एमपी पुलिस भर्ती 2025 में कानूनी पेंच, ब्लैकलिस्टेड कंपनी करा रही भर्ती?

मध्यप्रदेश पुलिस आरक्षक भर्ती 2025 को लेकर विवाद सामने आया है। आरोप है कि भर्ती परीक्षा की जिम्मेदारी एक ब्लैकलिस्टेड कंपनी, एप्टेक लिमिटेड, को सौंपी गई है। इस कारण परीक्षा की निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं। मामला अब हाईकोर्ट में है।

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BHOPAL.मध्यप्रदेश में 7500 पदों की पुलिस आरक्षक भर्ती 2025 भी गंभीर विवादों में घिर गई है। विवाद इतना बड़ा है कि मामला हाईकोर्ट की दहलीज पार कर गया।

परीक्षा की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठाकर कोर्ट में जनहित याचिका लगाई गई है। आरोप हैं कि सरकार ने जिस कंपनी को परीक्षा कराने की जिम्मेदारी सौंपी है। वो पहले भी कई राज्यों में डेटा लीक और बाकी गड़बड़ियों के चलते ब्लैकलिस्ट की जा चुकी है। 

ब्लैकलिस्टेड कंपनी को मिली भर्ती की जिम्मेदारी

भर्ती की जिम्मेदारी जिस कंपनी को मिली है उसका नाम है एप्टेक लिमिटेड जो मुंबई बेस्ड है। इसे मध्यप्रदेश सरकार ने पुलिस कांस्टेबल समेत सूबेदार, स्टेनो और ASI भर्ती परीक्षा कराने का काम दिया है।

वहीं, परीक्षा से हफ्तों पहले एक्जाम सेंटर बताने को लेकर भी कानूनी पेंच फंस गया है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार से पूछा आखिर एक ब्लैकलिस्टेड कंपनी को इतनी अहम भर्तियां कराने की जिम्मेदारी कैसे दे दी।

चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की बेंच ने मामले को बेहद गंभीर माना और सरकार समेत कर्मचारी चयन मंडल को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। 

आखिर क्या है ये पूरा मामला। कौन सी है वो कंपनी, उस पर क्या-क्या आरोप लगे हैं। उसने कहा-कहां कौन-कौन सी परीक्षाएं कराई हैं। क्या-क्या गड़बड़ियां सामने आई हैं। अब कब होगी अगली सुनवाई और भर्ती परीक्षाओं की निष्पक्षता पर लगातार क्यों उठ रहे सवाल। पढ़िए द सूत्र की ये खास रिपोर्ट...

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इंदौर कलेक्टोरेट के बाहर उम्मीदवारों का विरोध

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एमपी पुलिस भर्ती 2025 को लेकर विरोध के सुर उठ रहे हैं। इंदौर कलेक्टोरेट के बाहर विरोध कर रहे उम्मीदवारों का आरोप है कि सरकार भर्ती में दलालों को खुला मौका दे रही है। जिसकी कई वजहें बताई जा रही हैं, लेकिन सबसे बड़ी वजहें हैं परीक्षा से पहले एक्जाम सेंटर का खुलासा और ब्लैकलिस्टेड कंपनी को परीक्षा कराने की जिम्मेदारी सौंपना।

उम्मीदवारों का कहना है कि कर्मचारी चयन मंडल ने 7500 पदों की पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा के एक्जाम सेंटर पहले से बताकर दलालों और फर्जी गैंग को घोटाला करने का खुला मौका दे दिया है।

मध्यप्रदेश पुलिस भर्ती परीक्षा का जिम्मा उस कंपनी को दिया गया है जो पेपर लीक और डेटा लीक समेत कई गंभीर गड़बड़ियों को लेकर कई राज्यों में ब्लैकलिस्ट की जा चुकी है। उम्मीदवारों ने कलेक्टोरेट में ज्ञापन सौंपकर फिर से एक्जाम सेंटर अलॉट करने और ब्लैकलिस्टेड कंपनी को हटाने की मांग की है।

वहीं, कुछ अभ्यर्थियों ये आरोप भी लगाए कि उन्हें मनमर्जी से एक्जाम सेंटर अलॉट किए गए हैं, जबकि उन्होंने वो सेंटर चॉइस ही नहीं की थी।

नौजवानों के प्रदर्शन और ज्ञापन को लेकर इंदौर एसडीएम प्रदीप सोनी का बयान भी सामने आया है। उन्होंने कहा कि युवाओं से ज्ञापन ले लिया गया है और MPESB के अधिकारियों से बात की जा रही है। 

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याचिका में लगाए गए हैं ये आरोप...

