उदयपुर चा राजा गणपति सजे 1.51 करोड़ के नोटों से, भव्य शृंगार देखने उमड़े भक्त

राजस्थान के उदयपुर में 'उदयपुर चा राजा गणपति' के दरबार में 1 करोड़ 51 लाख रुपए के नोटों से भव्य शृंगार किया गया। महाराष्ट्र के कलाकारों ने 4 दिन में इसे सजाया।

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Nitin Kumar Bhal
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राजस्थान (Rajasthan) के उदयपुर (Udaipur) शहर में बापू बाजार (Bapu Bazaar) में स्थित 'उदयपुर चा राजा गणपति' (Udaipur Cha Raja Ganpati) के दरबार में मंगलवार को एक अनोखा और भव्य आयोजन हुआ। इस बार गणपति महोत्सव (Ganesh Festival) के दौरान गणपति की प्रतिमा (Idol of Ganapati) और उनके दरबार का शृंगार 1 करोड़ 51 लाख रुपए के नोटों (Currency Notes) से किया गया। इस शृंगार में महाराष्ट्र (Maharashtra) से आए 8 कलाकारों की टीम ने 4 दिन की कड़ी मेहनत से इसे तैयार किया।

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'उदयपुर चा राजा गणपति' का दरबार

गणपति महोत्सव (Ganesh Utsav) के इस अवसर पर बापू बाजार में लगे 'उदयपुर चा राजा गणपति' के दरबार में विशेष रूप से 58,201 नोटों से शृंगार किया गया। इनमें से 21,101 नोट 500 रुपये के थे, 11,000 नोट 200 रुपये के थे, 21,000 नोट 100 रुपये के थे, और 5,100 नोट 50 रुपये के थे।

यह शृंगार केवल गणपति की प्रतिमा (Idol of Ganapati) के लिए ही नहीं था, बल्कि उनके पूरे दरबार को भी नोटों से सजाया गया। इस आयोजन में एक खास बात यह थी कि गणपति के शृंगार में 41 लाख रुपये के नोट सीधे गणपति की प्रतिमा में लगाए गए थे। बाकी के नोटों से शृंगार मंच और अन्य हिस्सों में किया गया था।

मंडल के पदाधिकारियों ने बताया कि बुधवार को यहां खाटू श्याम (Khatu Shyam) का शृंगार धराया जाएगा। यह एक और भव्य आयोजन होगा, जिसमें खाटू श्याम की प्रतिमा का शृंगार किया जाएगा और श्रद्धालु वहां भी अपनी आस्था और श्रद्धा प्रकट करेंगे।

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महाराष्ट्र के 8 कलाकारों की टीम की मेहनत

गणपति की झांकी में कुल 1 करोड़ 51 लाख रुपये का योगदान था, और इसे सजाने में महाराष्ट्र के 8 कलाकारों की टीम ने 4 दिन बिताए। इस दौरान, कलाकारों ने बहुत मेहनत की, ताकि यह शृंगार गणपति के दरबार को और भी आकर्षक और भव्य बना सके।

गणपति के दरबार के इस शृंगार में स्थानीय कार्यकर्ताओं का भी योगदान था। मंडल के 30 कार्यकर्ताओं ने इस राशि को एकत्रित किया था और उनका यह प्रयास गणपति महोत्सव को यादगार बना गया। इस आयोजन में बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्रित हुए थे और गणपति के दर्शन करने के लिए उमड़े थे।

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भारत में गणपति महोत्सव की शुरुआत कैसे हुई?

  • भारत में गणपति महोत्सव की शुरुआत 1893 में बाल गंगाधर तिलक ने एक सार्वजनिक उत्सव के रूप में की थी, ताकि ब्रिटिश शासन के खिलाफ लोगों को एकजुट किया जा सके।

  • पहले यह उत्सव सिर्फ घरों तक सीमित था, लेकिन तिलक ने इसे समाज में एकता और जागरूकता लाने के लिए एक मंच बना दिया। इसके बाद से यह एक बड़े सामुदायिक समारोह का रूप ले चुका है।

शिवाजी और पेशवाओं का योगदान

  • मराठा साम्राज्य के समय, शिवाजी महाराज और पेशवाओं ने भी गणेश चतुर्थी को एक भव्य उत्सव के रूप में मनाया था।

