/sootr/media/media_files/2025/05/15/rfe0uRmuJC2VrRkKWIcb.jpg)
सैयद ताहिर अली Photograph: (the sootr)
JABALPUR. मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर के मोतीलाल नेहरू वार्ड अंतर्गत लेमा गार्डन क्षेत्र में वर्षों पहले राजीव गांधी आवास योजना के अंतर्गत गरीब और बेघर परिवारों के लिए सरकार द्वारा पक्के मकान बनवाए गए थे। इस योजना का उद्देश्य था कि झुग्गी बस्तियों में रहने वाले नागरिकों को स्थायी और सुरक्षित आवास मिल सके, जिससे वे एक सम्मानजनक जीवन जी सकें। लेकिन इन मकानों को लेकर अब एक बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें स्थानीय पूर्व पार्षद और वर्तमान सांसद प्रतिनिधि ताहिर अली पर आरोप है कि उन्होंने इन मकानों पर न केवल अवैध कब्जा किया, बल्कि इन्हें गरीबों को पैसे लेकर ‘बेच’ भी दिया गया, वह भी बिना किसी कानूनी दस्तावेज या वैध रजिस्ट्री के।
बिना दस्तावेज के कब्जा, 40-40 हजार में बेचे गए सरकारी मकान
शिकायतकर्ताओं ने बताया कि ताहिर अली और उनके साथी शेख फारूक जैसे लोगों ने एक सुनियोजित योजना के तहत इन मकानों को ‘खाली’ दिखाकर जरूरतमंद परिवारों से संपर्क किया और उन्हें झांसा दिया कि वे पात्र हितग्राही हैं और मामूली शुल्क भरकर उन्हें स्थायी मकान मिल सकता है। इस प्रक्रिया में हर परिवार से 30 से 40 हजार रुपये तक लिए गए, लेकिन किसी को भी कोई वैध दस्तावेज, रसीद या रजिस्ट्री नहीं दी गई। पैसे लेने के बाद ताहिर अली के लोग उन्हें मकान की चाबी थमा देते थे और परिवार वही रहने लगते थे, यह सोचकर कि उन्हें वैध आवास मिल गया है।
कांग्रेस पार्षद हीरा शफीक का सनसनीखेज दावा: 200 से अधिक परिवार ठगे गए
इस मामले में चौंकाने वाला मोड़ तब आया जब कांग्रेस पार्टी के ही पार्षद हीरा शफीक ने 'द सूत्र' से बातचीत में इस पूरे प्रकरण की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि उन्हें कई पीड़ितों ने अपनी आपबीती सुनाई है, जिनसे ताहिर अली ने मकान के नाम पर लाखों की ठगी की। हीरा शफीक ने यह भी आशंका जताई कि ठगी का यह आंकड़ा 200 से अधिक परिवारों तक पहुंच सकता है, क्योंकि पूरे इलाके में इसी तरीके से लोगों को मकान सौंपे गए थे। उन्होंने नगर निगम जबलपुर की सदन बैठक (मिनट ऑफ मीटिंग) का उल्लेख भी किया, जिसमें इस आवास योजना की जांच की मांग की गई थी और यह भी उजागर हुआ कि यह संपूर्ण फर्जीवाड़ा कांग्रेस के शासनकाल में ही हुआ था। यह बयान अपने आप में राजनीतिक और प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाता है।
पीड़ित मांगते रहे दस्तावेज, मिला सिर्फ झांसा - ‘सभी को एक साथ मिलेंगे’
पीड़ितों की मानें तो उन्होंने लगातार ताहिर अली से दस्तावेजों की मांग की, यहां तक कि कई बार तो लोग उनके घर तक पहुंचे, लेकिन हर बार एक ही जवाब मिला कि “सबको एक साथ मिलेंगे, ऊपर से आदेश आना बाकी है।” लोग साल-दर-साल इंतजार करते रहे, इस भरोसे में कि कभी तो रजिस्ट्री होगी या मकान के दस्तावेज मिलेंगे, लेकिन वक्त बीतता गया और कोई दस्तावेज नहीं मिला। इस दौरान पीड़ितों ने इन मकानों की मरम्मत करवाई, बिजली-पानी कनेक्शन के लिए खर्च किया और मकान को अपना समझकर उसमें जीवन की नई शुरुआत की। मगर यह सपना तब चकनाचूर हुआ जब नगर निगम ने हाई कोर्ट के निर्देश पर कार्रवाई करते हुए इन सभी कब्जों को अवैध घोषित किया और लोगों से मकान खाली करवा लिए।
यह भी पढ़ें... भाई की हत्या कर शव नदी में फेंका, अंगूठी देखकर बीवी ने पहचाना तो कब्र से वापस निकाला
सांसद प्रतिनिधि ताहिर अली ने नहीं दिया पक्ष
इस पूरे मामले में जब 'द सूत्र' की टीम ने राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा के सांसद प्रतिनिधि और पूर्व पार्षद ताहिर अली से उनका पक्ष जानने की कोशिश की, तो उन्होंने पहले फोन पर बातचीत कर मिलने का समय तय किया। लेकिन जब उनसे मिलने का प्रयास किया गया तो ताहिर अली ने फोन उठाना ही बंद कर दिया। बाद में उन्हें मैसेज भेजा गया, जिस पर उनका जवाब आया कि वे प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपना पक्ष स्पष्ट करेंगे। हालांकि, खबर लिखे जाने तक न तो कोई प्रेस वार्ता की गई और न ही कोई आधिकारिक बयान जारी किया गया। इस चुप्पी ने पीड़ितों की आशंका को और भी पुख्ता कर दिया है।
मकान के नाम पर लुटी बुजुर्गों की जमा पूंजी, महिलाएं बोलीं- 'अब कहां जाएं?'
