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मध्य प्रदेश सरकार ने मंगलवार को पदोन्नति में आरक्षण से जुड़े 2002 के पुराने नियम और 2025 के नए नियम की एक तुलनात्मक रिपोर्ट तैयार की। यह रिपोर्ट अब महाधिवक्ता प्रशांत सिंह को बुधवार को सौंप दी जाएगी, ताकि सरकार इस रिपोर्ट के आधार पर हाई कोर्ट को बता सके कि दोनों नियमों में क्या अंतर है और आरक्षित (अजा-अजजा) और अनारक्षित वर्गों को किस प्रकार से प्रतिनिधित्व मिलेगा।
छह कैडरों में डीपीसी की बैठक
सरकार ने इस रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया है कि 2002 के पुराने नियमों के मुकाबले 2025 के नए नियमों में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। मुख्य सचिव अनुराग जैन ने इस मुद्दे पर सीनियर सेक्रेटरी के साथ बैठक की और पूरी जानकारी ली।
इस बीच मध्यप्रदेश सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) ने नए प्रमोशन नियमों के तहत छह कैडर में डीपीसी (डिपार्टमेंटल प्रमोशन कमेटी) की बैठक कर ली है, और प्रमोशन के आदेश अब सिर्फ जारी होने बाकी हैं।
वहीं, राज्य निर्वाचन आयोग में दो पदों की डीपीसी पहले ही हो चुकी है और प्रमोशन के आदेश भी जारी किए जा चुके हैं। इसके अलावा, जीएडी में जिन पांच कैडर के लिए डीपीसी की बैठक हुई है, उनमें अंडर सेक्रेटरी से डिप्टी सेक्रेटरी, सेक्शन ऑफिसर (एसओ) से अंडर सेक्रेटरी, असिस्टेंट सेक्शन ऑफिसर (एएसओ) से एसओ, सहायक ग्रेड दो से एएसओ, सहायक ग्रेड तीन से सहायक ग्रेड दो और चतुर्थ श्रेणी से सहायक ग्रेड तीन शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार, दस अन्य विभागों ने भी डीपीसी की तैयारी पूरी कर ली है।
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पांच पॉइंट्स में पूरी खबर
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रिपोर्ट तैयार की गई: मध्य प्रदेश सरकार ने 2002 के पुराने और 2025 के नए प्रमोशन नियमों की तुलनात्मक रिपोर्ट तैयार की है, जिसे महाधिवक्ता को सौंपा जाएगा ताकि हाई कोर्ट को नियमों के अंतर की जानकारी दी जा सके।
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डीपीसी की बैठकें: सरकार ने छह कैडरों में डीपीसी की बैठक की और प्रमोशन आदेश जारी करने की प्रक्रिया में है। राज्य निर्वाचन आयोग और जीएडी में कई कैडरों के लिए डीपीसी की बैठकें हो चुकी हैं।
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हाई कोर्ट में सरकार का पक्ष: सरकार उच्च न्यायालय में एम नागराज, बीके पवित्रा और जरनैल सिंह मामलों के आधार पर नए नियमों का पक्ष रखेगी और प्रमोशन प्रक्रिया में आरक्षित वर्ग का उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करेगी।
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नए प्रमोशन नियमों में बदलाव: नए नियमों में प्रमोशन के लिए बोनस अंक कम कर दिए गए हैं, और किसी कैडर में आरक्षित वर्ग का पर्याप्त प्रतिनिधित्व होने पर आरक्षण कम किया जा सकता है।
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डीपीसी की बैठक में गड़बड़ी: हालांकि डीपीसी की बैठकें जल्दी-जल्दी आयोजित की गईं, लेकिन नियमों का पालन ठीक से नहीं किया गया, विशेष रूप से डिप्टी सेक्रेटरी के पदों के लिए आरक्षित वर्ग के नामों पर विचार किया गया।
सरकार इन प्रमुख मुद्दों को हाईकोर्ट में उठाने की योजना बना रही
सरकार उच्च न्यायालय में कई महत्वपूर्ण मुद्दों को रखेगी। एम नागराज, बीके पवित्रा और जरनैल सिंह मामलों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों के आधार पर 2002 के बाद 2006, 2018 और 2019 में कई बदलाव आए। सरकार इन मामलों और उनसे जुड़े निर्देशों पर अपना पक्ष हाईकोर्ट में रखेगी और यह स्पष्ट करेगी कि नए नियमों का निर्माण इन निर्देशों के आधार पर किया गया है।
इसके अलावा, सरकार विचारण सूची प्रस्तुत करेगी, जिसके तहत हर पद के लिए दो गुना प्लस चार लोगों को बुलाया जाएगा, ताकि अनारक्षित वर्ग को भी उचित प्रतिनिधित्व मिल सके। पिछले पांच सालों के एसीआर के हिसाब से हर साल को एक बोनस अंक दिया जाता था, जिससे आरक्षित वर्ग को 5 अंक का अतिरिक्त लाभ मिलता था, लेकिन अब इसे घटाकर केवल एक अंक कर दिया गया है।
सरकार यह भी सुनिश्चित करेगी कि किसी भी कैडर पर यदि आरक्षित वर्ग का पर्याप्त प्रतिनिधित्व है, तो वहां आरक्षण को कम या शून्य किया जा सकता है। इस निर्णय को लेने के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है, जो इसके आकलन का काम करेगी।
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डीपीसी की बैठक में गड़बड़ी
हालांकि, आनन-फानन में डीपीसी की बैठकें आयोजित की गईं, लेकिन नियमों का पालन पूरी तरह से नहीं किया गया। क्लास-1 के पदों पर पदोन्नति के लिए योग्यता के साथ-साथ वरिष्ठता (मेरिट कम सीनियरिटी) का आधार रखा गया था। डिप्टी सेक्रेटरी के 14 पदों पर पदोन्नति के लिए अंडर सेक्रेटरी के रिक्त पद के दो गुने और चार अतिरिक्त पदों पर विचार किया जाना था। लेकिन मंत्रालय में डिप्टी सेक्रेटरी के पदों के लिए फिलहाल कार्यरत 12 अंडर सेक्रेटरी के नामों पर ही विचार किया गया, और ये सभी नाम आरक्षित वर्ग से थे। इसके अलावा, जिनके डीई (डिपार्टमेंटल एग्जाम) के कारण लिफाफे बंद थे, उनके नाम रोकने की जरूरत थी, जो कि ध्यान में नहीं रखा गया।
निष्कर्ष:
सरकार ने पुराने और नए प्रमोशन नियमों में आए बदलावों पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है, जिसे हाई कोर्ट में प्रस्तुत किया जाएगा। इसमें प्रमुख मुद्दे जैसे सुप्रीम कोर्ट के निर्देश, विचारण सूची, एसीआर पर बोनस अंक और प्रतिनिधित्व का आंकलन शामिल हैं। हालांकि, डीपीसी की बैठकों में कुछ नियमों की अवहेलना की गई है, जिसे लेकर भविष्य में कार्रवाई की संभावना है।
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