  • यह उत्सव हिंदू धर्म की रक्षा और सामाजिक समरसता का प्रतीक था।

बाल गंगाधर तिलक ने दिया नया रूप

  • 19वीं सदी के अंत में ब्रिटिश शासन के दौरान, तिलक ने गणेश उत्सव को एक नई पहचान दी।

  • उन्होंने इसे एक सामुदायिक और सामाजिक आयोजन बना दिया, जहां राष्ट्रवादी विचारों का प्रचार होता था और लोगों को स्वतंत्रता संग्राम के लिए एकजुट किया जाता था।

सामाजिक और राजनीतिक उद्देश्य

  • तिलक ने गणेश उत्सव के जरिए लोगों को इकट्ठा किया और उनके बीच सामाजिक एकता की भावना पैदा की।

  • इस आयोजन ने लोगों को स्वराज के लिए संघर्ष करने और ब्रिटिशों के अत्याचारों का मुकाबला करने की प्रेरणा दी।

वर्तमान स्वरूप

  • तिलक के प्रयासों के बाद, गणेशोत्सव महाराष्ट्र के सबसे लोकप्रिय सार्वजनिक उत्सवों में से एक बन गया।

  • यह आज भी धूमधाम से मनाया जाता है और स्वतंत्रता संग्राम के एक महत्वपूर्ण प्रतीक के रूप में जाना जाता है।

एक अद्भुत और ऐतिहासिक आयोजन

इस भव्य आयोजन में गणपति के दरबार में लगे नोटों का शृंगार केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण नहीं था, बल्कि यह एक सामाजिक और सांस्कृतिक प्रतीक भी बन गया था। गणपति के इस शृंगार ने इस आयोजन को ऐतिहासिक बना दिया।

रात 10 बजे जब गणपति के दर्शन खुले, तो बापू बाजार (Bapu Bazaar) में भारी भीड़ जमा हो गई थी। इस दौरान, एसपी योगेश गोयल (Yogesh Goyal) ने आरती की और मंडल के पदाधिकारी गणपति के समक्ष आस्था और श्रद्धा के प्रतीक के रूप में उपस्थित हुए। इस मौके पर स्वास्तिक विनायक गणपति मित्र मंडल (Swastik Vinayak Ganpati Mitra Mandal) के अध्यक्ष वैभव अग्रवाल, संदीप मंगरोरा, जय कुरड़िया, मनीष बंदवाल, रौनक कनोजिया, मोहित बंदवाल और आकाश कंठालिया (Akash Kanthaliya) भी उपस्थित थे।

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गणपति के दरबार में जुटे हजारों श्रद्धालु

गणपति के दरबार में भगवान गणेश का नोटों से शृंगार ने श्रद्धालुओं को आकर्षित किया। हजारों की संख्या में लोग दर्शन के लिए पहुंचे और गणपति के साथ-साथ इस भव्य शृंगार का आनंद लिया। खास बात यह रही कि श्रद्धालुओं को गणपति के दर्शन करने के लिए इस बार खास इंतजाम किए गए थे।

उदयपुर गणेश महोत्सव में गणपति के दर्शन के दौरान, लोग अपनी श्रद्धा और भक्ति से झूमें। इस दौरान मंडल के पदाधिकारियों ने भी श्रद्धालुओं के साथ मिलकर इस आयोजन की सफलता के लिए भगवान गणेश से आशीर्वाद लिया।

FAQ

1. उदयपुर चा राजा गणपति के दरबार का शृंगार किससे किया गया?
उदयपुर चा राजा गणपति के दरबार का शृंगार 1 करोड़ 51 लाख रुपये के नोटों (Currency Notes) से किया गया था।
2. उदयपुर चा राजा के शृंगार में कितने नोट शामिल थे?
गणपति के शृंगार में कुल 58,201 नोट थे, जिनमें 500, 200, 100 और 50 रुपये के नोट शामिल थे।
3. उदयपुर गणपति के शृंगार में कितने नोट गणपति की प्रतिमा में लगाए गए?
गणपति के शृंगार में 41 लाख रुपये के नोट सीधे गणपति की प्रतिमा में लगाए गए थे।
4. उदयपुर के गण​पति का शृंगार किसने किया?
इस भव्य शृंगार में महाराष्ट्र के 8 कलाकारों की टीम और स्वास्तिक विनायक गणपति मित्र मंडल के 30 कार्यकर्ताओं ने मिलकर योगदान दिया था।

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