  1. याचिकाकर्ता आसिफ अली और रितेश सोनी के आरोप हैं कि मध्य प्रदेश सरकार ने जिस कंपनी को पुलिस भर्ती परीक्षा कराने की जिम्मेदारी दी है, उसे पेपर लीक और डेटा लीक समेत कई गंभीर गड़बड़ियों की वजह से कई राज्यों में ब्लैक लिस्ट किया जा चुका है।

  2. याचिका के मुताबिक कर्मचारी चयन मंडल (MPESB) ने मुंबई स्थित कंपनी को पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा 2025 समेत सूबेदार, स्टेनो और ASI भर्ती परीक्षा की जिम्मेदारी दी है। 

  3. उम्मीदवारों को परीक्षा के हफ्तों पहले ही एक्जाम सेंटर बता दिए गए, जबकि आम तौर पर एक्जाम सेंटर की जानकारी सिर्फ दो दिन पहले दी जाती है, ताकि कोई उम्मीदवार केंद्र पर जाकर अनुचित संपर्क या सेटिंग न कर सके।

  4. पुलिस आरक्षक भर्ती के एडमिड कार्ड में महीनेभर पहले ही सेंटर का पूरा पता दे दिया, जिससे परीक्षा की गोपनीयता और निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े होना लाजिमी है।

  5. याचिकाकर्ता के एडवोकेट आदिल उस्मानी और हुसैन अली सैफी ने कोर्ट को दस्तावेजी सबूत दिए। इसमें बताया कि ब्लैकलिस्टेड कंपनी ने MPESB से न केवल परीक्षा कराने का कॉन्ट्रैक्ट लिया, बल्कि उसे दूसरी एजेंसी को सौंप दिया।

  6. कंपनी ने इतनी अहम भर्तियां कराने के लिए 10वीं पास कर्मचारियों की नियुक्ति की है, जो कॉन्ट्रैक्ट शर्तों के मुताबिक अयोग्य हैं।

  7. आरोप ये भी हैं कि कम योग्यता वाले कर्मचारियों को भर्ती कर कंपनी जमकर मुनाफा कमा रही है।

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सरकार समेत कर्मचारी चयन मंडल को नोटिस जारी

याचिकाकर्ताओं की दलीलों, तथ्यों और तर्कों पर गौर किया गया। इसके बाद चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की बेंच ने मामले को बेहद गंभीर माना और सरकार समेत कर्मचारी चयन मंडल को नोटिस जारी किया।

कोर्ट ने सामान्य प्रशासन विभाग और MPESB के डायरेक्टर से पूछा कि जब कंपनी पहले से ही विवादित और बदनाम है तो उसे इतनी बड़ी भर्तियां कराने का जिम्मा कैसे सौंप दिया। अब आपको बताते हैं कि वो कौन सी कंपनी है। उस पर क्या-क्या आरोप लगे हैं। उसने और कौन-कौन सी परीक्षाएं कराई हैं और क्या-क्या गड़बड़ियां सामने आई हैं। 

कंपनी और इसकी सामने आईं गड़बड़ियां...