इस घोटाले में सबसे अधिक प्रभावित वे महिलाएं और बुजुर्ग हैं, जिन्होंने अपनी जीवन भर की कमाई सिर्फ इस उम्मीद में दे दी कि अब उन्हें एक स्थायी छत मिलेगी। शाहीन बानो नामक महिला ने रोते हुए बताया कि उन्होंने अपनी बेटी की शादी के लिए रखा सोने का हार गिरवी रखकर 40 हजार रुपये ताहिर अली को दिए थे, लेकिन अब न मकान उनका रहा और न ही पैसा। कुछ लोगों ने यह पैसा कर्ज लेकर या सहकारी समितियों से उधार लेकर चुकाया था, जो अब उन्हें दोहरी मार दे रहा है क्योंकि घर से उनकी बेदखली भी हुई और कर्ज का बोझ अब उनपर है।
यह भी पढ़ें... भाजपा विधायक शाक्य बोले- मेरी हालत ठीक वैसी जैसे 'गरीब की लुगाई, सब गांव की भौजाई'
एसपी कार्यालय पहुंचे पीड़ित, दर्ज कराई ठगी की लिखित शिकायत
मामले में पीड़ितों ने एकजुट होकर जबलपुर एसपी कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई है। इस शिकायत में ताहिर अली, शेख फारूक और अन्य सहयोगियों के खिलाफ IPC की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज करने की मांग की गई है, जिनमें धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात, धमकाने और संपत्ति हड़पने जैसे गंभीर अपराध शामिल हैं। पीड़ितों ने यह भी बताया कि उन्हें बार-बार चुप कराने की कोशिशें की गईं और कई बार धमकी भी दी गई कि अगर उन्होंने आवाज उठाई तो परिणाम भुगतने होंगे।
प्रशासन और राजनीतिक नेतृत्व की चुप्पी ने उठाए गंभीर सवाल
यह मामला अब केवल एक पार्षद या कुछ पीड़ितों का नहीं रहा, बल्कि यह सवाल बन गया है कि जब यह सब वर्षों तक चलता रहा, तो प्रशासन, नगर निगम और स्थानीय पुलिस को इसकी भनक क्यों नहीं लगी? क्या ताहिर अली को कोई राजनीतिक संरक्षण प्राप्त था, जिसकी वजह से वह इतने लंबे समय तक गरीबों को लूटता रहा? और जब शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं, तो अब तक ठोस कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
यह भी पढ़ें... पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह बोले- BJP नेताओं को सोफिया कुरैशी के प्रवक्ता बनने से आपत्ति, मंत्री विजय शाह का बयान यही बता रहा
न्याय की आस में पीड़ित बोले- “सरकार को चाहिए कि हमें छत लौटाए”
अब ये सभी परिवार, जिनके सपनों की छत छीनी गई है, इनमें से कुछ लोगों ने तो दोबारा इस योजना का लाभ लेते हुए वैधानिक तरीके से आवास ले लिए लेकिन जिन लोगों के सर पर अब भी छत नहीं है वह एक ही मांग कर रहे हैं कि उन्हें न्याय दिया जाए। उन्हें न केवल उनके पैसे लौटाए जाएं बल्कि उन्हें स्थायी आवास भी मिले, ताकि वे फिर से जीवन की नई शुरुआत कर सकें। उनका कहना है कि अगर प्रशासन ने समय रहते कार्रवाई की होती, तो वे सड़कों पर नहीं आते। उनकी एक ही अपील है- “हमने कोई अपराध नहीं किया, सिर्फ एक घर का सपना देखा था। सरकार को चाहिए कि हमें हमारी छत वापस दे।”