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पूरी खबर को 5 पॉइंट में समझें-
इंदौर हाईकोर्ट ने प्राथमिक शिक्षक भर्ती के उम्मीदवारों को बड़ी राहत दी।
डिप्लोमा श्रेणी (D.El.Ed) में सुधार के लिए 10 जनवरी 2026 तक का समय मिला।
ESB ने शुद्धि पत्र जारी कर पोर्टल दोबारा खोल दिया है।
मानवीय चूक की वजह से गलत विकल्प चुनने वालों की उम्मीदवारी अब नहीं होगी रद्द।
कट-ऑफ से ज्यादा अंक लाने वाले अभ्यर्थियों को अब रिजेक्शन का डर नहीं रहेगा।
BHOPAL. इंदौर हाईकोर्ट के फैसले के बाद प्राथमिक शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों को बड़ी राहत मिली है। आवेदन के दौरान कई अभ्यर्थियों ने डीएलएड डिप्लोमा श्रेणी चुनने में गलती की थी।
इस मानवीय त्रुटि के कारण परीक्षा पास करने के बाद उम्मीदवारी खतरे में थी। परेशान अभ्यर्थियों ने इस विसंगति को लेकर हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की थीं। हाईकोर्ट इंदौर बेंच ने सुनवाई के बाद आवेदन में सुधार का अवसर देने का आदेश दिया है। अब ईएसबी ने डिप्लोमा श्रेणी बदलने के लिए पोर्टल दोबारा खोल दिया है।
अभ्यर्थी 10 जनवरी 2026 तक एमपी ऑनलाइन के माध्यम से सुधार कर सकेंगे। यह सुविधा केवल याचिकाकर्ताओं के लिए नहीं, बल्कि सभी प्रभावित अभ्यर्थियों के लिए है।
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डिप्लोमा की श्रेणी बनीं गफलत की वजह
मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल ने स्कूल शिक्षा विभाग के निर्देश पर प्राथमिक शिक्षक भर्ती एमपी आयोजित की। इसके लिए 18 जुलाई से 25 अगस्त तक ऑनलाइन आवेदन और परीक्षाएं संपन्न हुईं। आवेदन के समय अभ्यर्थियों को डीएलएड डिप्लोमा की अलग-अलग श्रेणियां चुननी थीं।
पुरानी परीक्षाओं में सिर्फ एक श्रेणी होने से अभ्यर्थियों के बीच काफी असमंजस था। इस कारण कई अभ्यर्थियों से आवेदन भरते समय बड़ी तकनीकी चूक हो गई। सामान्य डिप्लोमा धारकों ने गलती से विशेष शिक्षा डिप्लोमा का विकल्प चुन लिया।
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उम्मीदवारी बचाने हाईकोर्ट की शरण
ऑनलाइन परीक्षा में विकल्प चयन में हुई चूक पर अभ्यर्थियों ने मंडल को ई-मेल भेजा था। कर्मचारी चयन मंडल ने डिप्लोमा श्रेणी बदलने के इस आग्रह पर कोई जवाब नहीं दिया था। उम्मीदवारी निरस्त होने की आशंका के कारण अभ्यर्थियों ने अब हाईकोर्ट की शरण ली है।
इसके लिए उज्जैन निवासी दीपक परमार सहित 10 से अधिक याचिकाएं पेश की गई हैं। यह सभी याचिकाएं इंदौर हाईकोर्ट बेंच में सुनवाई के लिए लगाई गई हैं।
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पोर्टल संचालक से हुई मानवीय चूक
याचिकाकर्ताओं ने विशेष के बजाय सामान्य डिप्लोमा श्रेणी में रखने की मांग की है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि उनके अंक कट-ऑफ से भी कहीं अधिक हैं। वे अब इस विशेष डिप्लोमा श्रेणी का कोई लाभ नहीं लेना चाहते हैं। ऑनलाइन पोर्टल संचालक की मानवीय चूक के कारण गलत श्रेणी का चयन हुआ था।
इस श्रेणी में केवल बोनस अंक देने का ही विशेष प्रावधान होता है। जबकि अभ्यर्थियों के पास चयन के लिए पहले से ही पर्याप्त अंक मौजूद हैं।
अभ्यर्थियों ने नहीं की धोखाधड़ी
वकील विशाल सनोठिया और शिव गुर्जर ने बेंच के सामने परीक्षा परिणाम के तथ्य रखे। उन्होंने अदालत के समक्ष पुराने न्याय उदाहरण का भी स्पष्ट रूप से जिक्र किया। आवेदन के साथ अभ्यर्थी ने सामान्य श्रेणी का डीएलएड डिप्लोमा सर्टिफिकेट जमा किया है।
इससे स्पष्ट है कि अभ्यर्थी ने कोई जानकारी नहीं छिपाई और न धोखाधड़ी की। महज मानवीय त्रुटि के आधार पर उनकी उम्मीदवारी रद्द करना न्यायसंगत नहीं होगा।
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विकल्प सुधारने ईएसबी ने खोला पोर्टल
जज जयकुमार पिल्लई ने आवेदन के दौरान हुई गलती को बिना काम का माना। कोर्ट ने त्रुटि से प्रभावित सभी अभ्यर्थियों को राहत देते हुए फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने चयन मंडल को शुद्धि पत्र जारी करने का कड़ा आदेश दिया। अभ्यर्थियों को डिप्लोमा श्रेणी बदलने के लिए अब 15 दिन का समय मिलेगा।
चयन मंडल ने 26 दिसंबर से 10 जनवरी तक पोर्टल खोल दिया है। अभ्यर्थी एमपी ऑनलाइन के माध्यम से डिप्लोमा श्रेणी में सुधार कर सकेंगे। पोर्टल पर विशेष डिप्लोमा श्रेणी के विकल्प पर हां या नहीं दर्ज करना होगा।
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