  • कंपनी का नाम है एप्टेक लिमिटेड, इसका मुख्यालय मुंबई में है, ये एक मल्टीनेशनल कंपनी है और व्यावसायिक प्रशिक्षण और शिक्षण सेवाएं प्रदान करती है।
  • वेबसाइट न्यूजलॉन्ड्री के मुताबिक कंपनी की स्थापना 1986 में अतुल निशार ने कंप्यूटर ट्रेनिंग सेंटर के रूप में की थी, जिसे बाद में चेन्नई की आईटी कंपनी SSI के मालिक कल्पथी सुरेश ने खरीद लिया था।
  • दो साल बाद मशहूर कारोबारी झुनझुनवाला ने फर्म का अधिग्रहण किया और अप्रैल 2021 तक इसके मालिक रहे, 01 नवंबर 2024 से अतुल जैन कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ हैं। 
  • एप्टेक की शुरुआत एक कंप्यूटर ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट के तौर पर हुई थी, लेकिन साल-दर-साल कंपनी में कई बदलाव हुए, कंपनी ने एनीमेशन, मल्टीमीडिया और अंग्रेजी ट्रेनिंग कोर्स शुरू किए।
  • इसने केतन मेहता और दीपा साही की माया एकेडमी ऑफ एडवांस्ड सिनेमैटिक्स का भी अधिग्रहण किया, जिसके फिलहाल भारत समेत रूस, नाइजीरिया, मैक्सिको, फिलीपींस जैसे देशों में 1300 से ज्यादा सेंटर्स हैं।
  • फिर 2000 के दशक के अंत में कंपनी ने भर्ती परीक्षाएं आयोजित करना शुरू किया, कंपनी 2012 में 15.5 लाख और 2013 में 18.1 लाख ऑनलाइन टेस्ट कराने का दावा करती है।
  • 2013 में एप्टेक ने देश के 62 शहरों के 124 सेंटर्स पर CMAT परीक्षा आयोजित कराई, जिसकी विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठे, इसके बावजूद कंपनी को अगली परीक्षाओं के ठेके भी मिलते रहे।
  • उत्तर प्रदेश जल निगम भर्ती परीक्षा 2016 में गड़बड़ियों को लेकर SIT ने कंपनी के खिलाफ जांच की, जिसमें कई आरोप साबित हुए और 2020 में कुल 1300 में से 1188 नियुक्तियां रद्द कर दी गईं।
  • इतनी बड़ी गड़बड़ी के बावजू कंपनी को 2018 में फिर उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड की जूनियर इलेक्ट्रिकल इंजीनियर भर्ती परीक्षा का ठेका मिल गया।
  • मगर ये परीक्षा भी गंभीर विवादों में आ गई, इसमें रिमोट एक्सेस टेक्नीक के जरिए कथित तौर पर नकल के आरोप लगे थे, जिसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने मई 2019 में एप्टेक को ब्लैकलिस्ट कर दिया।
  • उत्तर प्रदेश में ब्लैकलिस्ट होने के बाद कंपनी ने 2020 में असम का रुख किया और सिंचाई विभाग की परीक्षा का ठेका ले लिया, लेकिन मामला गुवाहाटी हाई कोर्ट में चला गया और कोर्ट ने दूसरे राज्य में ब्लैकलिस्टेड कंपनी से परीक्षा कराने पर रोक लगा दी। 
  • इसके बाद 2021 में कंपनी राजस्थान पुलिस कांस्टेबल भर्ती का ठेका पाने में कामयाब हो गई, लेकिन परीक्षा के दौरान जयपुर के एक सेंटर पर धोखाधड़ी के आरोप में छह लोगों को गिरफ्तार किया गया।
  • सितंबर 2021 में एप्टेक की ओर से दिल्ली यूनिवर्सिटी के एलएलबी कोर्स के लिए आयोजित परीक्षा का पेपर लीक हो गया, जिससे पूरी परीक्षा रद्द करनी पड़ी।
  • इतना सब होने बावजूद कंपनी के कर्ताधर्ताओं का दुस्साहस जारी रहा और 2021 में ही एप्टेक ने महाराष्ट्र इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन में क्लास सी और डी की भर्ती परीक्षा कराई।
  • मगर उम्मीदवारों ने कंपनी के ट्रैक रिकॉर्ड को लेकर में आपत्ति जताई इसलिए MIDC को मजबूरन परीक्षा रद्द करनी पड़ी, साथ ही राज्य स्तरीय परीक्षा के लिए जिम्मेदार नोडल एजेंसी महाराष्ट्र इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी कॉरपोरेशन लिमिटेड से जवाब मांगा।
  • 2022 में कंपनी ने जम्मू-कश्मीर सेवा चयन बोर्ड से कंप्यूटर टेस्ट कराने का कॉन्ट्रैक्ट हासिल कर लिया, लेकिन वहां भी जमकर विरोध शुरू हो गया।
  • युवाओं ने आपत्ति ली कि टेंडर शर्तों के मुताबिक एक्जाम कराने का जिम्मा उन फर्म्स को नहीं दिया जा सकता जो ब्लैकलिस्टेड हैं या उनके खिलाफ कोई केस दर्ज या पेंडिंग है।
  • इसके बावजूद कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट मिल गया, जिसके बाद मामला हाई कोर्ट पहुंचा और आठ महीने बाद उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कंपनी को बदलने भरोसा दिलाया और नया कॉन्ट्रैक्ट टीसीएस को दिया गया।
  • फरवरी 2023 में एप्टेक ने केंद्रीय विद्यालय के लिए तीन परीक्षाएं आयोजित कराईं और तीनों के पेपर वाराणसी, अंबाला, पानीपत, लेह और बिहार में लीक हो गए।
  • दिसंबर 2023 में CBI ने रेलवे की विभागीय परीक्षा के पेपर लीक करने के आरोप में एप्टेक समेत रेलवे के अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज की थी।
  • पेपर लीक में कंसल्टेंसी फर्म एप्टेक लिमिटेड की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता। फॉरेंसिक रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी के कई कर्मचारियों ने अपने दफ्तर में ही पेपर चैक किया था'।
  • मगर तमाम गड़बड़ियों, आरोपों, FIR, SIT, CBI जांच, युवाओं के विरोध और जनहित याचिकाओं के बावजूद एप्टेक को पिछले को 2024 में केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के लिए ऑनलाइन परीक्षा आयोजित करने का कॉन्ट्रैक्ट मिल गया।
  • अब 2025 में मध्य प्रदेश सरकार ने कंपनी को पुलिस कांस्टेबल समेत सूबेदार, स्टेनो और ASI भर्ती परीक्षा कराने का काम दिया है।
  • इस पर भी गंभीर सवाल उठने लगे हैं और मामला हाईकोर्ट पहुंच चुका है। इस पर संज्ञान लेकर कोर्ट ने सरकार और ESB से जवाब मांग लिया है। मामले की अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी। इसमें परीक्षा की पारदर्शिता और अभ्यर्थियों का भरोसा बनाए रखने के लिए कोर्ट सख्त कदम उठा सकता है।

