में भी उत्तराखंड जैसी आपदा का खतरा है?
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि अवैध निर्माणों पर नियंत्रण नहीं पाया गया, तो माउंटआबू और उदयपुर में उत्तराखंड जैसी आपदाओं का सामना करना पड़ सकता है।

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