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Photograph: (the sootr)
jabalpur. हाईकोर्ट की सशर्त अनुमति मिलने के बाद बजरंग दल ने उन्हीं रास्तों से शौर्य यात्रा निकाली, जिन्हें प्रशासन ने संवेदनशील बताकर अनुमति नहीं दी थी। 27 दिसंबर को निकली इस यात्रा को बजरंग दल ने संगठनात्मक शक्ति प्रदर्शन के रूप में प्रस्तुत किया। वहीं प्रशासन पूरे घटनाक्रम को लेकर पूरी तरह सतर्क नजर आया।
प्रशासन की रोक का कारण
विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल की 4 दिसंबर 2025 को प्रस्तावित शौर्य यात्रा को प्रशासन ने सुरक्षा कारणों से अनुमति नहीं दी थी। अनुमति रद्द करने के पीछे यह वजह बताई गई थी कि जिन रास्तों से यह यात्रा निकालनी है वह संवेदनशील इलाका है।
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शौर्य यात्रा की अनुमति लेने HC पहुंचा बजरंग दल
बजरंग दल संयोजक सुमित सिंह ठाकुर ने प्रशासन पर आरोप लगाए थे कि जानबूझ कर कुछ क्षेत्रों को संवेदनशील करार दिया जा रहा है। बजरंग दल के संयोजक राहुल बर्मन ने हाईकोर्ट में यात्रा की अनुमति रद्द किए जाने के आदेश के खिलाफ याचिका दायर की थी।
याचिका क्रमांक 47937/2025 पर 16 दिसंबर 2025 को जस्टिस विशाल मिश्रा ने सुनवाई करते हुए सशर्त अनुमति के आदेश जारी किए। इसके बाद अधारताल अनुविभागीय दण्डाधिकारी ने 26 दिसंबर को यात्रा की अनुमति दी।
उन्हीं इलाकों से यात्रा, जिन्हें बताया था संवेदनशील
दोपहर 1 बजे शुरू हुई शौर्य यात्रा गोहलपुर, मोतीनाला, मछली मार्केट, मिलौनीगंज और दमोह नाका जैसे इलाकों से गुज़री। यही वे क्षेत्र थे, जिन्हें प्रशासन ने पहले अत्यंत संवेदनशील मानते हुए यात्रा की अनुमति से इंकार किया था। यात्रा में बजरंग दल के राष्ट्रीय संयोजक कृष्णा प्रजापत और क्षेत्र संयोजक विश्व वर्धन भट्ट की मौजूदगी रही। इससे कार्यकर्ताओं में जोश और उत्साह साफ दिखाई दिया।
23 से अधिक शर्तों के साथ दी गई थी अनुमति
अधारताल एसडीएम ने यात्रा की अनुमति तो दी, लेकिन साथ में 23 शर्तों की लंबी लिस्ट थमा दी। पुलिस एक्ट 1951 के तहत ये शर्तें लगाई गईं। इसमें साफ कहा गया था कि कोई भड़काऊ भाषण नहीं होगा, डीजे की आवाज कम रहेगी। कोई भी हथियार या लाठी लेकर नहीं चलेगा। यात्रा को सड़क के सिर्फ एक चौथाई हिस्से पर चलने की इजाजत थी ताकि ट्रैफिक न रुके।
शक्ति प्रदर्शन के साथ प्रशासन को संदेश
हाईकोर्ट के आदेश के बाद बजरंग दल ने यह संदेश दे दिया कि संगठन किसी गलत प्रशासनिक रोक के आगे झुकने वाला नहीं है। संगठन का आरोप रहा कि कुछ इलाकों को जानबूझकर ‘नो-गो ज़ोन’ घोषित करने की मानसिकता बनाई जा रही थी। यात्रा के दौरान बड़ी संख्या में स्वयंसेवकों की तैनाती की गई। ताकि भीड़ और यातायात को नियंत्रित रखा जा सके।
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रास्तों सहित बिल्डिंगों के छत पर तैनाती रही पुलिस
इस यात्रा के पूरे मार्ग पर पुलिस ने सुरक्षा का भारी बंदोबस्त किया था। गोहलपुर क्षेत्र में बिल्डिंग के छतों पर भी दूरबीन लिए पुलिस कर्मी नजर आए। यात्रा को लेकर ASP (शहर), CSP गोहलपुर सहित हनुमानताल और गोहलपुर थाना प्रभारियों को सतर्कता के निर्देश दिए गए थे। यात्रा के पूरे रूट पर भारी पुलिस बल तैनात रहा।
कुल मिलाकर, हाईकोर्ट के आदेश के बाद उन्हीं संवेदनशील इलाकों से निकली शौर्य यात्रा ने प्रशासनिक फैसलों, कानून-व्यवस्था और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर शहर में नई चर्चा को जन्म दे दिया है।
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