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अभी और खुलासे बाकी हैं... करिए अगली कड़ी का इंतजार 

ये थी मध्य प्रदेश में सरकारी भर्तियों में गंभीर विवादों से जुड़ी द सूत्र की खास सीरिज की पहली कड़ी। अगली कड़ियों में हम आपको बताएंगे कि क्या पुलिस भर्ती में ईएसबी ने अपना ही नियम तोड़ा है।

परीक्षा से महीने भर पहले एक्जाम सेंटर बता दिए और जब सवाल उठे तो वेबसाइट से लिंक ही हटा दी। हम ये भी बताएंगे कि इससे पहले जो भर्ती घोटाले हुए हैं उनमें परीक्षा से पहले ही सेंटर बता देने का कितना रोल था। हमने करीब आधा दर्जन परीक्षाओं की पड़ताल की है। इसमें काफी कुछ हाथ आया है। 

वहीं, हाईकोर्ट में एप्टेक के अलावा एक और कंपनी की गड़बड़ियों को लेकर याचिका लगी है। इसका नाम है आर्कियस इंफोटेक प्राइवेट लिमिटेड। ये कंपनी भी मुंबई की है इस पर पुलिस भर्ती समेत प्राथमिक शिक्षक भर्ती को लेकर भी आरोप लगे हैं कि टेंडर किसी दूसरे के नाम पर लेकर पेमेंट किसी और को किया जाता है। इससे ये मामला सबलेट यानी किराए पर कॉन्ट्रैक्ट देने का लगता है। इसे लेकर हाईकोर्ट में अलग से याचिका लगी है जिसका खुलासा हम अगली कड़ियों में करेंगे...

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