एमपी का रियल एस्टेट सेक्टर सरकार के लिए बना चुनौती, टारगेट से 900 करोड़ कम

मध्य प्रदेश के रियल एस्टेट सेक्टर ने सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती पेश की है, क्योंकि यह सेक्टर अपने टार्गेट से 900 करोड़ रुपए कम रह गया है। यह कमी प्रदेश सरकार के राजस्व संग्रहण को प्रभावित कर सकती है

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Sanjay Gupta
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मध्य प्रदेश में सरकार ने लाड़ली बहना योजना के लिए 2025-26 में 18 हजार 669 करोड़ रुपए का बजट रखा है। अब सरकार के लिए ये राशि जुटना लगातार चुनौती बनता जा रहा है। बजट में की गई उम्मीदों के परे इस बार आबकारी और पंजीयन दोनों ही विभाग लक्ष्य से पीछे हैं। खासकर सरकार के लिए रियल एस्टेट सेक्टर चुनौती बनता जा रहा है। जानकारों का कहना है कि यह तो अभी ट्रेलर है, आने वाले एक-दो सालों में रियल सेक्टर में भारी बूम की उम्मीद नहीं करें। इसमें उछाल नहीं आया तो एमपी सरकार को कर्ज लेने की राशि बढ़ाना पड़ जाएगी। 

900 करोड़ का लगा है झटका

पंजीयन विभाग के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने इस बार 12 हजार 500 करोड़ रुपए का लक्ष्य रखा था। वहीं प्रारंभिक सूचना के अनुसार पंजीयन विभाग करीब 11 हजार 400 करोड़ तक ही पहुंच सका है। यानी सीधे 900 करोड़ का झटका। वहीं अब शुरू हुए वित्तीय साल 2025-26 के लिए यह लक्ष्य 13920 करोड़ रुपए रखा गया है जो आज के हालात में दूर की कौड़ी है।

क्रेडिट लिमिट लैप्स होने का पत्र बना वजह

इस कम राजस्व में एक बड़ा कारण वह आईजीआर अमित तोमर का अंतिम दिन में जारी पत्र भी रहा जिसमें सर्विस प्रोवाइडर की क्रेडिट लिमिट लैप्स होने की बात कर दी गई, बाद में अंतिम दिन इसका स्पष्टीकरण जारी हुआ लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। इसी से 150-200 करोड़ का असर होने की बात कही जा रही है। 

इंदौर में बीते साल से ज्यादा, लक्ष्य से पीछे

एमपी के पंजीयन विभाग यानी रियल सेक्टर की आय में 20 फीसदी का हिस्सा देने वाले इंदौर ने खराब हालातों के बाद बहुत जोर मारा, अधिकारियों ने सर्विस प्रोवाइडर और रियल सेक्टर से लगातार बात की, इसके चलते यह आंक़ड़ा 2540 करोड़ तक पहुंच गया, जो बीते साल मिले 2414 करोड़ से ज्यादा है। दस्तावेज भी 1.85 लाख पंजीबद्द हुए यह भी बीते साल के 1.76 लाख से ज्यादा है। लेकिन इस बार इंदौर को लक्ष्य 3077 करोड़ का मिला था, इससे यह करीब 500 करोड़ रुपए पीछे रहा। 

अंतिम दिन हुकमचंद मिल की रजिस्ट्री से बूस्ट

अंतिम दिनों में हुकुमचंद मिल की जमीन की रजिस्ट्री हुई। इसकी कीमत 218 करोड़ रुपए थी जिस पर शुल्क से पंजीयन विभाग को 27 करोड़ रुपए मिले। वरिष्ठ जिला पंजीयक दीपक कुमार शर्मा ने बताया कि 29 मार्च को इंदौर 3 ऑफिस में इस दस्तावेज का पंजीयन हुआ है। इसमें प्रॉपर्टी की वैल्यू 218 करोड़ की है। इंदौर नगर निगम की ओर ये दस्तावेज पंजीकृत हुआ मध्य प्रदेश हाउसिंग एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट बोर्ड के पक्ष में हुआ। नगर निगम की प्रभारी अपर आयुक्त लता अग्रवाल ने बताया कि मध्यप्रदेश हाउसिंग बोर्ड ने रजिस्ट्री की राशि दी है। रजिस्ट्री पर जमीन पर वैल्यू लिखी है। जमीन को जब मध्यप्रदेश हाउसिंग बोर्ड द्वारा डेवलप किया जाएगा उसके बाद नगर निगम को इसमें से प्रॉफिट मिलेगा।

आबकारी में भी वैसा राजस्व अभी नहीं आया

आबकारी विभाग के लिए भी मप्र शासन ने 17500 करोड़ रुपए का लक्ष्य रखा था, लेकिन मप्र को अभी तक 16400 करोड़ रुपए मिला है। हालांकि 17 जगह शराबबंदी के बाद भी यह एक बड़ी उपलब्धि है। अधिकांश जगह पर 90 फीसदी शराब दुकानें 20 फीसदी अधिक पर रिन्यू हो चुकी है। 

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2025-26 में टैक्स लक्ष्य 

  • एसजीएसटी से- 42 हजार करोड़
  • वैट से – 22700 करोड़
  • आबकारी से- 17500 करोड़
  • पंजीयन से- 13920 करोड़
  • वाहन कर- 5700 करोड़
  • विद्युत शुल्क- 2197 करोड़ 
  •  इस बार कुल कर राजस्व 1.09 लाख करोड़ का है

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