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Photograph: (The Sootr)
राजस्थान (Rajasthan) के बांसवाड़ा जिले (Banswara District) में भूखिया-जगपुरा (Bhookhiya-Jagpura) इलाके में स्थित सोने की खदान (Gold Mine) की नीलामी हाल ही में रद्द कर दी गई है। यह खदान 15 मई 2024 को नीलाम की गई थी, लेकिन अब खान विभाग (Mining Department) ने इसे रद्द कर दिया है और नई नीलामी की तैयारी शुरू कर दी है। सरकारी सूत्रों का कहना है कि यह नई नीलामी इस साल के अंत तक, यानी नवंबर-दिसंबर 2025 के बीच पूरी हो सकती है।
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राजस्थान में सोने की खान नीलामी रद्द होने के क्या कारण थे?
यह खदान 9.4026 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैली हुई थी। नीलामी के दौरान कंपनी द्वारा पर्यावरण (Environment) की एनओसी (NOC) लेने का काम शुरू किया गया था और खदान के आसपास मशीनरी लगाने की तैयारी भी पूरी हो चुकी थी। इसके बावजूद, नीलामी प्रक्रिया के दौरान शिकायतें आने लगीं, और जब विभाग ने इन शिकायतों की जांच की तो आरोप सही पाए गए। इसके बाद खान विभाग ने नीलामी को रद्द कर दिया।
रिटायर्ड एडिशनल डायरेक्टर, खान एवं भू-विभाग प्रदीप अग्रवाल ने कहा कि हालांकि, बांसवाड़ा जिले में सोने का उत्पादन (Gold Production) अभी तक शुरू नहीं हो सका है, लेकिन उम्मीद की जा रही थी कि 2026-2027 तक बांसवाड़ा में सोने का उत्पादन शुरू हो सकता है। अब, हालांकि नीलामी रद्द हो जाने से इस प्रक्रिया में देरी हो सकती है। खनन विभाग अब नई नीलामी की तैयारी कर रहा है और उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही नीलामी पूरी कर दी जाएगी। इसके बाद खनन की प्रक्रिया को तेज किया जाएगा और सोने का उत्पादन जल्द शुरू होने की संभावना है।
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राजस्थान में सोने की खान नीलामी में कौन सी कंपनियां शामिल थीं?
नीलामी में हिस्सा लेने वाले बोलीदाता (Bidders) में चार कंपनियां थीं, जिनमें हीराकुंड नेचुरल रिसोर्सेस लिमिटेड (Hirakund Natural Resources Ltd.), हिंदुस्तान जिंक (Hindustan Zinc), रामगढ़ मिनरल्स एंड माइनिंग लिमिटेड (Ramgarh Minerals and Mining Ltd.), और सैयद आवेश अली (Syed Awais Ali) शामिल थे। हालांकि, बोली प्रक्रिया में सैयद आवेश अली की तरफ से कुछ दस्तावेज और प्रमाणपत्रों में गड़बड़ी पाई गई, जिसके बाद उनकी बोली को खारिज कर दिया गया और नीलामी रद्द कर दी गई।
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राजस्थान में सोना खनन की प्रक्रिया और भविष्य
राजस्थान में सोने का उत्पादन के विकास की दिशा में बांसवाड़ा जिले में सोने की खदान से काफी उम्मीदें जुड़ी हुई थीं। भू-वैज्ञानिकों (Geologists) के अनुसार, बांसवाड़ा क्षेत्र में 940.26 हेक्टेयर (Hectares) भूमि में 113.52 मिलियन टन (Million Ton) स्वर्ण अयस्क (Gold Ore) मिलने की संभावना जताई गई है। इसके साथ ही यहां से सोने की धातु (Gold Metal) की मात्रा 222.39 टन (Tons) होने का अनुमान है। यह एक महत्वपूर्ण संकेत है कि बांसवाड़ा में स्वर्ण खनन (Gold Mining) की प्रक्रिया से राजस्थान की अर्थव्यवस्था (Economy) को नई दिशा मिल सकती है।
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स्वर्ण खनन के आर्थिक प्रभाव क्या हैं?
बांसवाड़ा जिले में सोने के खनन से कई उद्योगों में निवेश की संभावनाएं बन सकती हैं। इनमें इलेक्ट्रॉनिक्स (Electronics), पेट्रोलियम (Petroleum), पेट्रोकेमिकल्स (Petrochemicals), बैटरियां (Batteries), और एयरबैग (Airbags) जैसी इंडस्ट्रीज़ शामिल हैं। इसके साथ ही, सोने के खनन से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार (Direct and Indirect Employment) के अवसर भी पैदा हो सकते हैं।
यह खनन उद्योग उन स्थानीय लोगों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आ सकता है, जो पहले से ही बेरोजगारी और आर्थिक तंगी का सामना कर रहे थे। विशेषकर बांसवाड़ा जैसे दूर-दराज के इलाकों में इस प्रकार के उद्योगों की शुरुआत, ग्रामीण विकास और सामाजिक प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
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राजस्थान में सोना खदान नीलामी प्रक्रिया और समस्याएं
यहां यह बताना आवश्यक है कि खदानों की नीलामी प्रक्रिया (Auction Process) बेहद जटिल और संवेदनशील होती है। 15 मई 2024 को जब सोने की खदान को नीलाम किया गया था, तब विभाग ने इसके लिए रिजर्व प्राइस (Reserve Price) चार प्रतिशत तय किया था। इसके अलावा, बिड सिक्योरिटी (Bid Security) राशि 50 करोड़ रुपये (50 Crore INR) रखी गई थी। इस प्रक्रिया में बोलीदाता को अग्रिम भुगतान (Advance Payment) के रूप में 500 करोड़ रुपये (500 Crore INR) की राशि जमा करनी होती है।
हालांकि, नीलामी के बाद बिड में शामिल होने वाली कंपनियों के कुछ दस्तावेज में समस्याएं पाई गई। सैयद आवेश अली की कंपनी के पैन कार्ड (PAN Card) और आईटीआर (ITR) से संबंधित गड़बड़ियों को लेकर विभाग ने उनकी बोली को अस्वीकार कर दिया। इसके अलावा, आवेश अली की कंपनी का नेटवर्थ (Net Worth) शर्तों के अनुसार नहीं था, जिस कारण विभाग ने उनकी बोली को अस्वीकार कर दिया।
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