जोर-शोर से शुरू हुई मप्र पुलिस की साप्ताहिक अवकाश व्यवस्था 6 महीने में ही खत्म

पिछले पांच साल में दो मुख्यमंत्रियों की घोषणा के बाद दो बार दो पुलिस महानिदेशक ने पुलिसकर्मियों को साप्ताहिक अवकाश देने के आदेश जारी किए, लेकिन तीन महीने में ही अवकाश बंद कर दिए गए।

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Pratibha Rana
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BHOPAL. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Former Chief Minister Shivraj Singh Chauhan) ने जुलाई 2023 में और कमलनाथ ने दिसंबर 2018 में पुलिस बल (mp police) को साप्ताहिक अवकाश देने के निर्देश दिए थे। दो तत्कालीन मुख्यमंत्रियों की घोषणा के बाद भी पुलिस बल को साप्ताहिक अवकाश नहीं मिल रहा है। भोपाल पुलिस कमिश्नटेर में स्वीकृत बल में लगभग 480 से ज्यादा पुलिसकर्मियों की कमी है, जिसमें 233 सिपाही हैं। इस वजह से पुलिसकर्मियों के तीन महीने में ही अवकाश बंद (mp police weekly off) कर दिए गए। 

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3 महीने में ही वीकली ऑफ बंद

पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणा (MP Police Leave) के बाद अगस्त 2023 से पुलिसकर्मियों को साप्ताहिक अवकाश देने की व्यवस्था लागू हुई थी। रोज औसतन 14% मैदानी अमला साप्ताहिक अवकाश पर रहता था। भोपाल में हर दिन 600 पुलिसकर्मी अवकाश पर रहते थे। इसके पहले कमलनाथ सरकार में भी 1 जनवरी 2019 से अवकाश शुरू करने का आदेश डीजीपी ने जारी किया था। यह व्यवस्था कुछ हद तक लागू हुई। अलग-अलग पुलिसकर्मियों के अवकाश का रोस्टर तैयार किया गया। लेकिन फोर्स की कमी के चलते कुछ महीने में ये व्यवस्था

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साप्ताहिक अवकाश देने की ये भी थी व्यवस्था

  • पुलिस कमिश्नरेट भोपाल में लगभग 600 पुलिसकर्मी रोजाना साप्ताहिक अवकाश पर रहेंगे।

    हर एसीपी संभाग से अधिकतम एक थाना प्रभारी साप्ताहिक अवकाश पर रहेगा।

    साप्ताहिक अवकाश के दिन थाने को टू आईसी संभालेंगे।

    पुलिस कमिश्नरेट के एक डीसीपी जोन में अधिकतम तीन थाना प्रभारी हर दिन साप्ताहिक अवकाश पर रहेंगे।

    साप्ताहिक अवकाश रात्रि गश्त के अगले दिन दिया जाएगा।

500 सिपाहियों को किया गया था अटैच 

भोपाल में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू होने के बाद 25 जिलों से 500 सिपाहियों को 2 माह के लिए भोपाल अटैच किया गया था। अफसर इन्हें उनकी मूल पदस्थापना जिले में वापस करना भूल गए थे। सीएम डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर दो साल बाद इन्हें 3 जनवरी को रिलीव किया गया है। इससे फोर्स की कमी हुई, लेकिन पुलिस कमिश्नरेट को 732 नए सिपाही मिल गए।

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पुलिस कमिश्नर सिस्टम क्या है?

पुलिस कमिश्नर सिस्टम एक पुलिस प्रशासन प्रणाली है, जिसमें एक पुलिस कमिश्नर शहर या क्षेत्र का सर्वोच्च पुलिस अधिकारी होता है। यह प्रणाली बड़े शहरों में लागू की जाती है, जहां अपराध और कानून व्यवस्था की चुनौतियां अधिक होती हैं।

पुलिस कमिश्नर सिस्टम की विशेषताएं:

केंद्रीकृत नेतृत्व: पुलिस कमिश्नर सिस्टम में, पुलिस कमिश्नर शहर या क्षेत्र का सर्वोच्च पुलिस अधिकारी होता है। वह सभी पुलिस अधिकारियों और कर्मियों के लिए जिम्मेदार होता है।

पेशेवर पुलिस: पुलिस कमिश्नर सिस्टम में, पुलिस अधिकारियों और कर्मियों को पेशेवर प्रशिक्षण दिया जाता है। उन्हें आधुनिक हथियारों और उपकरणों से लैस किया जाता है।

जवाबदेही: पुलिस कमिश्नर सिस्टम में, पुलिस कमिश्नर शहर या क्षेत्र के लोगों के प्रति जवाबदेह होता है। उसे नियमित रूप से लोगों को अपराध और कानून व्यवस्था की स्थिति के बारे में जानकारी देनी होती है।

पुलिस कमिश्नर सिस्टम के फायदे:

  • बेहतर कानून व्यवस्था: पुलिस कमिश्नर सिस्टम में, पुलिस अधिकारियों और कर्मियों को बेहतर प्रशिक्षण और उपकरणों से लैस होने के कारण, कानून व्यवस्था में सुधार होता है।

    कम अपराध: पुलिस कमिश्नर सिस्टम में, पुलिस अधिकारियों और कर्मियों की संख्या अधिक होने के कारण, अपराध दर में कमी आती है।

    जवाबदेही: पुलिस कमिश्नर सिस्टम में, पुलिस कमिश्नर शहर या क्षेत्र के लोगों के प्रति जवाबदेह होता है, जिसके कारण पुलिस अधिकारियों और कर्मियों में जवाबदेही की भावना बढ़ती है।

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पुलिस कमिश्नर सिस्टम के नुकसान:

  • खर्च में वृद्धि: पुलिस कमिश्नर सिस्टम में, पुलिस अधिकारियों और कर्मियों की संख्या अधिक होने के कारण, पुलिस प्रशासन पर खर्च बढ़ जाता है।

    दुरुपयोग की संभावना: पुलिस कमिश्नर सिस्टम में, पुलिस कमिश्नर के पास बहुत अधिक शक्तियां होती हैं, जिसके दुरुपयोग की संभावना होती है।

    स्थानीय लोगों की भागीदारी में कमी: पुलिस कमिश्नर सिस्टम में, स्थानीय लोगों की पुलिस प्रशासन में भागीदारी कम होती है।

पुलिस कमिश्नर सिस्टम भारत में:

पुलिस कमिश्नर सिस्टम भारत में 1861 में लागू किया गया था। यह प्रणाली पहले केवल कुछ बड़े शहरों में लागू थी, लेकिन अब यह कई राज्यों के सभी जिलों में लागू है।

 

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